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| + | पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ |
| + | |
| + | शुद्ध भोजन करें |
| + | |
| + | भोजन बनाने में प्रयुक्त सामग्री शुद्ध है कि नहीं |
| + | |
| + | यह परख लें । |
| + | |
| + | भोजन बनाने में प्रयुक्त पात्र और इंधन शुद्ध हैं |
| + | |
| + | कि नहीं यह देख लें । |
| + | |
| + | भोजन बनाने वाले व्यक्ति की भावना शुद्ध है |
| + | |
| + | कि नहीं यह जान लें । |
| + | |
| + | भोजन बनाने हेतु सारी सामग्री नीतिपूर्वक |
| + | |
| + | अर्जित किये हुए धन से खरीदी गई है कि नहीं |
| + | |
| + | उसका विचार करें । |
| + | |
| + | इन बातों के होने पर ही भोजन शुद्ध कहा |
| + | |
| + | जायेगा । |
| + | |
| + | स्मरण रहे |
| + | |
| + | आहारशुद्धौ सत्त्वशुद्धिः । |
| + | |
| + | शुद्ध आहार से ही हमारा व्यक्तित्व शुद्ध |
| + | |
| + | बनेगा । |
| + | |
| + | भोज्येषु माता |
| + | |
| + | भोजन बनाने वाला माता समान है |
| + | |
| + | क्योंकि |
| + | |
| + | माता जीवन देती है । |
| + | |
| + | माता जीवन की रक्षा करती है । |
| + | |
| + | माता जीवन का पोषण करती है । |
| + | |
| + | माता जीवन का संस्करण करती है । |
| + | |
| + | माता जीवन को सार्थक बनाना सिखाती है । |
| + | |
| + | इसलिये भोजन बनाने वाले ने मातृत्वभाव |
| + | |
| + | धारण करना चाहिये । |
| + | |
| + | Rok |
| + | |
| + | भोजन ठीक समय पर करें |
| + | |
| + | जठरान्नि प्रदीप्त होने पर भोजन करने से ही |
| + | |
| + | अन्न का पाचन ठीक होता है । |
| + | |
| + | सूर्य के ऊपर आने के साथ जठराग्नि प्रदीप |
| + | |
| + | होता है । |
| + | |
| + | इसलिये भोजन का समय सूर्य की गति के |
| + | |
| + | अनुकूल रखें । |
| + | |
| + | दिन का भोज मध्याह्न से पूर्व करें । |
| + | |
| + | सायंकाल का भोजन सूर्यास्त से पूर्व करें । |
| + | |
| + | प्रातःकाल का अल्पाहार सूर्याद्य के बाद दो |
| + | |
| + | घडी बीतने पर करें । हल्का आहार लें । |
| + | |
| + | रात्रि भोजन टालें । |
| + | |
| + | देर रात्रि में भोजन कभी भी न करें । |
| + | |
| + | यह कालभोजन होता है । |
| + | |
| + | स्मरण रहे |
| + | |
| + | प्रकृति के नियमों का पालन न करने से हमारा |
| + | |
| + | ही नुकसान होता है, प्रकृति का नहीं । |
| + | |
| + | साथ साथ भोजन करें |
| + | |
| + | साथ बैठकर भोजन करने से स्नेह बढता है । |
| + | |
| + | साथ बैठखर भोजन करने से सम्बन्ध सुदृढ़ |
| + | |
| + | बनते हैं । |
| + | |
| + | साथ बैठकर भोजन करने से समझ बढती है । |
| + | |
| + | साथ बैठकर भोजन करने से समस्यायें पैदा |
| + | |
| + | नहीं होतीं । हुई हों तो दूर हो जाती हैं । |
| + | |
| + | साथ बैठकर भोजन करने से एकात्मता बढती |
| + | |
| + | है। |
| + | |
| + | इसलिये सौ काम छोड़कर परिवार के सदस्यों |
| + | |
| + | को साथ बैठकर भोजन करने की अनुकूलता बनानी |
| + | |
| + | चाहिये । |
| + | |
| + | ............. page-192 ............. |
