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parv 4
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अभिभा
 
अभिभा
 
 
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वकों ने स्वीकार ही नहीं करना आदि अनेक
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अवरोध निर्माण हो जाते हैं । ये अवरोध शिक्षा के
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सम्यक दृष्टिकोण के अभाव के कारण होते हैं । इन
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अवरोधों को दूर करने के लिये शिक्षक शिक्षा का
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और अभिभावक प्रबोधन का प्रबन्ध विद्यालय में ही
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होना चाहिये ।
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जहां विद्यालय के साथ थोड़ी अधिक भूमि है वहाँ
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विद्यालय के निभाव के लिये बागवानी विकसित
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करना भी विद्यालय का कार्य है ।
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विद्यालय की वाहनव्यवस्था
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छात्रों, आचार्यों, अन्य कर्मचारियों को विद्यालय
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में आने के लिये वाहन होना चाहिये क्या ? यदि
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हां, तो क्यों ?
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घर से विद्यालय की दूरी कितनी होनी चाहिये ?
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दूरी के अनुसार वाहन किस प्रकार का होना
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चाहिये ?
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कौन सा वाहन किस प्रकार का होना चाहिये ?
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(१) बस (२) कार (३) टैम्पो (४) ऑटोरिक्षा
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............. page-247 .............
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पर्व ४ : विद्यालय की भौतिक एवं आर्थिक व्यवस्थाएँ
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(५) साईकिल रिक्षा (६) स्कूटर (७) साईकिल ५. दो किमी दूर तक विद्यालय में
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(८) तांगा (९) बैलगाड़ी (१०) ऊँटगाडी (११) पैदल ही जाना चाहिए । ऐसा सबका मत था ।
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अन्य । ६. जो बच्चे कार से विद्यालय आते हैं, उनके प्रति
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५. घर से विद्यालय कितनी दूरी पर हो तो पैदल छात्रों एवं आचार्यों में यह धारणा बनती हैं कि वे तो अमीर
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जाना चाहिये ? घर के हैं। जो उचित नहीं है। अतः सभी छात्रों को
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६.. सुविधा, खर्च एवं पर्यावरण की दृष्टि से... विद्यालय वाहन से ही आना चाहिए । यह सबका मत था ।
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वाहनव्यवस्था के सम्बन्ध में क्या विचार करना ७. विद्यालय की वाहन व्यवस्था से निर्माण होने
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चाहिये ? वाली असुविधाएँ एवं समस्याएँ सब जानते हैं । वाहनों के
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७... वाहनव्यवस्था के साथ प्रतिष्ठा का भी सम्बन्ध... कारण होने वाली दुर्घटनाएँ, वाहन चालकों की लापरवाही,
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जुड़ गया है। इसके सम्बन्ध में उचित विचार एवं... वाहन के खराब हो जाने पर विद्यालय में अनुपस्थिति, एक
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व्यवस्था कैसे करें ? ही वाहन में अपेक्षा से अधिक संख्या, वाहन के कारण घर
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é. कभी कभी छात्रों को नौकर या अभिभावक... से जल्दी आना व देर से घर पहुँचना आदि कठिनाइयाँ खड़ी
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छोड़ने आते हैं । उसका क्या प्रभाव होता है ? होती हैं ।
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९. वाहनव्यवस्था से असुविधा भी हो सकती है अभिमत :
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क्या ? यदि हां, तो किस प्रकार की ? सभी उत्तरों को पढनें से ऐसा लगा कि हम स्वयं
