बहुत बड़े महत्त्व का विषय यह है कि भारतीय संकल्पना के अनुसार विद्यालय चलाने की ज़िम्मेदारी शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों की है। जिस प्रकार घर घर के लोग मिलकर चलाते हैं उसी प्रकार विद्यालय विद्यालय के लोग मिलकर चलाएंगे यह स्वाभाविक माना जाना चाहिए । विद्यालय चलाने के शैक्षिक और भौतिक ऐसे दो पक्ष होते हैं । विद्यालय में पढ़ना और पढ़ाना होता है। यह एक आयाम है। पढ़ने पढ़ाने की व्यवस्था के लिए स्थान, भवन, फर्नीचर, शैक्षिक सामग्री आदि की आवश्यकता होती है। अर्थात् विद्यालय चलाने के लिए अर्थव्यवस्था भी करनी होती है। ये दोनों कार्य विद्यालय के पूर्व छात्र करेंगे । कुछ बातें इस प्रकार सोची जा सकती हैं | बहुत बड़े महत्त्व का विषय यह है कि भारतीय संकल्पना के अनुसार विद्यालय चलाने की ज़िम्मेदारी शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों की है। जिस प्रकार घर घर के लोग मिलकर चलाते हैं उसी प्रकार विद्यालय विद्यालय के लोग मिलकर चलाएंगे यह स्वाभाविक माना जाना चाहिए । विद्यालय चलाने के शैक्षिक और भौतिक ऐसे दो पक्ष होते हैं । विद्यालय में पढ़ना और पढ़ाना होता है। यह एक आयाम है। पढ़ने पढ़ाने की व्यवस्था के लिए स्थान, भवन, फर्नीचर, शैक्षिक सामग्री आदि की आवश्यकता होती है। अर्थात् विद्यालय चलाने के लिए अर्थव्यवस्था भी करनी होती है। ये दोनों कार्य विद्यालय के पूर्व छात्र करेंगे । कुछ बातें इस प्रकार सोची जा सकती हैं |