आज तो अध्ययन पूर्ण हुआ इसलिए छात्र एक बोझ कम हुआ ऐसा मानते हैं । प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालय पूर्ण कर जब उच्च शिक्षा में जाते हैं तब अनेक प्रकार के बंधनों से मुक्ति मिली ऐसा भी अनुभव करते हैं। गृहस्थ जीवन में जब विद्यालय को याद करते हैं तब कुछ भावात्मक बातें भी होती हैं । जिन शिक्षकों ने विशेष रूप से प्रशंसा या सहायता की थी उन्हें और जिन्होंने विशेष रूप से दंडित किया था उन्हें याद करते हैं । किस प्रकार शैतानी करते थे या कौन शिक्षक कैसा था इसकी भी चर्चा कभी कभी हो जाती है । अपने विद्यालय का गौरव अनुभव करने के किस्से भी क्वचित होते हैं। | आज तो अध्ययन पूर्ण हुआ इसलिए छात्र एक बोझ कम हुआ ऐसा मानते हैं । प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालय पूर्ण कर जब उच्च शिक्षा में जाते हैं तब अनेक प्रकार के बंधनों से मुक्ति मिली ऐसा भी अनुभव करते हैं। गृहस्थ जीवन में जब विद्यालय को याद करते हैं तब कुछ भावात्मक बातें भी होती हैं । जिन शिक्षकों ने विशेष रूप से प्रशंसा या सहायता की थी उन्हें और जिन्होंने विशेष रूप से दंडित किया था उन्हें याद करते हैं । किस प्रकार शैतानी करते थे या कौन शिक्षक कैसा था इसकी भी चर्चा कभी कभी हो जाती है । अपने विद्यालय का गौरव अनुभव करने के किस्से भी क्वचित होते हैं। |