| + | |
| + | 9. विद्यालय में पानी की व्यवस्था क्यों होनी |
| + | |
| + | चाहिये ? |
| + | |
| + | २.. पानी की व्यवस्था में सुविधा की दृष्टि से कया |
| + | |
| + | क्या उपाय करने चाहिये ? |
| + | |
| + | ३... पानी का शुद्धीकरण कैसे हो ? |
| + | |
| + | ४. पानी ठण्डा करने की अच्छी व्यवस्था क्या हो |
| + | |
| + | सकती है ? |
| + | |
| + | ५... पानी के पात्र कैसे होने चाहिये ? |
| + | |
| + | ६... आजकल छात्र एवं आचार्य घर से पानी लेकर |
| + | |
| + | आते हैं । यह व्यवस्था कितनी उचित है ? |
| + | |
| + | 9. विद्यालय में पानी कहां रखना चाहिये ? |
| + | |
| + | ८... पानी का दुर्व्यय एवं अपव्यय रोकने के लिये हम |
| + | |
| + | क्या क्या कर सकते हैं ? |
| + | |
| + | ९... पानी की निकासी की व्यवस्था कैसी हो ? |
| + | |
| + | १०. पानी का प्रदूषण रोकने के लिये क्या क्या कर |
| + | |
| + | सकते हैं ? |
| + | |
| + | ११, पानी का आर्थिक पक्ष क्या है ? |
| + | |
| + | प्रश्नावली से ura उत्तर |
| + | |
| + | इस प्रश्नचावली में कुल १० प्रश्न थे । ८ शिक्षक, २ |
| + | |
| + | प्रधानाचार्य और २४ अभिभावकों ने इन प्रश्नों से सम्बन्धित |
| + | |
| + | अपने मत व्यक्त किये हैं । |
| + | |
| + | g. पाँच घण्टे की विद्यालय अवधि में पीने के पानी की |
| + | |
| + | व्यवस्था होनी ही चाहिए । छात्रों को भोजनोपरान्त पीने |
| + | |
| + | का पानी चाहिए । इसलिए विद्यालय में पीने के पानी |
| + | |
| + | की व्यवस्था होना अनिवार्य है । यह मत सबका था । |
| + | |
| + | अच्छी व्यवस्था के सन्दर्भ में, मटके को टोटी लगाना, |
| + | |
| + | मटके छाया में रखना, सुविधाजनक स्थान पर रखना, |
| + | |
| + | पीने के पानी की व्यवस्था एक ही स्थान पर न कर |
| + | |
| + | अलग-अलग स्थानों पर करना, पीते समय गिरा हुआ |
| + | |
| + | पानी बहकर पौधों में जायें ऐसी व्यवस्था बनाना आदि |
| + | |
| + | बातों में तो सर्वानुमति थी, किन्तु पानी पीकर गिलास |
| + | |
| + | धो कर रखना किसी ने नहीं सुझाया इसका आश्चर्य है । |
| + | |
| + | विद्यालय में पानी की व्यवस्था |
| + | |
| + | १७६ |
| + | |
| + | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम |
| + | |
| + | क्योंकि यह एक आवश्यक संस्कार है । |
| + | |
| + | जल शुद्धिकरण हेतु पानी में फिटकरी डालना, पानी |
| + | |
| + | छानकर उसमें खस डालना, पानी में क्लोरिन की |
| + | |
| + | गोलियाँ डालना आदि सुझाव प्राप्त हुए । कुछ लोगों ने |
| + | |
| + | पीने का पानी उबालकर रखना, आर.ओ. प्लान्ट |
| + | |
| + | लगाकर पानी को शुद्ध करना जैसे सुझाव भी दिये । |
| + | |
| + | वर्षा का पानी उचित प्रकार से उचित स्थान पर जमा |
| + | |
| + | करना । पीने के लिए वर्षभर इसी पानी का उपयोग |
| + | |
| + | करने जैसी अच्छी बातें भी कही । |
| + | |
| + | पानी ठंडा रखने के लिए मिट्टी के पात्र ही सर्वात्तिम हैं, |
| + | |
| + | इस बात का भी सबने आग्रह किया । पानी के पात्र |
| + | |
