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| + | {{ToBeEdited}} |
| + | __NOINDEX__ |
| == पर्व १ : विषय प्रवेश == | | == पर्व १ : विषय प्रवेश == |
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| === [[तत्त्व एवं व्यवहार का सम्बन्ध]] === | | === [[तत्त्व एवं व्यवहार का सम्बन्ध]] === |
− | अमूर्त और मूर्त का अन्तर, तत्त्व के अनुसार व्यवहार, व्यवहार हमेशा तत्त्व का अनुसरण करता है, तत्त्व सिद्धान्त है, व्यवहार उसका उदाहरण, व्यापक सन्दर्भ में जो करना चाहिये वह तत्त्व होता है, जो किया जाता है वह व्यवहार होता है, तत्त्व को छोड़कर व्यवहार करने के उदाहरण | + | अमूर्त और मूर्त का अन्तर, तत्त्व के अनुसार व्यवहार, व्यवहार सदा तत्त्व का अनुसरण करता है, तत्त्व सिद्धान्त है, व्यवहार उसका उदाहरण, व्यापक सन्दर्भ में जो करना चाहिये वह तत्त्व होता है, जो किया जाता है वह व्यवहार होता है, तत्त्व को छोड़कर व्यवहार करने के उदाहरण |
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| === [[युगानुकूल और देशानुकूल]] === | | === [[युगानुकूल और देशानुकूल]] === |
− | तत्त्व एवं व्यवहार में अन्तर क्यों, युग कया है, तत्त्व के अनुकूल युग, युग के अनुकूल व्यवहार, देशानुकूल संकल्पना कया है, देशानुकूल परिवर्तन कया है | + | तत्त्व एवं व्यवहार में अन्तर क्यों, युग क्या है, तत्त्व के अनुकूल युग, युग के अनुकूल व्यवहार, देशानुकूल संकल्पना क्या है, देशानुकूल परिवर्तन क्या है |
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| === [[युगानुकूलता के कुछ आयाम]] === | | === [[युगानुकूलता के कुछ आयाम]] === |
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| == पर्व २ : विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार == | | == पर्व २ : विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार == |
| + | इस ग्रन्थमाला में बार बार इस सूत्र का प्रतिपादन होता रहा है कि शिक्षा के दोकेन्द्र होते हैं । एक होता है विद्यालय और दूसरा घर । विद्यालय में शिक्षक औरविद्यार्थी मिलकर ज्ञानसाधना करते हैं और घर में दो पीढ़ियों में संस्कृति के हस्तान्तरण का कार्य होता है । इन दोनों केन्द्रों का भी परस्पर सम्बन्ध होता है । इन दो केन्द्रों का सम्बन्ध जोडने का माध्यम विद्यार्थी है जो घर में रहता है और विद्यालय में आता है । इन तथ्यों का कुछ विश्लेषणात्मक विचार इस पर्व में किया गया है । विद्यार्थी और शिक्षक के व्यक्तित्व के विभिन्न आयाम कौन से हैं, शिक्षक और विद्यार्थी के सम्बन्ध का आन्तरिक और बाह्य स्वरूप कैसे होता है, शिक्षा और शिक्षाकेन्द्र में शिक्षक का महत्त्व कितना है और उसके साथ शिक्षा से सम्बन्धित अन्य लोगोंं ने कैसा व्यवहार करना चाहिये, विद्यालय के सन्दर्भ में अपनी भूमिका कैसे निभानी चाहिये इसका विचार इस पर्व में किया गया है । यह केवल तात्तिक चर्चा नहीं है मुख्य रूप से व्यावहारिक ही है । शिक्षा के भारतीयकरण का स्वरूप किन प्रक्रियाओं से बनता है इसकी ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास यहाँ किया गया है । |
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| === [[शिक्षा का केन्द्रबिन्दु विद्यार्थी]] === | | === [[शिक्षा का केन्द्रबिन्दु विद्यार्थी]] === |
| आदर्श विद्यार्थी | | आदर्श विद्यार्थी |
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− | विद्यार्थियों की शरीर सम्पदा, मनुष्य शरीर विशेष है, समस्यायें कैसी हैं ?, कठिनाई के कारण क्या हैं ?, विद्यालय क्या करे, विद्यार्थियों के दैनन्दिन व्यवहार में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास, वैज्ञानिकता क्या है, आहार विषयक वैज्ञानिकता, वसख्त्रपरिधान में वैज्ञानिकता, अलंकार, सौन्दर्यप्रसाधन, अन्य छोटी मोटी वस्तुओं में वैज्ञानिकता, दिनचर्या, ऋतुचर्या और जीवनचर्या में वैज्ञानिकता, विद्यार्थियों की मानसिकता : समस्या और निराकरण, यह तो व्यावहारिकता है, मानसिकता के आयाम, मानसिकता के जिम्मेदार कारण, सही