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८. पानी कहीं पर भी रुका न रहे इस ओर ध्यान देना चाहिये । इसी प्रकार एक ही पात्र में पानी तीन चार दिन भरा रहे ऐसा भी नहीं होना चाहिये।
८. पानी कहीं पर भी रुका न रहे इस ओर ध्यान देना चाहिये । इसी प्रकार एक ही पात्र में पानी तीन चार दिन भरा रहे ऐसा भी नहीं होना चाहिये।
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९. कारखानों के रसायनों से जब नदियों का पानी अशुद्द होता है तब उसे शुद्ध करने का कोई प्राकृतिक उपाय नहीं है । उसे रसायनों से ही शुद्ध करना पडता हैं । रसायनों से शुद्ध किया हुआ पानी वास्तव में शुद्ध
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९. कारखानों के रसायनों से जब नदियों का पानी अशुद्द होता है तब उसे शुद्ध करने का कोई प्राकृतिक उपाय नहीं है । उसे रसायनों से ही शुद्ध करना पडता हैं । रसायनों से शुद्ध किया हुआ पानी वास्तव में शुद्ध नहीं होता, शुद्ध दिखाई देता है। यांत्रिक मानको से उसे शुद्ध सिद्ध किया जा सकता है। जहाँ यांत्रिक मानक ही स्वीकार्य है वहाँ ऐसे पानी को अशुद्ध बताना अपराध होता है, परन्तु यह अप्राकृतिक शुद्धि शरीर में और पर्यावरण में अप्राकतिक बिमारियाँ लाती है। प्राकतिक और अप्राकृतिक तत्त्व को समझने की आवश्यकता है।
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१०. इसी प्रकार यंत्रों से जो शुद्धि होती है वह भी अप्राकृतिक है।
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११. सार्वजनिक स्थानों पर जो पानी होता है उसे भी अशुद्ध होने से बचाना चाहिये ।
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==== पानी को लेकर अनुचित आदतें इस प्रकार हैं । ====
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==== उन्हें दूर करने की आवश्यकता है । ====
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१. खडे खडे पानी पीना । यह आदत सार्वत्रिक दिखाई देती है। यह स्वास्थ्य के लिये जरा भी उचित नहीं है। पानी पीने वाले ने इस आदत का त्याग करना चाहिये और पानी पिलाने वाले पीने वाले बैठकर पी सकें ऐसी व्यवस्था करनी चाहिये ।
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