| + | की रोज सफाई करना, उसे हर समय ढककर रखना |
| + | |
| + | जैसी सभी बातों की अनिवार्यता भी बताई । पानी की |
| + | |
| + | टंकी की सफाई भी प्रति मास होनी चाहिए । |
| + | |
| + | आजकल आचार्य और छात्र पीने का पानी घर से साथ |
| + | |
| + | लेकर आते हैं, जो सर्वथा गलत है । |
| + | |
| + | पानी के आर्थिक पक्ष पर सभी मौन रहे । |
| + | |
| + | पानी का अपव्यय रोकने के लिए, जितना चाहिए |
| + | |
| + | उतना ही पानी लेना । यह संस्कार दृढ़ करना चाहिए । |
| + | |
| + | जो पानी बह गया वह पौधों व वृक्षों में ही जाना |
| + | |
| + | चाहिए । आदि सुझाव बताये । |
| + | |
| + | अभिमत : |
| + | |
| + | अन्य प्रश्नावलियों से प्राप्त उत्तरों की तुलना में इस |
| + | |
| + | विद्यालय से प्राप्त उत्तर सही एवं भारतीय दृष्टि की पहचान |
| + | |
| + | बताने वाले थे । इसका कारण यह था कि इस विद्यालय में |
| + | |
| + | समग्र विकास अभ्यासक्रमानुसार शिक्षण होता है । जब शिक्षा |
| + | |
| + | से सही दृष्टि मिलती है तो व्यवहार भी तदूनुसार सही ही होता |
| + | |
| + | है। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि इस प्रश्नावली में |
| + | |
| + | अभिभावकों की सहभागिता अधिक रही । उनमें से कुछ |
| + | |
| + | अभिभावक कम पढ़े लिखे भी थे, फिर भी अनेक उत्तर |
| + | |
| + | एकदम सटीक थे । यह आश्चर्य की बात थी । अल्पशिक्षित |
| + | |
| + | व्यक्ति भी अच्छा व्यवहार कर सकता है बात को उन्होंने |
| + | |
| + | सत्यसिद्ध किया । |
| + | |
| + | ............. page-193 ............. |
| + | |
| + | पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ |
| + | |
| + | आज हर कोई कार्यालय में, व्याख्यान में, सिनेमामें ... यह व्यवहार अत्यन्त सहज हो गया है । |
| + | |
| + | जाते समय पानी की बोटल साथ लेकर जाता है । परन्तु यहाँ. प्यासे को पानी पिलाने के भाव ही अब उत्पन्न नहीं होता । |
| + | |
| + | सब लोगों ने मटके के पानी का उपयोग ही सबके लिए श्रेष्ठ एक विद्यालय की ट्रिप रेल से जा रही थी । उसमें ५० |
| + | |
| + | बताया है । प्लास्टिक बोतल में रखा पानी प्रदूषित हो जाता... विद्यार्थी थे । प्रत्येक विद्यार्थी को ५-५- बोतल दी गईं थी । |
| + | |
| + | है । ऐसा उनका मत था । हिसाब लगाये तो ५ » ५० » २० - ५००० रु, केवल पानी |
| + | |
| + | जैसे घर में पानी की व्यवस्था करना घर के लोगों का... का खर्च था । फिर आवश्यकता, स्वतन्त्रता का अधिकार, |
| + | |
| + | दायित्व होता है, वैसे ही विद्यालय में पानी की व्यवस्था करना... अपव्यय, आर्थिकपक्ष आदि बिन्दुओं का विचार ही नहीं |
| + | |
| + | विद्यालय का दायित्व होता है इस सीधी सादी बात को हम. किया जाता । हमें इसका विचार करना चाहिए । |
| + | |
| + | भूल रहे हैं । विद्यालय में पानी भरना, उसकी स्वच्छता रखना ईश्वर हमें पर्याप्त जल निःशुल्क देता है, परन्तु हम लोग |
| + | |
| + | यह हमारा काम है, आज के चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को इसका... उसका व्यवसाय करते हैं, आर्थिक लाभ करमा रहे हैं । हमें |