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१०, वाहन के कारण से क्या क्या समस्‍यायें निर्माण समस्या निर्माण करने वाले हैं और हम ही उनका समर्थन
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हो सकती हैं ? करने वाले हैं । सबसे अच्छी व्यवस्था तो यही है कि जिस
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आयु का बालक जितनी दूर पैदल जा सकता है, उतनी दूर
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पर ही उसका विद्यालय होना चाहिए । पैदल जाते समय
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इस प्रश्नावली को भरवाने में गाँधीनगर की विद्याबहन . मित्रों का साथ उन्हें आनन्ददायी लगता है । शारीरिक
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पसारी का सहयोग रहा । दस प्रश्नों की इस प्रश्नावली में... स्वस्थता एवं स्वावलम्बन दोनों ही सहज में मिलते हैं ।
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प्राचार्य, प्राध्यापक, संस्थाचालक, गृहिणी एवं शिक्षक भी... आते जाते मार्ग के टरश्य, घटनाएँ बहुत कुछ अनायास ही
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सम्मिलित हुए । उनके उत्तर इस प्रकार थे : सिखा देती है । ऐसी अनुकूलता की अनेक बातें छोड़कर
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१. छात्र-कर्मचारी, आचार्य आदि सबको लाने के... हम प्रतिकूल परिस्थिति में जीवन जीते हैं, ऐसा क्‍यों ? तो
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लिए वाहन व्यवस्था आवश्यक है । इस व्यवस्था से पैसे व. ध्यान में आता है कि अपने बालक को केजी से पीजी तक
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प्रश्नावली से प्राप्त उत्तर
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समय दोनों की बचत होती है । ऐसा सबका मत था । की शिक्षा एक ही अच्छी संस्था में हो वही भेजना ऐसे
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२. घर से विद्यालय की दूरी जितनी कम उतना ही... दुराग्रह रखने से होता है । इसके स्थान पर जो विद्यालय
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अच्छा, यह बात तत्त्वतः सबको ही मान्य है । पास में है, उसे ही अच्छा बनाने में सहयोगी होना । ऐसा
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३. विद्यालय की दूरी को ध्यान में रखकर वाहन का... विचार यदि अभिभावक रखेंगे तो शिक्षा आनन्द दायक व
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चयन करना चाहिए । साँझा वाहन अच्छा, ऐसा अभिप्राय.. तनावमुक्त होगी । छोटे छोटे गाँवों में बैलगाडी, ऊँटगाडी,
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तीसरे प्रश्न के उत्तर में प्राप्त हुआ । घोडागाडी से विद्यालय जाना कितना सुखकर होता था, यह
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४. पर्यावरण की हानि न हो, ऐसे वाहनों का ही... हम भूल गये हैं । इन वाहनों की गति कम होने से दुर्घटना
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उपयोग होना चाहिए । यह उत्तर बहन मीनाक्षी सोमानी होने की सम्भावना भी कम और मार्ग में निरीक्षण करते जाने
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तथा पूजा राठीने दिया है । शेष सबने स्कूल बस का ही... का आनन्द अधिक मिलता है । निर्जीव वाहनों में यात्रा
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पर्याय सुझाया है । करने के स्थान पर जीवित प्राणियों के साथ प्रवास करने से
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R38
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............. page-248 .............
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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उन प्राणियों के प्रति संवेदना जाग्रत ... ऑटोरिक्षा : शिशु से लेकर किशोर आयु के विद्यार्थी
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होती है और उनसे आत्मीयता बढती है । इस व्यवस्था में आतेजाते हैं ।
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बच्चों का आनन्द बडों की समझ में नहीं आता | हम... २... साइकिलरट्क्षा : क्लचित इनका भी प्रयोग होता है और
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उन्हें भी अपने जैसा अव्यवहारिक तथा असंवेदनशील शिशु और बाल आयु के विद्यार्थी इनमें जाते हैं ।
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बनाते जाते हैं । इसी प्रकार २ किमी से लेकर ५ किमी तक... ३... स्कूटर और मोटर साइकिल : महाविद्यालयीन
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की दूरी है तो साइकिल का उपयोग हर दृष्टि से लाभदायक विद्यार्थियों का यह अतिप्रिय वाहन है । छोटी आयु
