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| वह क्या पढाता है, क्यों पढाता है उससे उसे कोई फरक नहीं पडता । शासन कहता है कि भगतसिंह हत्यारा है तो वह वैसा पढायेगा, शासन कहता है कि शिवाजी पहाड का चूहा है तो वह वैसा पढायेगा । शासन कहता है कि अफझलखान दुष्ट है तो वह वैसा पढायेगा । उसे कोई फरक नहीं पडता । उसके हाथ में दी गई पुस्तक में लिखा है कि अंग्रेजों ने भारत में अनेक सुधार किये तो वह वैसा पढायेगा, आर्य बाहर से भारत में आये तो वैसा पढायेगा, छोटा परिवार सुखी परिवार तो वैसा पढायेगा । उसे कोई परक नहीं पडता । अर्थात् वह बेफिकर है, बेपरवाह है । और क्यों नहीं होगा ? नौकर की क्या कभी अपनी मर्जी, अपना मत होता है ? वह किसी दूसरे का काम कर रहा हैं, उसे बताया काम करना है, वह चिन्ता क्यों करेगा ? | | वह क्या पढाता है, क्यों पढाता है उससे उसे कोई फरक नहीं पडता । शासन कहता है कि भगतसिंह हत्यारा है तो वह वैसा पढायेगा, शासन कहता है कि शिवाजी पहाड का चूहा है तो वह वैसा पढायेगा । शासन कहता है कि अफझलखान दुष्ट है तो वह वैसा पढायेगा । उसे कोई फरक नहीं पडता । उसके हाथ में दी गई पुस्तक में लिखा है कि अंग्रेजों ने भारत में अनेक सुधार किये तो वह वैसा पढायेगा, आर्य बाहर से भारत में आये तो वैसा पढायेगा, छोटा परिवार सुखी परिवार तो वैसा पढायेगा । उसे कोई परक नहीं पडता । अर्थात् वह बेफिकर है, बेपरवाह है । और क्यों नहीं होगा ? नौकर की क्या कभी अपनी मर्जी, अपना मत होता है ? वह किसी दूसरे का काम कर रहा हैं, उसे बताया काम करना है, वह चिन्ता क्यों करेगा ? |
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− | आज शिक्षक अपना विद्यालय शुरू नहीं कर | + | आज शिक्षक अपना विद्यालय शुरू नहीं कर सकता । उसे नौकरी ही करना है । और वह क्यों करे ? सब कुछतो शासन तय करता है। अब शिक्षा कैसी है उसके आधार पर विद्यालय नहीं चलेगा, भवन, भौतिक सुविधाओं, अर्थव्यवस्था के आधार पर मान्यता मिलती है, शिक्षकों की पदवियों और संख्या के आधार पर मूल्यांकन होता है, पढाने की इच्छा, तत्परता, नीयत, चरित्र, विद्यार्थियों का. गुणविकास, सही ज्ञान, सेवाभाव, विद्याप्रीति, निष्ठा आदि के आधार पर नहीं । मान्यता नहीं तो प्रमाणपत्र नहीं, प्रमाणपत्र नहीं तो नौकरी नहीं, नौकरी नहीं तो पैसा नहीं । |
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− | सकता । उसे नौकरी ही करना है । और वह क्यों करे ? | |
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− | सब कुछतो शासन तय करता है। अब शिक्षा कैसी है | |
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− | उसके आधार पर विद्यालय नहीं चलेगा, भवन, भौतिक | |
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− | सुविधाओं, अर्थव्यवस्था के आधार पर मान्यता मिलती है, | |
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− | शिक्षकों की पदवियों और संख्या के आधार पर मूल्यांकन | |
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− | होता है, पढाने की इच्छा, तत्परता, नीयत, चरित्र, | |
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− | विद्यार्थियों का. गुणविकास, सही wa, सेवाभाव, | |
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− | विद्याप्रीति, निष्ठा आदि के आधार पर नहीं । मान्यता नहीं | |
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− | तो प्रमाणपत्र नहीं, प्रमाणपत्र नहीं तो नौकरी नहीं, नौकरी | |
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− | नहीं तो पैसा नहीं । | |
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− | ऐसे में शिक्षा कैसे होगी ?
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| + | ===== ऐसे में शिक्षा कैसे होगी ? ===== |
| विडम्बना यह भी है कि ऐसी स्थिति में भी हम | | विडम्बना यह भी है कि ऐसी स्थिति में भी हम |
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