| + | |
| + | भान ही नहीं है । उधर अभिभावक भी वॉटर बोतल देकर, ... कुछ तो विचार करना चाहिए । |
| + | |
| + | अपने बालक की सुरक्षा का ध्यान हमें ही रखना है ऐसा मानता x |
| + | |
| + | है और उसमें धन्यता अनुभव करता है । प्लास्टिक बोतल का विद्यालय में पानी की व्यवस्था |
| + | |
| + | उपयोग हानिकर है इसे वे भूल जाते हैं । जल से जुड़े संस्कार पानी का विषय भी कोई विषय है ऐसा ही कोई भी |
| + | |
| + | जो उसे विद्यालय से मिलने चाहिए उनसे वह वंचित रह जाता... कहेगा । परन्तु विचार करने लगते हैं तब कई बिन्दु सामने |
| + | |
| + | है । जैसे कि समूह में कैसा व्यवहार करना, अपने से अधिक... आते हैं ... |
| + | |
| + | प्यासे मित्र को पहले पानी पीने देना, व्यर्थ बहने वाले पानी... १. . विद्यालय में पानी की व्यवस्था होती ही है परन्तु उसके |
| + | |
| + | का कैसे उपयोग करना आदि । प्रकार अलग अलग होते हैं । |
| + | |
| + | २... कई स्थानों पर टंकी होती है और उसे नल लगे होते |
| + | |
| + | पानी का आर्थिक पक्ष हैं । पानी की टंकी या तो सिमेन्ट की होती है अथवा |
| + | |
| + | पानी के आर्थिक पक्ष को देखें तो ईश्वर ने हमारे लिए प्लास्टिक की । टंकी में से पानी लाने वाली नलिकायें |
| + | |
| + | विपुल मात्रा में जल की व्यवस्था की है । जल पर सबका भी या तो प्लास्टिक की होती हैं या सिमेन्ट की । नल |
| + | |
| + | समान अधिकार है । किसी ने भी पानी माँगा तो उसे सेवाभाव स्टील के, लोहे के अथवा प्लास्टिक के । पानी पीने |
| + | |
| + | से पानी पिलाना यह भारतीय दृष्टि है । परन्तु पाश्चात्य विचारों के प्याले अधिकांश प्लास्टिक के और कभी कभी |
| + | |
| + | के प्रभाव में आकर हमने पानी को भी बिकाऊ बना दिया । स्टील के होते हैं । |
| + | |
| + | बड़ी-बड़ी व्यावसायिक कम्पनियों के मनमोहक विज्ञापनों के... ३... अनेक विद्यालयों में पानी शुद्धीकरण के यन्त्र लगाए |
| + | |
| + | सहारे धडछ्ठे से पानी बिक रहा है । परिणाम स्वरूप सेवाभाव जाते हैं । कई स्थानों पर मिट्टी के मटके होते हैं । कई |
| + | |
| + | से चलने वाले जलमंदिर बन्द हो रहे हैं । स्थानों पर बाजार में जो मिनरल पानी मिलता है वह |
| + | |
| + | तरह तरह के वाटर बेग्ज, उनके आकर्षक रंग व लाया जाता है । छात्रों को शुद्ध पानी मिले ऐसा आग्रह |
| + | |
| + | आकार पर मोहित हो अभिभावक अपने पुत्र के नाम पर विद्यालय का और अभिभावकों का होता है । |
| + | |
| + | कितना पैसा व्यर्थ में लुटा देते हैं । आर ओ प्लान्ट के बिना... ४... अनेक विद्यालयों में छात्र घर से पानी लेकर आते हैं । |
| + | |
| + | जल शुद्ध हो ही नहीं सकता इस विचार के कारण कितना वे ऐसा करें इसका आग्रह विद्यालय और अभिभावक |
| + | |
| + | अनावश्यक धन खर्च होता है इसका अभिभावकों को भान दोनों का होता है । विद्यालय कभी कभी विचार करता |
| + | |
| + | ही नहीं है । मेरा खरीदा हुआ पानी, इसलिए उस पर केवल है कि छात्र यदि घर से पानी लाते हैं तो विद्यालय का |
| + | |
