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| कानपुर की बहन मीनाक्षी गणपुले के द्वारा इस प्रश्नावली के उत्तर शिक्षक अभिभावक मुख्याध्यापक एवं संस्थाचालक इस प्रकार के शिक्षा से संबंधित गटों के ३० व्यक्तिओ से प्राप्त हुए । उसका सारांश इस प्रकार है । | | कानपुर की बहन मीनाक्षी गणपुले के द्वारा इस प्रश्नावली के उत्तर शिक्षक अभिभावक मुख्याध्यापक एवं संस्थाचालक इस प्रकार के शिक्षा से संबंधित गटों के ३० व्यक्तिओ से प्राप्त हुए । उसका सारांश इस प्रकार है । |
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− | १. सर्वानुमत से ट्यूशन विद्यार्थीजीवन का अनिवार्य हिस्सा है। ट्यूशन का प्रमाण बढने के कारण बताते हुए कहा...
| + | 1 . सर्वानुमत से ट्यूशन विद्यार्थीजीवन का अनिवार्य हिस्सा है। ट्यूशन का प्रमाण बढने के कारण बताते हुए कहा... |
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| १. मातापिता दोनों का अर्थार्जन हेतु बाहर जाना २. अशिक्षित अभिभावक ३. अंग्रेजी माध्यम | | १. मातापिता दोनों का अर्थार्जन हेतु बाहर जाना २. अशिक्षित अभिभावक ३. अंग्रेजी माध्यम |
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| ६. बालकों को कहीं ना कहीं बाँधकर रखने की अभिभावक की प्रवृत्ति | | ६. बालकों को कहीं ना कहीं बाँधकर रखने की अभिभावक की प्रवृत्ति |
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| + | ७. अपने बालक को विशेष शिक्षा देने की लालसा |
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| + | ८. विद्यालय का गृहकार्य पुरा हो इस प्रकार के विविध कारण बताये गये । |
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| + | 2. टयूशन आचार्य के लिये आर्थिक प्राप्ति का एक साधन है |
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| + | छात्र के लिए प्रतिष्ठा का लक्षण और स्वयं को जिम्मेदारीसे मुक्त होने का अनिवार्य मार्ग है । इस प्रकार की मान्यता है। |
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| + | 3. ट्यूशन किनसे लेनी चाहिये ? इसके उत्तर में वर्गशिक्षकों ने नहीं विषय के विशेज्ञों ने सिखाना चाहिये ऐसी अभिभावकों की अपेक्षा है। ट्यूशन की आदर्श स्थिति कहते हुए श्री प्रिन्स कुमारजी लिखते हैं ट्यूशन होना ही नहीं चाहिये अगर अनिवार्यता हो तो शिक्षक ने मुफ्त मे पढाना चाहिए । योग्य शिक्षक के ट्यूशन लगाना और जो पढाई में कमजोर है उसे ही ट्यूशन आवश्यक है ऐसे मत प्रदर्शित हुए । |
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| + | ४. ट्यूशन के आर्थिक पक्ष के संबंध में एक बहन कहती है कि विद्यालय में छात्र को व्यक्तिगत मार्गदर्शन मिलेगा तो समय और व्यर्थ व्ययसे छुटकारा मिलेगा। |
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| + | ==== अभिमत : ==== |
| + | अध्यापकों की कमजोरी और अभिभावकों की गलत सोच का परिणाम ट्यूशन की अनिवार्यता है । ट्यूशन में जाना यह गौरव की नहीं अपितु लज्जा की बात है यह विचार जाग्रत करना पडेगा । पढाई में जो छात्र कमजोर हैं उन्हें ज्यादा ध्यान से पढाना शिक्षक का कर्तव्य है । समाज में जो ज्ञानी वृद्ध जन हैं वे यह काम कर सकते हैं। बाकी अन्य बालकों में स्वयं अध्ययन का कौशल निर्माण करें । अनिष्ट एवं गलत बातों को सोच समझकर पूर्णविराम देना ही चाहिये । |
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| + | === विद्यालय में पवित्रता === |
| + | १. पवित्रता का क्या अर्थ है ? |
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| + | २. विद्यालय में पवित्रता क्यों होनी चाहिये ? |
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| + | ३. पवित्रता की मानसिकता क्या होती है ? |
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| + | ४. विद्यालय में पवित्रता निर्माण करने के लिये क्या क्या व्यवस्था हो सकती है ? |
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| + | ५. विद्यालय में पवित्रता बनाये रखने के लिये किन किन का योगदान हो सकता है ? |
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| + | ६. पवित्र वातावरण बनाने के लिये भौतिक, मानसिक एवं आचरणात्मक क्या क्या उपाय हो सकते हैं ? |
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| + | ७. कौन कौन सी बातें स्वतः पवित्र हैं और स्वतः |
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| + | ==== प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर ==== |
| + | पवित्रता यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं अनुभूति का विषय है । पवित्र क्या है और अपवित्र क्या है इसकी समझ है परन्तु उसे शब्दों में व्यक्त करना कठिन है। सात प्रश्नों की इस प्रश्नावली के उत्तर सभी शिक्षकों ने विचारपूर्वक और चर्चा करके लिखे हैं, फिर भी वे अपने मतों पर दृढ हैं ऐसा लगता नहीं है। |
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| + | १. विद्यालय में पवित्रता का अर्थ बताते हुए आचार्य, प्रधानाचार्य एवं छात्र तीनों के बीच आपसी प्रेमपूर्ण, द्वेषरहित सम्बन्ध तथा आन्तरिक एवं बाह्य शुचिता अर्थात् पवित्रता इस प्रकार का अर्थगठन कुछ लोगों ने किया है। विद्यालय में पवित्रता क्यों होनी चाहिए ? इन प्रश्न के उत्तर में लिखा है कि विद्यालय सरस्वती का मन्दिर है अतः पवित्रता आवश्यक है। शैक्षिक कार्य तनाव रहित होने चाहिए, जो पवित्र वातावरण में ही सम्भव है। इस प्रकार के विभिन्न मत प्राप्त हुए । ३. एक ने मन की शुद्धता एवं निष्कपटता, इन शब्दों में पवित्रता की मानसिकता का वर्णन किया । अन्य सभी इस प्रश्न पर मौन रहे। ४. विद्यालय में पवित्रता निर्माण करने हेतु व्यवस्थाओं में, विद्यालय की वन्दना सभा के अन्तर्गत प्रार्थना, मानस की चौपाइयाँ, अष्टादश श्लोकी गीता, बोध-कथाएँ आदि का उल्लेख किया। ५. पवित्रता का वातावरण निर्माण होने में संस्थाचालक, प्रधानाचार्य, शिक्षक, कर्मचारी, अभिभावक |
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| + | अपवित्र हैं ? |
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| समय मूल्यवान है । | | समय मूल्यवान है । |