मानसिकता बनाने के प्रयास, विद्यार्थियों का मन:सन्तुलन, भय की मानसिकता, नई पीढ़ी का मनोबल बढ़ाना, मन की शिक्षा के अभाव में व्यक्त व्यवहार, मन की शिक्षा के विचारणीय बिन्दु, मन की एकाग्रता के उपाय, मन की शक्ति बढ़ाने के उपाय, अध्ययन की समस्या, आज की शिक्षा समझ नहीं बढाती, इसका कया अर्थ है ?, गड़बड़ क्या है ? विद्यार्थियों की अर्थदृष्टि और अर्थव्यवहार, प्रस्तावना, देशव्यापी अर्थदृष्टि का संकट , अर्थव्यवहार और अर्थदृष्टि के उदाहरण, अर्थ की शिक्षा अनिवार्य है, विद्यार्थियों का गृहजीवन, अधिक भाग्यवान कौन ?, विद्यालय अपने विद्यार्थियों को क्या सिखाए ?, विद्यार्थियों का सामाजिक दायित्वबोध, समाज के लिये समृद्धि और संस्कृति दोनों आवश्यक, संस्कृति के अभाव में समृद्धि आसुरी बन जाती है उसके क्या लक्षण हैं ?, आज अनेक स्वरूपों में संस्कृतिविहीन समृद्धि प्राप्त करने के प्रयास दिख रहे हैं... समृद्धि के बिना संस्कृति की रक्षा कैसे नहीं हो सकती ?, समाज के दायित्वबोध की शिक्षा के पहलू, विद्यार्थियों की देशभक्ति, विद्यार्थियों की देशभक्ति कहाँ दिखाई देती हैं ?, देशभक्ति की समझ, देशभक्ति की भावना, कृतिशील देशभक्ति, देशभक्ति नहीं तो संस्कृति नहीं | + | विद्यार्थियों की शरीर सम्पदा, मनुष्य शरीर विशेष है, समस्यायें कैसी हैं ?, कठिनाई के कारण क्या हैं ?, विद्यालय क्या करे, विद्यार्थियों के दैनन्दिन व्यवहार में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास, वैज्ञानिकता क्या है, आहार विषयक वैज्ञानिकता, वसख्त्रपरिधान में वैज्ञानिकता, अलंकार, सौन्दर्यप्रसाधन, अन्य छोटी मोटी वस्तुओं में वैज्ञानिकता, दिनचर्या, ऋतुचर्या और जीवनचर्या में वैज्ञानिकता, विद्यार्थियों की मानसिकता : समस्या और निराकरण, यह तो व्यावहारिकता है, मानसिकता के आयाम, मानसिकता के जिम्मेदार कारण, सही मानसिकता बनाने के प्रयास, विद्यार्थियों का मन:सन्तुलन, भय की मानसिकता, नई पीढ़ी का मनोबल बढ़ाना, मन की शिक्षा के अभाव में व्यक्त व्यवहार, मन की शिक्षा के विचारणीय बिन्दु, मन की एकाग्रता के उपाय, मन की शक्ति बढ़ाने के उपाय, अध्ययन की समस्या, आज की शिक्षा समझ नहीं बढाती, इसका क्या अर्थ है ?, गड़बड़ क्या है ? विद्यार्थियों की अर्थदृष्टि और अर्थव्यवहार, प्रस्तावना, देशव्यापी अर्थदृष्टि का संकट , अर्थव्यवहार और अर्थदृष्टि के उदाहरण, अर्थ की शिक्षा अनिवार्य है, विद्यार्थियों का गृहजीवन, अधिक भाग्यवान कौन ?, विद्यालय अपने विद्यार्थियों को क्या सिखाए ?, विद्यार्थियों का सामाजिक दायित्वबोध, समाज के लिये समृद्धि और संस्कृति दोनों आवश्यक, संस्कृति के अभाव में समृद्धि आसुरी बन जाती है उसके क्या लक्षण हैं ?, आज अनेक स्वरूपों में संस्कृतिविहीन समृद्धि प्राप्त करने के प्रयास दिख रहे हैं... समृद्धि के बिना संस्कृति की रक्षा कैसे नहीं हो सकती ?, समाज के दायित्वबोध की शिक्षा के पहलू, विद्यार्थियों की देशभक्ति, विद्यार्थियों की देशभक्ति कहाँ दिखाई देती हैं ?, देशभक्ति की समझ, देशभक्ति की भावना, कृतिशील देशभक्ति, देशभक्ति नहीं तो संस्कृति नहीं |
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| === [[शिक्षक का शिक्षकत्व है|शिक्षक का शिक्षकत्व]] === | | === [[शिक्षक का शिक्षकत्व है|शिक्षक का शिक्षकत्व]] === |
− | विद्यार्थियों का भविष्य, कुछ चिन्ताजनक बातें, हमारे प्रयासों का स्वरूप, माता-पिता को क्या करना चाहिए, शिक्षकों का दायित्व, शिक्षकों को क्या करना चाहिये ?, शिक्षक प्रबोधन, बेचारा शिक्षक !, जड की नहीं चेतन की प्रतिष्ठा हो, शिक्षक के मन को पुनर्जीवित करना, शिक्षक प्रबोधन के बिन्दु व चरण, आदर्श शिक्षक, विद्यालय को अच्छे शिक्षक कैसे मिलेंगे, जैसा शिक्षक वैसी शिक्षा, ऐसे शिक्षक कहाँ से मिलेंगे ? | + | विद्यार्थियों का भविष्य, कुछ चिन्ताजनक बातें, हमारे प्रयासों का स्वरूप, माता-पिता को क्या करना चाहिए, शिक्षकों का दायित्व, शिक्षकों को क्या करना चाहिये ?, शिक्षक प्रबोधन, बेचारा शिक्षक !, जड़ की नहीं चेतन की प्रतिष्ठा हो, शिक्षक के मन को पुनर्जीवित करना, शिक्षक प्रबोधन के बिन्दु व चरण, आदर्श शिक्षक, विद्यालय को अच्छे शिक्षक कैसे मिलेंगे, जैसा शिक्षक वैसी शिक्षा, ऐसे शिक्षक कहाँ से मिलेंगे ? |