| + | मेरा अधिकार, मैं जैसा चाहूँगा, वैसा उसका उपयोग करूँगा बोज कम होगा । अभिभावकों को कभी कभी |
| + | |
| + | १७७ |
| + | |
| + | ............. page-194 ............. |
| + | |
| + | 4, |
| + | |
| + | ६. |
| + | |
| + | विद्यालय की व्यवस्था पर सन्देह होता |
| + | |
| + | है। वहाँ शुद्ध पानी मिलेगा कि नहीं इसकी आशंका |
| + | |
| + | रहती है । इसलिए वे घर से ही पानी भेजते हैं । |
| + | |
| + | विद्यालय में भीड़ होने के कारण भी अपना पानी |
| + | |
| + | अलग रखने की आवश्यकता उन्हें लगती है । घर से |
| + | |
| + | विद्यालय की दूरी भी होती है और रास्ते में पानी की |
| + | |
| + | आवश्यकता होती है इसलिए भी अभिभावक पानी घर |
| + | |
| + | से देते हैं । |
| + | |
| + | अब इसमें शैक्षिक दृष्टि से विचारणीय बातें कौनसी |
| + | |
| + | हैं सपहली बात तो यह है कि विद्यालय में पानी की |
| + | |
| + | व्यवस्था है और वह अच्छी है इस बात पर |
| + | |
| + | अभिभावकों का विश्वास बनना चाहिये । इसके आधार |
| + | |
| + | पर ही आगे की बातें सम्भव हो सकती हैं । |
| + | |
| + | आजकल जो बात सर्वाधिक प्रचलन में है वह है |
| + | |
| + | प्लास्टिक का प्रयोग । टंकी, बोतल, नलिका और |
| + | |
| + | नल, प्याले आदि सबकुछ प्लास्टिक का ही बना होता |
| + | |
| + | है। भौतिक विज्ञान स्पष्ट कहता है कि प्लास्टिक |
| + | |
| + | पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक है । |
| + | |
| + | इसलिए विद्यालय का यह कर्तव्य है कि प्लास्टिक का |
| + | |
| + | प्रयोग न करे और उसके निषेध के लिए छात्रों की |
| + | |
| + | सिद्धता बनाए और अभिभावकों का प्रबोधन करे । |
| + | |
| + | विद्यालय के शिक्षाक्रम का यह एक महत्त्वपूर्ण अंग |
| + | |
| + | होना चाहिये | faa के संकट मनुष्य की अनुचित |
| + | |
| + | मन:स्थिति और उससे प्रेरित होने वाले अनुचित |
| + | |
| + | व्यवहार के कारण ही तो निर्माण होते हैं । मन और |
| + | |
| + | व्यवहार ठीक करने का प्रमुख अथवा कहो कि एकमेव |
| + | |
| + | केन्द्र ही तो विद्यालय है । वहाँ भी यदि प्लास्टिक का |
| + | |
| + | प्रयोग किया जाय तो इससे बढ़कर पाप कौनसा होगा । |
| + | |
| + | इस सन्दर्भ में सुभाषित देखें |
| + | |
| + | अन्यक्षेत्रे कृतं पापं तीर्थक्षेत्रे विनश्यति । |
| + | |
| + | तीर्थक्षेत्रे कृत पाप॑ वज़लेपो भविष्यति ।॥। |
| + | |
| + | अर्थात अन्य स्थानों पर किया गया पाप तीर्थक्षेत्र में |
| + | |
| + | धुल जाता है परन्तु तीर्थक्षेत्र में किया हुआ पाप |
| + | |
| + | वज़लेप बन जाता है । |
| + | |
| + | विद्यालय ज्ञान के क्षेत्र में तीर्थक्षेत्र ही तो है । अतः |
| + | |
| + | १७८ |
| + | |
| + | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम |
| + | |
| + | विद्यालय ने इसे अपना कर्तव्य समझना चाहिये । |
| + | |
| + | एक ओर प्लास्टीक का आतंक है तो दूसरी ओर |
| + | |
| + | शुद्धीकरण का भूत बुद्धि पर सवार हो गया है । हम |
| + | |
| + | कहते हैं कि आज का जमाना वैज्ञानिकता का है । |
| + | |
