शिक्षाक्षेत्र में नौकरी की व्यवस्था जब तक समाप्त नहीं होती तब तक परिस्थिति में सुधार नहीं हो सकता । घर में कोई नौकरी नहीं करता, काम सब करते हैं । घर में रहने का घर के सभी सदस्यों को जन्मसिद्ध अधिकार है । घर सबका है और सेवा करना ही सबका धर्म है । एकदूसरे के लिये सब काम करते हैं । घर की प्रतिष्ठा सबकी चिन्ता का विषय है । घर की बदनामी सबकी बदनामी है । मातापिता सन्तानों के लिये और सन्ताने मातापिता के लिये जीते हैं। तभी वह परिवार है । परिवार भावना, व्यवस्था और सम्बन्धों से बनता है। तीनों बातें एक ही स्थान पर केन्द्रित हुई है । | शिक्षाक्षेत्र में नौकरी की व्यवस्था जब तक समाप्त नहीं होती तब तक परिस्थिति में सुधार नहीं हो सकता । घर में कोई नौकरी नहीं करता, काम सब करते हैं । घर में रहने का घर के सभी सदस्यों को जन्मसिद्ध अधिकार है । घर सबका है और सेवा करना ही सबका धर्म है । एकदूसरे के लिये सब काम करते हैं । घर की प्रतिष्ठा सबकी चिन्ता का विषय है । घर की बदनामी सबकी बदनामी है । मातापिता सन्तानों के लिये और सन्ताने मातापिता के लिये जीते हैं। तभी वह परिवार है । परिवार भावना, व्यवस्था और सम्बन्धों से बनता है। तीनों बातें एक ही स्थान पर केन्द्रित हुई है । |