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| =====विश्व में भारत की प्रतिष्ठा===== | | =====विश्व में भारत की प्रतिष्ठा===== |
− | वर्तमान प्रशंसा के योग्य नहीं है । हमारा नैतिक स्तर गिरा
| + | हमें यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि घर में पलनेवाले और विद्यालय में पढ़ने वाले शिशु, बाल, किशोर, युवावस्था के विद्यार्थी भावी भारत के निर्माता है। शिक्षक और मातापिता भारत का भावी गढ रहे हैं। ये सब शिक्षकों के विद्यार्थी और मातापिता की सन्तानें हैं परन्तु साथ ही राष्ट्र के नागरिक हैं । राष्ट्र वैसा ही होगा जैसे ये होंगे। विश्व में भारत की प्रतिष्ठा इनके कारण होगी और बदनामी भी इनके कारण ही। |
− | हमें यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि घर में. है? गिर रहा है । यह अत्यन्त चिन्ताजनक और लज्जास्पद | |
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− | पलनेवाले और विद्यालय में पढने वाले शिशु, बाल, है । हमें इस स्थिति की चिन्ता करनी चाहिये ।
| + | भूतकाल में कभी भारत की प्रतिष्ठा अत्यन्त नीतिमान, सच्चरित्र और सत्यवादी देश की रही है । हम भारत के भव्य भूतकाल का वर्णन तो गौरवपूर्वक करते हैं परन्तु हमारा |
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− | किशोर, युवावस्था के विद्यार्थी भावी भारत के निर्माता है । विश्व में हमारी कुप्रतिष्ठा कैसी है इसके कुछ उदाहरण
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− | शिक्षक और मातापिता भारत का भावी गढ़ रहे हैं । ये सब... इस प्रकार है
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− | शिक्षकों के विद्यार्थी और मातापिता की सन्तानें हैं परन्तु १.. जर्मनी के विश्वविद्यालय के पुस्तकालय से भारतीय
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− | साथ ही राष्ट्र के नागरिक हैं । राष्ट्र वैसा ही होगा जैसे ये विद्यार्थियों को पुस्तक ले जाने का निषेध हुआ था
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− | होंगे । विश्व में भारत की प्रतिष्ठा इनके कारण होगी और क्योंकि भारतीय विद्यार्थी पुस्तक में से उपयोगी सामग्री
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− | बदनामी भी इनके कारण ही । की नकल करने के स्थान पर पुस्तक के पन्ने ही फाड
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− | भूतकाल में कभी भारत की प्रतिष्ठा अत्यन्त नीतिमान, लेते थे । यह आरोप झूठा नहीं है यह भारत के | |
− | सच्चरित्र और सत्यवादी देश की रही है । हम भारत के भव्य महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के ग्रन्थालयों के | |
− | भूतकाल का वर्णन तो गौरवपूर्वक करते हैं परन्तु हमारा ग्रन्थपाल कहेंगे । | |
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| Sy | | Sy |
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| संचालकों के अनीतिमान होने के अनेक उदाहरण सर्वविदित हैं | | संचालकों के अनीतिमान होने के अनेक उदाहरण सर्वविदित हैं |
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− | * ऐसे अनेक संचालक हैं जो पैसा कमाने के लिये ही विद्यालय चलाते हैं । उनके लिये बिद्या, शिक्षक, देश आदि के लिये कोई सम्मान नहीं होता । वे अनेक प्रकार की गलत बातें लागू कर पैसा कमाते हैं । | + | *ऐसे अनेक संचालक हैं जो पैसा कमाने के लिये ही विद्यालय चलाते हैं । उनके लिये बिद्या, शिक्षक, देश आदि के लिये कोई सम्मान नहीं होता । वे अनेक प्रकार की गलत बातें लागू कर पैसा कमाते हैं । |
− | * प्रवेश के लिये और नियुक्ति के लिये विद्यार्थियों और शिक्षकों से डोनेशन लेना आम बात है । मजबूरी में या व्यवहार समझकर डोनेशन देनेवाले भी होते ही हैं । | + | *प्रवेश के लिये और नियुक्ति के लिये विद्यार्थियों और शिक्षकों से डोनेशन लेना आम बात है । मजबूरी में या व्यवहार समझकर डोनेशन देनेवाले भी होते ही हैं । |
− | * शिक्षकों को कम वेतन देकर पूरे वेतन पर हस्ताक्षर करवा लेना भी व्यापकरूप में प्रचलन में है । | + | *शिक्षकों को कम वेतन देकर पूरे वेतन पर हस्ताक्षर करवा लेना भी व्यापकरूप में प्रचलन में है । |
− | * ये तो सर्वविदित उदाहरण हैं, परन्तु यह तो हिमशिला का बाहर दिखनेवाला हिस्सा है । वास्तविकता अनेक गुना अधिक है । | + | *ये तो सर्वविदित उदाहरण हैं, परन्तु यह तो हिमशिला का बाहर दिखनेवाला हिस्सा है । वास्तविकता अनेक गुना अधिक है । |
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| ऐसे संचालकों के विद्यालयों में नीतिमत्ता की | | ऐसे संचालकों के विद्यालयों में नीतिमत्ता की |