| + | परन्तु पानी के शुद्धीकरण के लिए जो यंत्र लगाए जाते |
| + | |
| + | हैं और जो प्रक्रिया अपनाई जाती है वह विज्ञापनों ने |
| + | |
| + | रची हुई मायाजाल है । विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं |
| + | |
| + | से 'शुद्ध' हुआ पानी शरीर के लिए उपयोगी क्षारों को |
| + | |
| + | भी गँवा चुका होता है । अभ्यस्त लोगों को स्वाद से |
| + | |
| + | भी इसका पता चल जाता है। हमारे बड़े बड़े |
| + | |
| + | कार्यक्रमों में और घरों में शुद्ध पानी के नाम पर मिनरल |
| + | |
| + | पानी और प्लास्टिक के पात्र प्रयोग में लाये जाते हैं |
| + | |
| + | वह हमारी बुद्धि कितनी विपरीत हो गई है और |
| + | |
| + | अआतार्किक तर्कों से ग्रस्त हो गई है इसका ही द्योतक |
| + | |
| + | है। विद्यालयों ने इस संकट के ज्ञानात्मक और |
| + | |
| + | भावनात्मक उपाय करने चाहिए । इस दृष्टि से तो प्रथम |
| + | |
| + | इन दोनों बातों का प्रयोग बन्द करना चाहिये । |
| + | |
| + | भौतिक विज्ञान के प्रयोगों ने यह सिद्ध किया है कि |
| + | |
| + | मिट्टी के पात्र पानी के शुद्धिकारण के लिए बहुत |
| + | |
| + | लाभकारी हैं । तांबे के पात्र भी उतने ही लाभकारी |
| + | |
| + | हैं । पीने के पानी के लिए गर्मी के दिनों में मिट्टी के |
| + | |
| + | और ठंड के दिनों में तांबे के पात्र सर्वाधिक उपयुक्त |
| + | |
| + | होते हैं । शुद्धीकरण के कृत्रिम उपायों में पैसा खर्च |
| + | |
| + | करने के स्थान पर मिट्टी और तांबे के पात्रों का प्रयोग |
| + | |
| + | करना दूरगामी और तात्कालिक दोनों दृष्टि से अधिक |
| + | |
| + | समुचित है । टंकियों में भरे पानी को शुद्ध करने के |
| + | |
| + | लिए भी रसायनों का प्रयोग करने के स्थान पर |
| + | |
| + | सहजन और निर्मली के बीज और फिटकरी जैसे |
| + | |
| + | पदार्थों का प्रयोग अधिक लाभकारी होते हैं । छात्रों |
| + | |
| + | को कूलर और शीतागार का पानी भी नहीं पिलाना |
| + | |
| + | चाहिये । |
| + | |
| + | पानी के सम्यक उपयोग का ज्ञान भी देने की |
| + | |
| + | आवश्यकता है । पानी निकासी की व्यवस्था भी |
| + | |
| + | गम्भीरतापूर्वक करनी चाहिये । इसकी चर्चा भी |
| + | |
| + | स्वतन्त्र रूप से अन्यत्र की गई है । |
| + | |
| + | ............. page-195 ............. |
| + | |
| + | पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ |
| + | |
| + | विद्यालय में केवल पानी की व्यवस्था करना ही |
| + | |
| + | पर्याप्त नहीं है, पानी के प्रयोग की शिक्षा देना भी अत्यन्त |
| + | |
| + | आवश्यक है । छोटी आयु से ही पानी के विषय में शिक्षा |
| + | |
| + | नहीं देने का परिणाम इतना भीषण हो रहा है कि लोग अब |
| + | |
| + | कह रहे हैं कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी को लेकर होगा । |
| + | |
| + | इसका अर्थ यह है कि वैश्विक स्तर पर पानी का संकट बढ |
| + | |
| + | गया है । इस वैश्विक संकट को विद्यालयीन शिक्षा के साथ |
| + | |
| + | जोडकर समस्या के हल का विचार करना चाहिये । |