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रहता है । पर्याप्त शारीरिक व्यायाम हो जाता है, किसी भी के छात्रों को उनके अभिभावक लाते ले जाते हैं ।
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प्रकार का प्रदूषण नहीं होता और साथ ही साथ पैसा व... ४... साइकिल : बाल और किशोर साइकिल का भी
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समय दोनों बचते हैं । इसलिए स्थान स्थान पर अच्छे व प्रयोग करते हैं ।
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छोटे छोटे विद्यालय खड़ें करने चाहिए । ५... कार : धनाढ्य परिवारों के बालकों के लिये
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वर्तमान समय में अनेक WAT TOTS के कारण मातापिता कार की सुविधा देते हैं । महाविद्यालयीन
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हमने अपने लिये अनेक समस्याओं को मोल लिया है । विद्यार्थी स्वयं भी कार लेकर आते हैं ।
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उनमें एक वाहन की समस्या है। अपनी सन्तानों को... ६.. स्कूल बस : महाविद्यालयों में जिस प्रकार मोटर-
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विद्यालय भेजना अथवा बडे विद्यार्थी हों तो विद्यालय जाना साइकिल बहुत प्रचलित है उस प्रकार शिशु से
 +
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महँगा हो रहा है उसमें एक हिस्सा वाहन का खर्च है । किशोर आयु के विद्यार्थियों के लिये स्कूल बस
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अत्यन्त प्रचलित वाहन है। इसकी व्यवस्था
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विमर्श क्यों विद्यालय द्वारा ही की जाती है । कभी विद्यालयों की
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वाहन की व्यवस्था क्यों करनी पड़ती है ? ओर से ऑटोरिक्षा का प्रबन्ध भी किया जाता है ।
 +
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०... विद्यालय घर से इतना दूर है कि बालक पैदल हमें एक दृष्टि से लगता है कि वाहन के कारण
 +
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चलकर नहीं जा सकते । सुविधा होती है । परन्तु वाहन के कारण अनेक प्रकार की
 +
 +
०"... यदि पैदल चलकर जा भी सकते हैं तो सडकों पर... समस्‍यायें भी निर्माण होती हैं ।
 +
 +
वाहनों का यातायात इतना अधिक है कि उनकी
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ने कैसे ?
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सुरक्षा के विषय में भय लगता है ।
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०... पैदल चलकर जा भी सकते हैं तो अब छोटे या बडे .... १. सबसे बडी समस्या है प्रदूषण की । झट से कोई कह
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विद्यार्थियों में इतनी शक्ति नहीं रही कि वे चल देता है कि सीएनजी के कारण अब उतना प्रदूषण
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सकें । उन्हें थकान होती है । नहीं होता जितना पहले होता था । यह तो ठीक है
 +
 +
© पैदर चलने की शक्ति है तो मानसिकता नहीं है । परन्तु ईंधन की पैदाइश से लेकर प्रयोग तक सर्वत्र
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पैदल चलना अच्छा नहीं लगता । पैदल चलने में वह प्रदूषण का ही स्रोत बनता है । अनदेखी की जा
 +
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प्रतिष्ठा नहीं लगती । सके इतनी सामान्य समस्या यह नहीं है ।
 +
 +
०... पैदल चलकर यदि सम्भव भी है तो लगता है कि आने... २... यातायात की भीड : वाहनों की संख्या इतनी बढ गई
 +
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जाने में ही इतना समय बरबाद हो जायेगा की पढने का है कि सडकों पर उनकी भीड हो जाती है । ट्रैफिक
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समय कम हो जायेगा । थक जायेंगे तो पढ़ेंगे कैसे ? की समस्या महानगरों में तो विकट बन ही गई है,
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 +
इन कारणों से वाहन की आवश्यकता निर्माण होती अब वह नगरों की ओर गति कर रही है । इससे
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है । विद्यालय जाने के लिये जिन वाहनों का प्रयोग होता है कोलाहल अर्थात्‌ ध्वनि प्रदूषण पैदा होता है। हम
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वे कुछ इस प्रकार के हैं जानते ही नहीं है कि यह हमारी श्रवणेन्द्रिय पर
 +
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RRR
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............. page-249 .............