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| === [[विद्यालय का सामाजिक दायित्व]] === | | === [[विद्यालय का सामाजिक दायित्व]] === |
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− | विद्यालय का प्रशासन, शिक्षा का यूरोपीकरण, शिक्षा सरकार के अधीन, शिक्षा अर्थ के अधीन, शिक्षा की सभी व्यवस्थाएँ वही की वही, प्राचीनभारत में शिक्षा का स्वरूप, आज की विडम्बना, ऐसे में शिक्षा कैसे होगी ?, शिक्षा में भारतीय करण के उपाय, विद्यालय की यान्त्रिकता को कैसे दूर करें, मनुष्य यंत्र द्वारा संचालित न हो, यंत्र आधारित वर्तमान व्यवस्था, उपाय योजना, विद्यालयीन शिष्टाचार, व्यवहार कैसा होना चाहिये ? , विनयशील व्यवहार का अर्थ, १. शिक्षक के हृदय में प्रेम, आचारनिष्ठा व ज्ञाननिष्ठा का अभाव, २. शिक्षक और मुख्याध्यापक के आपसी व्यवहार में भी शिष्ट आचरण अपेक्षित है ।, २. समस्या का हल करना मुख्याध्यापक का दायित्व है, ४. विद्यालय की गरिमा व पवित्रता की रक्षा, विद्यालय संचालन में विद्यार्थियों का सहभाग, विद्यालय क्या है, विद्यालय एक परिवार है, विद्यार्थी क्या कर सकते हैं, इसे सम्भव बनाने के उपाय, विद्यालय और पूर्व छात्र, विद्यालय और पूर्व छात्र का सम्धबन्ध, विद्यालय के प्रति कृतज्ञता का भाव जगाना, विद्यालय चलाने की जिम्मेदारी साँझी, विद्यालय तंत्र कैसा है ? विद्यालय में विद्यार्थियों का काम क्या होगा ?, वर्तमान में ये बातें होती क्यों नहीं हैं ?, विद्यालय का रंगमंच कार्यक्रम, विद्यालय सामाजिक चेतना का केन्द्र, समाज का अर्थ, परिवार भावना मूल आधार है, समाज धर्म व संस्कृति से चलता है, संस्कृति सनातन है , शिक्षा संस्कृति का हस्तान्तरण करती है, विद्यालय की भूमिका, सामाजिक रीतियों का शोधन करना पूरे दिन का विद्यालय, कैसे विचार करना चाहिए आवासीय विद्यालय, १. प्रयोजन, २. स्वरूप, आवासीय विद्यालय, आज वे कैसे चलते हैं ?, एक समझने लायक उदाहरण, ये विद्यालय गुरुकुलों की तरह सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए चलने चाहिये । सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का क्या करें, वर्तमान स्थिति, शिक्षक क्यों नहीं पढ़ाते ?, उपाय कया है, कुछ इस प्रकार विचार कर सकते हैं... | + | विद्यालय का प्रशासन, शिक्षा का यूरोपीकरण, शिक्षा सरकार के अधीन, शिक्षा अर्थ के अधीन, शिक्षा की सभी व्यवस्थाएँ वही की वही, प्राचीनभारत में शिक्षा का स्वरूप, आज की विडम्बना, ऐसे में शिक्षा कैसे होगी ?, शिक्षा में भारतीय करण के उपाय, विद्यालय की यान्त्रिकता को कैसे दूर करें, मनुष्य यंत्र द्वारा संचालित न हो, यंत्र आधारित वर्तमान व्यवस्था, उपाय योजना, विद्यालयीन शिष्टाचार, व्यवहार कैसा होना चाहिये ? , विनयशील व्यवहार का अर्थ, १. शिक्षक के हृदय में प्रेम, आचारनिष्ठा व ज्ञाननिष्ठा का अभाव, २. शिक्षक और मुख्याध्यापक के आपसी व्यवहार में भी शिष्ट आचरण अपेक्षित है ।, २. समस्या का हल करना मुख्याध्यापक का दायित्व है, ४. विद्यालय की गरिमा व पवित्रता की रक्षा, विद्यालय संचालन में विद्यार्थियों का सहभाग, विद्यालय क्या है, विद्यालय एक परिवार है, विद्यार्थी क्या कर सकते हैं, इसे सम्भव बनाने के उपाय, विद्यालय और पूर्व छात्र, विद्यालय और पूर्व छात्र का सम्धबन्ध, विद्यालय के प्रति कृतज्ञता का भाव जगाना, विद्यालय चलाने की जिम्मेदारी साँझी, विद्यालय तंत्र कैसा है ? विद्यालय में विद्यार्थियों का काम क्या होगा ?, वर्तमान में ये बातें होती क्यों नहीं हैं ?, विद्यालय का रंगमंच कार्यक्रम, विद्यालय सामाजिक चेतना का केन्द्र, समाज का अर्थ, परिवार भावना मूल आधार है, समाज धर्म व संस्कृति से चलता है, संस्कृति सनातन है , शिक्षा संस्कृति का हस्तान्तरण करती है, विद्यालय की भूमिका, सामाजिक रीतियों का शोधन करना पूरे दिन का विद्यालय, कैसे विचार करना चाहिए आवासीय विद्यालय, १. प्रयोजन, २. स्वरूप, आवासीय विद्यालय, आज वे कैसे चलते हैं ?, एक समझने लायक उदाहरण, ये विद्यालय गुरुकुलों की तरह सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए चलने चाहिये । सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का क्या करें, वर्तमान स्थिति, शिक्षक क्यों नहीं पढ़ाते ?, उपाय क्या है, कुछ इस प्रकार विचार कर सकते हैं... |
