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# परिवर ट्वारा विद्यालय की सेवा : स्वरूप और पद्धति
# परिवर ट्वारा विद्यालय की सेवा : स्वरूप और पद्धति
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इस पाठ्यक्रम में और भी विषय हो सकते हैं।
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इस पाठ्यक्रम में और भी विषय हो सकते हैं। आवश्यकता और सम्भावना के आधार पर अपनी अपनी सूची बनाई जा सकती है ।
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आवश्यकता और सम्भावना के आधार पर अपनी अपनी
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सूची बनाई जा सकती है ।
पाठ्यक्रम निर्माण करने के बाद सामग्री की
पाठ्यक्रम निर्माण करने के बाद सामग्री की
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आवश्यकता रहेगी । विभिन्न सन्दर्भ ग्रन्थों का अध्ययन कर
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आवश्यकता रहेगी । विभिन्न सन्दर्भ ग्रन्थों का अध्ययन कर अनेक प्रकार की सामग्री तैयार करनी चाहिये । जैसे कि
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अनेक प्रकार की सामग्री तैयार करनी चाहिये । जैसे कि
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१, पुस्तकें : छोटी छोटी पुस्तिकाओं से लेकर बडे ग्रन्थ
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1. पुस्तकें : छोटी छोटी पुस्तिकाओं से लेकर बडे ग्रन्थ
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चित्र और आलेखों की प्रदर्शनी
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दृश्यश्राव्य सामग्री : सी.डी., फिल्म आदि
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2. चित्र और आलेखों की प्रदर्शनी
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कहानी, गीतों, प्रेरक घटनाओं का संग्रह
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खिलौने, वस्त्र, खाद्य पदार्थ, सुशोभन सामग्री,
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3. दृश्यश्राव्य सामग्री : सी.डी., फिल्म आदि
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पात्रसंग्रह, स्वच्छता का सामान आदि का संग्रहालय
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तथा प्रदर्शनी
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4. कहानी, गीतों, प्रेरक घटनाओं का संग्रह
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नुक्कड नाटकों के लिये छोटे छोटे नाटक
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सभा सम्मेलनों के लिये भाषण, गीत आदि
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5. खिलौने, वस्त्र, खाद्य पदार्थ, सुशोभन सामग्री, पात्रसंग्रह, स्वच्छता का सामान आदि का संग्रहालय तथा प्रदर्शनी
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रेलियों के लिये गीत, फलक, नारे, सूत्र आदि
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वॉट्सएप, फेसबुक आदि के लिये विडियो क्लीप्स,
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6. नुक्कड नाटकों के लिये छोटे छोटे नाटक
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सन्देश, चित्र आदि
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१०, विद्यास्भ संस्कार, जन्मदिनोत्सव आदि मनाने में
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7. सभा सम्मेलनों के लिये भाषण, गीत आदि
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मार्गदर्शक सामग्री
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8. रेलियों के लिये गीत, फलक, नारे, सूत्र आदि
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३. इन्हें सिखाने की योजना करना तथा पढ़ाने की
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9. वॉट्सएप, फेसबुक आदि के लिये विडियो क्लीप्स, सन्देश, चित्र आदि
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योजना करना सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है । इस दृष्टि से कुछ इस
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प्रकार से विचार किया जा सकता है
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10. विद्यास्भ संस्कार, जन्मदिनोत्सव आदि मनाने में
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मार्गदर्शक सामग्री
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३. इन्हें सिखाने की योजना करना तथा पढ़ाने की योजना करना सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है । इस दृष्टि से कुछ इस प्रकार से विचार किया जा सकता है...
१, शिक्षा के सर्व स्तरों पर सामान्य पाठ्यक्रम के
१, शिक्षा के सर्व स्तरों पर सामान्य पाठ्यक्रम के
अन्तर्गत इन विषयों का समावेश करना ।
अन्तर्गत इन विषयों का समावेश करना ।
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२... विद्यालय में जिस प्रकार प्राथमिक, माध्यमिक आदि
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२. विद्यालय में जिस प्रकार प्राथमिक, माध्यमिक आदि
विभाग होते हैं उस प्रकार परिवार शिक्षा विभाग हो
विभाग होते हैं उस प्रकार परिवार शिक्षा विभाग हो
सकता है ।
सकता है ।
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३... इन विषयों को सिखाने के लिये
३... इन विषयों को सिखाने के लिये
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श्०९
श्०९
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नीचा मानने की प्रवृत्ति रखता है।
नीचा मानने की प्रवृत्ति रखता है।
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मात्र बन जाती है, भावना नहीं बनती ।
मात्र बन जाती है, भावना नहीं बनती ।
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श्श्१
श्श्१
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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बडे लोगों के बेटों की मर्जी उठानी . को दण्ड नहीं देना हिंसा है, अहिंसा नहीं । शोषण
बडे लोगों के बेटों की मर्जी उठानी . को दण्ड नहीं देना हिंसा है, अहिंसा नहीं । शोषण
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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साथ खेलना औए सीखना सिखाना होता है। घर में
साथ खेलना औए सीखना सिखाना होता है। घर में
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८८
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LE
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LABS
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पर्व ३
पर्व ३
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जाती हैं यह भी इस चर्चा का निष्कर्ष है ।
जाती हैं यह भी इस चर्चा का निष्कर्ष है ।
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