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पर्व ४ : विद्यालय की भौतिक एवं आर्थिक व्यवस्थाएँ
 +
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गम्भीर अत्याचार है और इससे हमारी मानसिक
 +
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शान्ति का नाश होता है, विचारशक्ति कम होती है ।
 +
 +
वाहनों की भीड के कारण सडर्कें चौडी से अधिक
 +
 +
चौडी बनानी पड़ती हैं। सडक के बहाने फिर
 +
 +
प्राकृतिक संसाधनों के नाश का चक्र शुरू होता है ।
 +
 +
सडकें चौडी बनाने के लिये खेतों को नष्ट किया जाता
 +
 +
है, पुराने रास्तों के किनारे लगे वृक्षों को उखाडा
 +
 +
जाता है । यह संकट कोई सामान्य संकट नहीं है ।
 +
 +
ट्रेफिक जेम होने के कारण समय की और बरबादी होती
 +
 +
है । समय की बरबादी का तो और भी एक कारण है ।
 +
 +
एक बस में यदि २० से ५० विद्यार्थी आते जाते हैं तो
 +
 +
उन्हें आने जाने में एक से ढाई घण्टे खर्च करने पड़ते
 +
 +
हैं। समय एक ऐसी सम्पत्ति है जो अमीर-गरीब के
 +
 +
पास समान मात्रा में ही होती है, और एक बार गई तो
 +
 +
किसी भी उपाय से न पुनः प्राप्त हो सकती है न उसका
 +
 +
खामियाजा भरपाई किया जा सकता है ।
 +
 +
वाहन से यात्रा का प्रभाव शरीरस्वास्थ्य पर भी
 +
 +
विपरीत ही होता है । वाहन के चलने से उसकी गति
 +
 +
से, उसकी आवाज से, उसकी ब्रेक से शरीर पर
 +
 +
आघात होते हैं और दर्द तथा थकान उत्पन्न होते हैं ।
 +
 +
हमारी विपरीत सोच के कारण से हमें समझ में नहीं
 +
 +
आता कि चलने से व्यायाम होता है और शरीर
 +
 +
स्वस्थ बनता है जबकि वाहन से अस्वास्थ्य बढ़ता
 +
 +
है और खर्च भी होता है । वाहन से समय बचता है
 +
 +
ऐसा हमें लगता है परन्तु उसकी कीमत पैसा नहीं,
 +
 +
स्वास्थ्य है ।
 +
 +
वाहन के कारण खर्च बढ़ता है । पढाई के शुल्क से
 +
 +
भी वाहन का खर्च अधिक होता है । परिस्थिति और
 +
 +
मानसिकता के कारण यह खर्च हमें अनिवार्य लगता
 +
 +
है ।
 +
 +
वाहनों की अधिकता के कारण केवल व्यक्तिगत
 +
 +
सम्पदाओं का नाश नहीं होता है, राष्ट्रीय सम्पत्ति का
 +
 +
भी नाश होता है । सुखद जलवायु, समशीतोष्ण
 +
 +
तापमान, खेती, स्वस्थ शरीर और मन वाले मनुष्य
 +
 +
राष्ट्रीय सम्पत्ति ही तो है । वाहनों के अतिरेक से इस
 +
 +
233
 +
 +
सम्पत्ति का हास होता है । यह
 +
 +
समस्या लगती है उससे कहीं अधिक है ।
 +
 +
इन समस्याओं का समाधान क्या है इसका विचार हमें
 +
 +
शान्त चित्त से, बुद्धिपूर्वक, मानवीय दृष्टिकोण से और
 +
 +
व्यावहारिक धरातल पर करना होगा ।
 +
 +
कुछ इस प्रकार से उपाय करने होंगे...