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| === [[परिवार की शैक्षिक भूमिका]] === | | === [[परिवार की शैक्षिक भूमिका]] === |
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| === [[विद्यालय की भौतिक व्यवस्थाएँ]] === | | === [[विद्यालय की भौतिक व्यवस्थाएँ]] === |
− | 'विद्यालय की भौतिक व्यवस्थाएँ एवं वातावरण, (१) विद्यालय | + | 'विद्यालय की भौतिक व्यवस्थाएँ एवं वातावरण, (१) विद्यालय सरस्वती का पावन मंदिर है, (२) विद्यालय परिसर प्रकृति की गोद में हो, (३) चार दीवारी के विद्यालय कल कारखाने हैं, (४) विद्यालयीन व्यवस्था शास्त्रानुसार हो, (५) विद्यालयीन व्यवस्था का केन्द्र बिन्दु बालक, (६) विद्यालय भवन निर्माण वास्तुशास्त्र के अनुसार हो, (७) कक्षा कक्ष में बैठक व्यवस्था योग के अनुसार हो, (८) विद्यालय में जल व्यवस्था स्वास्थ्य के अनुकूल हो, (९) विद्यालय में तापमान नियन्त्रण की प्राकृतिक व्यवस्था हो, कुछ प्राकृतिक उपाय इस प्रकार हैं, (१०) विद्यालय में ध्वनि व्यवस्था भारतीय शिल्पशास्त्रानुसार हो, (११) विद्यालय वेश मौसम के अनुसार हो, (१२) विद्यालय वातावरण संस्कारक्षम हो, विद्यालय का भवन, प्रश्नावली से पाप्त उत्तर, अभिमत, विद्यालय भवन : शिक्षा संकल्पना का मूर्त रूप, विद्यालय भवन का भौतिक पक्ष , भवन का भावात्मक पक्ष, विद्यालय का कक्षाकक्ष, प्रश्नावली से पाप्त उत्तर, विमर्श, खिड़कियों की ऊँचाई, बैठने की दिशा, हवा, प्रकाश, ध्वनि व तापमान, विषयानुसार कक्ष रचना, विद्यालयों में स्वच्छता, प्रश्नावली से पाप्त उत्तर, स्वच्छता के सम्बन्ध में इस प्रकार विचार करना चाहिये... विद्यालय का बगीचा,, प्रश्नावली से पाप्त उत्तर, विमर्श, विद्यालय की वाहनव्यवस्था , प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर, विमर्श, वाहन की व्यवस्था क्यों करनी पड़ती है ?, कैसे ?, कुछ इस प्रकार से उपाय करने होंगे... विद्यालय में ध्वनिव्यवस्था, प्रश्नावली से पाप्त उत्तर |
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− | सरस्वती का पावन मंदिर है, (२) विद्यालय परिसर प्रकृति की गोद में | |
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− | हो, (३) चार दीवारी के विद्यालय कल कारखाने हैं, | |
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− | (४) विद्यालयीन व्यवस्था शास्त्रानुसार हो, (५) विद्यालयीन व्यवस्था | |
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− | का केन्द्र बिन्दु बालक, (६) विद्यालय भवन निर्माण वास्तुशास्त्र के | |
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− | अनुसार हो, (७) कक्षा कक्ष में बैठक व्यवस्था योग के अनुसार हो, | |
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− | (८) विद्यालय में जल व्यवस्था स्वास्थ्य के अनुकूल हो, | |
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− | (९) विद्यालय में तापमान नियन्त्रण की प्राकृतिक व्यवस्था हो, कुछ | |
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− | प्राकृतिक उपाय इस प्रकार हैं, (१०) विद्यालय में ध्वनि व्यवस्था | |
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− | भारतीय शिल्पशास्त्रानुसार हो, (११) विद्यालय वेश मौसम के | |
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− | अनुसार हो, (१२) विद्यालय वातावरण संस्कारक्षम हो, विद्यालय | |
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− | का भवन, प्रश्नावली से पाप्त उत्तर, अभिमत, विद्यालय भवन : | |
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− | शिक्षा संकल्पना का मूर्त रूप, विद्यालय भवन का भौतिक पक्ष , | |