 +
 +
श्,
 +
 +
हमें मानसिकता बनानी पड़ेगी कि पैदल चलना
 +
 +
अच्छा है । उसमें स्वास्थ्य है, खर्च की बचत है,
 +
 +
अच्छाई है और इन्हीं कारणों से प्रतिष्ठा भी है ।
 +
 +
यह केवल मानसिकता का ही नहीं तो व्यवस्था का
 +
 +
भी विषय है । हमें बहुत व्यावहारिक होकर विचार
 +
 +
करना होगा |
 +
 +
विद्यालय घर से इतना दूर नहीं होना चाहिये कि
 +
 +
विद्यार्थी पैदल चलकर न जा सर्कें । शिशुओं के लिये
 +
 +
और प्राथमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिये तो
 +
 +
वह व्यवस्था अनिवार्य है । यहाँ फिर मानसिकता का
 +
 +
प्रश्न अवरोध निर्माण करता है । अच्छे विद्यालय की
 +
 +
ant aaa इतनी विचित्र हैं कि हम इन
 +
 +
समस्याओं का विचार ही नहीं करते । वास्तव में घर
 +
 +
के नजदीक का सरकारी प्राथमिक विद्यालय या कोई
 +
 +
भी निजी विद्यालय हमारे लिये अच्छा विद्यालय ही
 +
 +
माना जाना चाहिये । अच्छे विद्यालय के सर्वसामान्य
 +
 +
नियमों पर जो विद्यालय खरा नहीं उतरता वह
 +
 +
अभिभावकों के दबाव से बन्द हो जाना चाहिये ।
 +
 +
वास्तविक दृश्य यह दिखाई देता है कि अच्छा नहीं
 +
 +
है कहकर जिस विद्यालय में आसपास के लोग अपने
 +
 +
बच्चों को नहीं भेजते उनमें दूर दूर से बच्चे पढने के
 +
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लिये आते ही हैं। निःशुल्क सरकारी प्राथमिक
 +
 +
विद्यालयों को अभिभावक ही अच्छा विद्यालय बना
 +
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सकते हैं । इस सम्भावना को त्याग कर दूर दूर के
 +
 +
विद्यालयों में जाना बुद्धिमानी नहीं है ।
 +
 +
साइकिल पर आनाजाना सबसे अच्छा उपाय है । वास्तव
 +
 +
में विद्यालय ने ऐसा नियम बनाना चाहिये किघर से विद्यालय
 +
 +
की दूरी एक किलोमीटर है तो पैदल चलकर ही आना
 +
 +
............. page-250 .............
 +
 +
है, साइकिल भी नहीं लाना है और पाँच
 +
 +
से सात किलोमीटर है तो साइकिल लेकर ही आना है ।
 +
 +
विद्यालय में पेट्रोल-डीजल चलित वाहन की अनुमति ही
 +
 +
नहीं है । अभिभावक अपने वाहन पर भी छोडने के लिये
 +
 +
न आयें ।
 +
 +
देखा जाता है कि जहाँ ऐसा नियम बनाया जाता है
 +
 +
वहाँ विद्यार्थी या अभिभावक पेट्रोल-डिजल चलित
 +
 +
वाहन तो लाते हैं, परन्तु उसे कुछ दूरी पर रखते हैं और
 +
 +
बाद में पैदल चलकर विद्यालय आते हैं । यह तो इस
 +
 +
बात का निदरद्शक है कि विद्यार्थी और उनके मातापिता
 +
 +
अप्रामाणिक हैं, नियम का पालन करते नहीं हैं इसलिये
 +
 +
अनुशासनहीन हैं और विद्यालय के लोग यह जानते हैं
 +
 +
तो भी कुछ नहीं कर सकते इतने प्रभावहीन हैं ।
 +
 +
वास्तव में इस व्यवस्था को सबके मन में स्वीकृत
 +
 +
करवाना विद्यालय का प्रथम दायित्व है ।
 +
 +
महाविद्यालयों में मोटर साइकिल एक आर्थिक,
 +
 +
पर्यावरणीय और सांस्कृतिक अनिष्ट बन गया है।
 +
 +
मार्गों पर दुर्घटनायें युवाओं के बेतहाशा वाहन चलाने