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− | भवन का भावात्मक पक्ष, विद्यालय का कक्षाकक्ष, प्रश्नावली से | |
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− | पाप्त उत्तर, विमर्श, खिड़कियों की ऊँचाई, बैठने की दिशा, हवा, | |
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− | प्रकाश, ध्वनि व तापमान, विषयानुसार कक्ष रचना, विद्यालयों में | |
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− | स्वच्छता, प्रश्नावली से पाप्त उत्तर, स्वच्छता के सम्बन्ध में इस | |
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− | प्रकार विचार करना चाहिये... विद्यालय का बगीचा,, प्रश्नावली | |
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− | से पाप्त उत्तर, विमर्श, विद्यालय की वाहनव्यवस्था , प्रश्नावली से | |
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− | प्राप्त उत्तर, विमर्श, वाहन की व्यवस्था क्यों करनी पड़ती है ?, | |
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− | कैसे ?, कुछ इस प्रकार से उपाय करने होंगे... विद्यालय में | |
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− | ध्वनिव्यवस्था, प्रश्नावली से पाप्त उत्तर | |
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| === [[विद्यालय की आर्थिक व्यवस्थाएँ]] === | | === [[विद्यालय की आर्थिक व्यवस्थाएँ]] === |
− | विद्यालय की शुल्कव्यवस्था, अभिमत, विद्यालय में | + | विद्यालय की शुल्कव्यवस्था, अभिमत, विद्यालय में मसितव्ययिता, प्रश्नावली से पाप्त उत्तर, विमर्श, मितव्ययिता के उदाहरण, विद्यालय की अर्थव्यवस्था, अभिमत, विद्यालय में अर्थ क्यों चाहिये ?, मूल विचार जानना, अर्थविचार, अर्थ द्वारा संचालित तंत्र, निःशुल्क शिक्षा के प्रयोग, निःशुल्क शिक्षा एवं शिक्षक, शिक्षक स्वतंत्र होना चाहिए, अनुवर्ती योजना हेतु विचारणीय बिन्दु, शिक्षा का रमणीयवृक्ष, मूले कुठाराघात आवश्यक है, शिक्षक के योगक्षेम का प्रश्न, शिक्षा के नाम पर अनावश्यक खर्च, शिक्षा को बाजारीकरण से मुक्त करना, अर्थपुरुषार्थ, अर्थनिरपेक्ष शिक्षाव्यवस्था, समित्पाणि , भिक्षा, गुरुदक्षिणा, दान, समीक्षा, व्यर्थ का खर्च टालें, फालतू खर्चमत करो, व्यर्थ में पानी मत बहाओ, बिजली जलाओ, सावधानी से, लकड़ी कुदरती सम्पत्ति है, पेट्रोल - डीजल बचाओ, अन्न को बचाओ, पुस्तकों व कॉपियों को सम्भालकर रखो, कपड़ों को साफ रखो, पैसा सोच-समझकर खर्चकरो, समय का पालन करना सीखो, शक्ति का सदुपयोग करो, मीठा बोलो, तोल कर बोलो, योग्य अवसर का लाभ उठाओ, व्यर्थ मत गँवाओ, स्वायत्तता और अर्थक्षेत्र का प्रबोधन, अर्थनिष्ठ नहीं, धर्मनिष्ठ समाजव्यवस्था, ईश्वरप्रदत्त सम्पत्ति का बिकाऊ होना, अर्थनिरपेक्ष कैसे बनना, परिवर्तन के बिन्दु, अर्थक्षेत्र को भारतीय बनाना, शिक्षा क्षेत्र को अर्थनिरपेक्ष बनाना, सरकार की भूमिका, शिक्षा की स्थिरता एवं स्वायत्तता, स्वायत्तता की वस्तुस्थिति, शिक्षा स्वायत्त कैसे हो सकती है, अर्थ शिक्षाक्षेत्र को भी ग्रसित करता है, अर्थक्षेत्र के नियमन और निर्देशन के सूत्र, मूलसूत्रों की शिक्षा विश्वविद्यालय दे |
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− | मसितव्ययिता, प्रश्नावली से पाप्त उत्तर, विमर्श, मितव्ययिता के | |
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− | उदाहरण, विद्यालय की अर्थव्यवस्था, अभिमत, विद्यालय में अर्थ | |
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− | क्यों चाहिये ?, मूल विचार जानना, अर्थविचार, अर्थ द्वारा | |
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− | संचालित तंत्र, निःशुल्क शिक्षा के प्रयोग, निःशुल्क शिक्षा एवं | |
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− | शिक्षक, शिक्षक स्वतंत्र होना चाहिए, अनुवर्ती योजना हेतु | |
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− | विचारणीय बिन्दु, शिक्षा का रमणीयवृक्ष, मूले कुठाराघात आवश्यक | |