 +
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के कारण होती हैं । महाविद्यालय के परिसर में और
 +
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आसपास पार्किंग की समस्या इन्हीं के कारण से होती
 +
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है । पिरीयड बंक करने का प्रचलन इसी के आकर्षण
 +
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
 +
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से होता है। मित्रों के साथ मजे करने का एक
 +
 +
माध्यम मोटरसाइकिल की सवारी । वह दस प्रतिशत
 +
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उपयोगी और नब्बे प्रतिशत अनिष्टकारी वाहन बन
 +
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गया है । महाविद्यालयों का किसी भी प्रकार का
 +
 +
नैतिक प्रभाव विद्यार्थियों पर नहीं है इसलिये वे उन्हें
 +
 +
मोटरसाइकिल के उपयोग से रोक नहीं सकते । परन्तु
 +
 +
इसका एकमात्र उपाय नैतिक प्रभाव निर्माण करने का,
 +
 +
विद्यार्थियों का प्रबोधन करने का और महाविद्यालय
 +
 +
में साइकिल लेकर आने की प्रेरणा देने का है । इसके
 +
 +
बाद मोटरसाइकिल लेकर नहीं आने का नियम बनाया
 +
 +
जा सकता है ।
 +
 +
वास्तव में साइकिल संस्कृति का विकास करने की
 +
 +
आवश्यकता है । सडकों पर साइकिल के लिये अलग
 +
 +
से व्यवस्था बन सकती है । पैदल चलनेवालों और
 +
 +
साइकिल का प्रयोग करने वालों की प्रतिष्ठा set
 +
 +
चाहिये । विद्यालयों ने इसे अपना मिशन बनाना
 +
 +
चाहिये । सरकार ने आवाहन करना चाहिये । समाज
 +
 +
के प्रतिष्ठित लोगों ने नेतृत्व करना चाहिये ।
 +
 +
जिस दिन वाहनव्यवस्था और वाहनमानसिकता में
 +
 +
परिवर्तन होगा उस दिन से हम स्वास्थ्य, शान्ति और समृद्धि
 +
 +
की दिशा में चलना शुरू करेंगे ।
 +
 +
विद्यालय में ध्वनिव्यवस्था
 +
 +
ध्वनि प्रदूषण का क्या अर्थ है ?
 +
 +
विद्यालय में ध्वनि प्रदूषण किन किन स्रोतों से
 +
 +
होता है ?
 +
 +
अच्छी ध्वनिव्यवस्था का क्या अर्थ है ?
 +
 +
ध्वनि का शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य पर क्या
 +
 +
ग्रभाव होता है ?
 +
 +
ध्वनि व्यवस्था की दृष्टि से निम्नलिखित बातों में
 +
 +
क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिये ?
 +
 +
१, ध्वनिवर्धक यंत्र
 +
 +
२. ध्वनिमुद्रण यंत्र एवं ध्वनमुद्रिकायें
 +
 +
३. ध्वनिक्षेपक यंत्र
 +
 +
श्ड्ढ
 +
 +
४. विद्यालय की विभिन्न प्रकार की घण्टियां
 +
 +
५. कक्षाकक्ष की रचना
 +
 +
६. संगीत के साधन
 +
 +
७. लोगों का बोलने का ढंग
 +
 +
ध्वनिप्रदूषण का निवारण करने के क्या उपाय
 +
 +
हैं?
 +
 +
अच्छी ध्वनिव्यवस्था के शैक्षिक लाभ क्या हैं ?
 +
 +
ध्वनिप्रदूषण निवारण के. एवं. अच्छी
 +
 +
ध्वनिव्यवस्था बनाये रखने के आर्थिक एवं
 +
 +
मानवीय प्रयास क्या हो सकते हैं ?
 +
 +
............. page-251 .............