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− | है, शिक्षक के योगक्षेम का प्रश्न, शिक्षा के नाम पर अनावश्यक | |
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− | खर्च, शिक्षा को बाजारीकरण से मुक्त करना, अर्थपुरुषार्थ, | |
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− | अर्थनिरपेक्ष शिक्षाव्यवस्था, समित्पाणि , भिक्षा, गुरुदक्षिणा, दान, | |
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− | समीक्षा, व्यर्थ का खर्च टालें, फालतू खर्चमत करो, व्यर्थ में पानी | |
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− | मत बहाओ, बिजली जलाओ, सावधानी से, लकड़ी कुदरती सम्पत्ति | |
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− | है, पेट्रोल - डीजल बचाओ, अन्न को बचाओ, पुस्तकों व कॉपियों | |
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− | को सम्भालकर रखो, कपड़ों को साफ रखो, पैसा सोच-समझकर | |
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− | खर्चकरो, समय का पालन करना सीखो, शक्ति का सदुपयोग करो, | |
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− | मीठा बोलो, तोल कर बोलो, योग्य अवसर का लाभ उठाओ, व्यर्थ | |
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− | मत गँवाओ, स्वायत्तता और अर्थक्षेत्र का प्रबोधन, अर्थनिष्ठ | |
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− | नहीं, धर्मनिष्ठ समाजव्यवस्था, ईश्वरप्रदत्त सम्पत्ति का बिकाऊ होना, | |
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− | अर्थनिरपेक्ष कैसे बनना, परिवर्तन के बिन्दु, अर्थक्षेत्र को भारतीय | |
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− | बनाना, शिक्षा क्षेत्र को अर्थनिरपेक्ष बनाना, सरकार की भूमिका, | |
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− | शिक्षा की स्थिरता एवं स्वायत्तता, स्वायत्तता की वस्तुस्थिति, शिक्षा | |
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− | स्वायत्त कैसे हो सकती है, अर्थ शिक्षाक्षेत्र को भी ग्रसित करता | |
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− | है, अर्थक्षेत्र के नियमन और निर्देशन के सूत्र, मूलसूत्रों की शिक्षा | |
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− | विश्वविद्यालय दे | |
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| === [[सम्पूर्ण शिक्षा क्षेत्र का विचार]] === | | === [[सम्पूर्ण शिक्षा क्षेत्र का विचार]] === |
− | धर्माचार्यों की भूमिका, शिक्षा धर्म सिखाती है, धर्माचार्य किसे | + | धर्माचार्यों की भूमिका, शिक्षा धर्म सिखाती है, धर्माचार्य किसे कहेंगे ?, आज हम क्या करें ?, तप के उदाहरण, धर्माचार्यों के लिये तप, समाज के लिये तप, भारत के शिक्षाक्षेत्र की पुर्नचना, भारत में भारतीय शिक्षा होनी चाहिये, भारतीय शिक्षा हेतु कार्यरत संगठन, वैश्विक शिक्षा के हिमायती, अधार्मिकता का आधार, शिक्षा भारतीय कब होगी ?, भारतीय शिक्षा के विचारणीय सूत्र, आज के जमाने में यह नहीं चलेगा, पुरुषार्थ करने की आवश्यकता है, भारतीय के आयाम इस प्रकार हैं..., शैक्षिक पुर्नरचना, अध्ययन और अनुसन्धान, पाठ्यक्रम निर्माण, सन्दर्भ साहित्य का निर्माण, आर्थिक पुर्नरचना, शिक्षा के व्यवस्थापक्ष की पु्नरचना, किसकी शिक्षा कहाँ और कैसे हो |
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− | कहेंगे ?, आज हम क्या करें ?, तप के उदाहरण, धर्माचार्यों के लिये | |
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− | तप, समाज के लिये तप, भारत के शिक्षाक्षेत्र की पुर्नचना, | |
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− | भारत में भारतीय शिक्षा होनी चाहिये, भारतीय शिक्षा हेतु कार्यरत | |
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− | संगठन, वैश्विक शिक्षा के हिमायती, अभारतीयता का आधार, शिक्षा | |