 +
 +
पर्व ४ : विद्यालय की भौतिक एवं आर्थिक व्यवस्थाएँ
 +
 +
प्रश्नावली से पाप्त उत्तर
 +
 +
जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण जैसे शब्दों से हम
 +
 +
सुपरिचित हैं । वैसा ही खतरनाक शब्द ध्वनि प्रदूषण भी
 +
 +
है। विद्यालयों में इस ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए
 +
 +
व्यवस्थयें कैसी हों, यह जानने के लिए  प्रश्नावली बनी है ।
 +
 +
विद्यालयों में होने वाले कोलाहल का नित्य अनुभव करने
 +
 +
वाले आचार्यों ने इन आठ प्रश्नों के उत्तर भेजे हैं ।
 +
 +
१, छात्रों के सतत कोलाहल से होने वाले शोर से ही
 +
 +
ध्वनि प्रदूषण होता है। ऐसा उनका मत है । २. ध्वनि
 +
 +
प्रदूषण के स्रोत में छात्रों का जोर जोर से चिछ्ठाना, दूर के
 +
 +
मित्र को चिछाकर बुलाना, आस पास की कक्षाओं से ऊँचे
 +
 +
स्वर में पढ़ाने की आवाजें आना, सूचनाएँ देने के लिए
 +
 +
ध्वनिवर्धक यन्त्र का उपयोग करना आदि । इन सबके साथ
 +
 +
साथ जब विद्यालय शहर के मध्य में अथवा मुख्य सड़क पर
 +
 +
स्थित है तो आने जाने वाले वाहनों की कर्णकर्कश
 +
 +
आवाजों के कारण विद्यार्थी ठीक से सुन नहीं पाते, परिणाम
 +
 +
स्वरूप शिक्षकों का seen में बोलना, शिक्षकों द्वारा
 +
 +
डस्टर को जोर से टेबल पर मारना आदि बातों से अत्यधिक
 +
 +
शोर मचता है । इस ध्वनि प्रदूषण को रोकने हेतु विद्यालय
 +
 +
का मुख्य सडक से दूर होना, छात्रों व आचार्यों का चिछ्ठा
 +
 +
कर न बोलना, ध्वनि वर्धक यन्त्र का अनावश्यक उपयोग
 +
 +
न करना आदि उपाय सूचित किये हैं ।
 +
 +
अभिमत : विद्यार्थियों को शान्त स्वर में बोलने का
 +
 +
अभ्यास करवाना चाहिए । शिक्षकों का शान्त स्वर में
 +
 +
बोलना भी इसमें सहायक होता है ।
 +
 +
अति उत्तेजना से आशान्ति बढती है, अतः बार-बार
 +
 +
उत्तेजित न हो, इसलिए ब्रह्मनाद व ध्यान करवाना चाहिए ।
 +
 +
अत्यधिक कोलाहल होने से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य
 +
 +
पर विपरीत परिणाम होता है । सीखते समय एकाग्रता नहीं
 +
 +
बन पाती । आकलन शक्ति व स्मरणशक्ति क्षीण होती है ।
 +
 +
विद्यालय में अध्ययन-अध्यापन प्रक्रिया में ध्वनि तो होगी
 +
 +
ही, परन्तु तेज, कर्कश व आवेशपूर्ण ध्वनि के स्थान पर
 +
 +
शांत, मधुर व आत्मीयता पूर्ण ध्वनि बोलने से शोर भी नहीं
 +
 +
होता और छात्रों की एकाग्रता भी बढती है, शान्तवातावरण
 +
 +
का मन पर अनुकूल प्रभाव पडता हैं। छात्रों की
 +
 +
ग्रहणशीलता व धारणाशक्ति बढती है, आकलन जल्दी होता
 +
 +
है, बुद्धि कुशाग्र होती है और इन सभी बातों से ज्ञानार्जन
 +
 +
भी अधिक होता है ।
 +
 +
ध्वनि प्रदूषण रोकने हेतु आर्थिक उपायों से अधिक
 +
 +
कारगर मानवीय प्रयास ही उपयोगी होंगे । नीरव शांतता
 +
 +
और भयप्रदू शांतता के अन्तर को समझना होगा । एक
 +
 +
समाचार पत्र में पढ़ा था कि दिल्‍ली के एक विद्यालय में
 +
 +
मौनी अमावस्या के दिन मौनाभ्यास होता है । विद्यालय के
 +
 +
सारे कार्य यथावत होते हैं, परन्तु प्रधानाचार्य, शिक्षक,
 +
 +
विद्यार्थी व कर्मचारी मौन पालन करते हैं । यह प्रयोग
 +
 +
जीवन का संस्कार बनता है, मौन का महत्त्व समझ में आता
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है । वर्ष में एक दिन सबकी ऊर्जा बड़ी मात्रा में बचती है,
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श्रवणशक्ति भी बढती है ।
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