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− | भारतीय कब होगी ?, भारतीय शिक्षा के विचारणीय सूत्र, आज के | |
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− | जमाने में यह नहीं चलेगा, पुरुषार्थ करने की आवश्यकता है, भारतीय | |
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− | के आयाम इस प्रकार हैं..., शैक्षिक पुर्नरचना, | |
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− | अध्ययन और अनुसन्धान, पाठ्यक्रम निर्माण, सन्दर्भ साहित्य का | |
− | | |
− | निर्माण, आर्थिक पुर्नरचना, शिक्षा के व्यवस्थापक्ष की पु्नरचना, | |
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− | किसकी शिक्षा कहाँ और कैसे हो | |
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| == पर्व ५ : विविध == | | == पर्व ५ : विविध == |
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| === [[आलेख]] === | | === [[आलेख]] === |
− | अर्थकरी शिक्षा के व्यावहारिक आयाम, कामकरी शिक्षा के | + | अर्थकरी शिक्षा के व्यावहारिक आयाम, कामकरी शिक्षा के व्यावहारिक आयाम, धर्मकरी शिक्षा के व्यावहारिक आयाम, भवननिर्माण के मूल सूत्र, स्पर्धा होनी चाहिये या नहीं, परीक्षा के सम्बन्ध में पुनर्विचार, परीक्षा के सम्बन्ध में पुनर्विचार, वृद्धावस्था की शिक्षा के आयाम, प्रौठावस्था की शिक्षा, सोने के नियम, आहार के नियम, अच्छी शिक्षा प्राप्त करने हेतु यह करें, अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिये यह न करें, अच्छी शिक्षा के अवरोध, विश्वविद्यालयों का संकट, शिक्षाविषयक सरकारी तन्त्र की कठिनाई, क्या मातापिता इतना साहस कर सकते हैं, क्या महाविद्वायलयीन विद्यार्थियों में इतना साहस है, क्या शिक्षकों में इतना साहस है कि... शिक्षा को भारतीय बनाने हेतु यह किया जाय, आयु की अवस्था एवं करण |
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− | व्यावहारिक आयाम, धर्मकरी शिक्षा के व्यावहारिक आयाम, | |
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− | भवननिर्माण के मूल सूत्र, स्पर्धा होनी चाहिये या नहीं, परीक्षा के | |
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− | सम्बन्ध में पुनर्विचार, परीक्षा के सम्बन्ध में पुनर्विचार, वृद्धावस्था की | |
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− | शिक्षा के आयाम, प्रौठावस्था की शिक्षा, सोने के नियम, आहार के | |
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− | नियम, अच्छी शिक्षा प्राप्त करने हेतु यह करें, अच्छी शिक्षा प्राप्त | |
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− | करने के लिये यह न करें, अच्छी शिक्षा के अवरोध, विश्वविद्यालयों | |
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− | का संकट, शिक्षाविषयक सरकारी तन्त्र की कठिनाई, क्या मातापिता | |
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− | इतना साहस कर सकते हैं, क्या महाविद्वायलयीन विद्यार्थियों में इतना | |
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− | साहस है, कया शिक्षकों में इतना साहस है कि... शिक्षा को भारतीय | |
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− | बनाने हेतु यह किया जाय, आयु की अवस्था एवं करण | |
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| === [[भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम प्रश्नावलि]] === | | === [[भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम प्रश्नावलि]] === |
− | १, विद्यालय का समय, २ विद्यालय का गणवेश, डे विद्यालय की | + | १, विद्यालय का समय, २ विद्यालय का गणवेश, डे विद्यालय की बैठक व्यवस्था, ४ छात्रों का बस्ता, ५ विद्यालय की वाहनव्यवस्था, ६ विद्यालय में छात्रों द्वारा प्रयुक्त साधनसामग्री , ७ आचार्य के द्वारा प्रयुक्त साधनसामग्री, ८ गृहकार्य, ९ विद्यालय का कक्षाकक्ष, १० विद्यालयों में स्वच्छता, ११ विद्यालय में पर्यावरण सुरक्षा, १२ विद्यालय में ध्वनिव्यवस्था, १३ विद्यालय में पवित्रता, १४ विद्यालय में पानी की व्यवस्था, १५ विद्यालय में मध्यावकाश का भोजन/अल्पाहार, १६ विद्यालय की दैनंदिन गतिविधियाँ, १७ विद्यालय में सुविधायें, १८ विद्यालय में मितव्ययिता, १९ विद्यालय का बगीचा, २० विद्यालय में पुस्तकालय, २१ विद्यालय की शुल्कब्यवस्था, २२ विद्यालय एवं परिवार, २३ घर में छात्रविकास, २४ विद्यालय में सांस्कृतिक गतिविधियाँ, २५ विद्यालय का शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम, २६ विद्यालय की अर्थव्यवस्था, २७ विद्यालय की प्रतिष्ठा, २८ विद्यालय में ट्यूशन, २९ विद्यालय में प्रतियोगितायें, ३० विद्यालय किसका ?, ३१ विद्यालय का भवन |
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− | बैठक व्यवस्था, ४ छात्रों का बस्ता, ५ विद्यालय की वाहनव्यवस्था, | |
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− | ६ विद्यालय में छात्रों द्वारा प्रयुक्त साधनसामग्री , ७ आचार्य के द्वारा | |
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− | प्रयुक्त साधनसामग्री, ८ गृहकार्य, ९ विद्यालय का कक्षाकक्ष, | |
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− | १० विद्यालयों में स्वच्छता, ११ विद्यालय में पर्यावरण सुरक्षा, | |
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− | १२ विद्यालय में ध्वनिव्यवस्था, १३ विद्यालय में पवित्रता, | |
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− | १४ विद्यालय में पानी की व्यवस्था, १५ विद्यालय में मध्यावकाश का | |
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− | भोजन/अल्पाहार, १६ विद्यालय की दैनंदिन गतिविधियाँ, | |
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− | १७ विद्यालय में सुविधायें, १८ विद्यालय में मितव्ययिता, | |
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− | १९ विद्यालय का बगीचा, २० विद्यालय में पुस्तकालय, २१ विद्यालय | |
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− | की शुल्कब्यवस्था, २२ विद्यालय एवं परिवार, २३ घर में | |
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− | छात्रविकास, २४ विद्यालय में सांस्कृतिक गतिविधियाँ, २५ विद्यालय | |
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− | का शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम, २६ विद्यालय की अर्थव्यवस्था, | |
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− | २७ विद्यालय की प्रतिष्ठा, २८ विद्यालय में ट्यूशन, २९ विद्यालय में | |
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− | प्रतियोगितायें, ३० विद्यालय किसका ?, ३१ विद्यालय का भवन | |
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| === [[एक सर्वसामान्य प्रश्रनोत्तरी]] === | | === [[एक सर्वसामान्य प्रश्रनोत्तरी]] === |
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− | == परिशिष्ट == | + | ==References== |
− | | + | <references />भारतीय शिक्षा : भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ३), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे |
− | === [[सन्दर्भ ग्रन्थ सूची]] ===
| + | [[Category:Dharmik Shiksha Granthmala(धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला)]] |
− | | + | [[Category:Education Series]] |
− | === [[लेखकों , सम्पादकों व संकलन कर्ताओं की सूची]]. ===
| + | [[Category:धार्मिक शिक्षा : धार्मिक शिक्षा के व्यावहारिक आयाम]] |
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− | === [[पाठ्यक्रमों की रूपरेखा निर्माणकर्ताओं की सूची]] ===
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− | === [[ग्रन्थ अनुक्रमणिका]] ===
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− | === [[पुनरुत्थान विद्यापीठ]] ===
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− | === [[प्रकाशनसूची]] ===
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