| + | |
| + | शिक्षा योजना के बिन्दु |
| + | |
| + | पानी के सम्बन्ध में शिक्षा की योजना करते समय इन |
| + | |
| + | बिन्दुओं को ध्यान में लेना आवश्यक है । |
| + | |
| + | g. पानी विषयक शिक्षा छोटी से लेकर बड़ी कक्षाओं |
| + | |
| + | तक देने की आवश्यकता है । |
| + | |
| + | पानी जीवनधारणा के लिये अनिवार्य रूप से |
| + | |
| + | आवश्यक है । पानी के बिना जीवन सम्भव नहीं । |
| + | |
| + | पानी का एक नाम ही जीवन है । |
| + | |
| + | पानी पंचमहाभूतों में एक है । वह सर्वव्यापी है । |
| + | |
| + | सृष्टि के हर पदार्थ में पानी होता है । पानी के कारण |
| + | |
| + | ही पदार्थ का संधारण होता है । |
| + | |
| + | भौतिक विज्ञान कहता है कि पानी स्वयं ead |
| + | |
| + | है, उसका अपना कोई स्वाद नहीं है, परन्तु यह भी |
| + | |
| + | सत्य है कि पानी के कारण ही किसी भी पदार्थ को |
| + | |
| + | स्वाद प्राप्त होता है । |
| + | |
| + | पानी पंचमहाभूतों में एक महाभूत है । पंचमहाभूतों के |
| + | |
| + | सूक्ष्म स्वरूप को तन्मात्रा कहते हैं। पानी की |
| + | |
| + | wit रस है। रस का अनुभव करने वाली |
| + | |
| + | ज्ञानेन्द्र जीभ है । वह रस का अनुभव करती है |
| + | |
| + | इसलिये उसे रसना कहते हैं। रसना स्वाद का |
| + | |
| + | अनुभव करती है । हम सब जानते हैं कि जीभ के |
| + | |
| + | बिना हम सृष्टि में जो रस अर्थात् स्वाद है उसका |
| + | |
| + | अनुभव नहीं कर सकते । |
| + | |
| + | पानी पतित्र है । पानी देवता है । वेदों में जलदेवता |
| + | |
| + | पानी के विषय में शिक्षा |
| + | |
| + | R98 |
| + | |
| + | को ही वरुण देवता कहा है । पदार्थों का संधारण |
| + | |
| + | करने का, प्राणियों और वनस्पति का जीवन सम्भव |
| + | |
| + | बनाने का महत्त्वपूर्ण कार्य पानी करता है इसीलिये |
| + | |
| + | वह पवित्र है । हम देवता की पूजा करते हैं, उन्हें |
| + | |
| + | आदर देते हैं और सन्तुष्ट भी करते हैं । पानी का |
| + | |
| + | आदर करना और उसकी पवित्रता की रक्षा करना |
| + | |
| + | हमारा धर्म है । इसीकी शिक्षा छोटे बडे सबको |
| + | |
| + | मिलनी चाहिये । |
| + | |
| + | सभी विषयों की शिक्षा की तरह पानी विषयक शिक्षा |
| + | |
| + | भी ज्ञान, भावना और क्रिया के रूप में देनी चाहिये । |
| + | |
| + | स्वाभाविक रूप से ही प्रथम क्रियात्मक, दूसरे क्रम में |
| + | |
| + | भावात्मक और बाद में ज्ञानात्मक शिक्षा देनी चाहिये । |
| + | |
| + | पानी के सम्बन्ध में क्रियात्मक शिक्षा |
| + | |
| + | g. पानी को हमेशा शुद्ध रखे, अशुद्ध न करें, शुद्ध पानी |
| + | |
| + | ही पियें । |
| + | |
| + | खडे खडे, लेटे लेटे पानी न पियें । हमेशा बैठकर ही |
| + | |
| + | पियें । |
| + | |
| + | पानी जल्दबाजी में न पियें, धीरे धीरे एक एक घूंट |
| + | |
| + | लेकर ही पियें । |
| + | |
| + | प्लास्टिक की बोतलों में भरा हुआ, यंत्रों और |
| + | |
| + | रसायनों से शुद्ध किया हुआ पानी वास्तव में शुद्ध |
| + | |
| + | नहीं होता । उसे शुद्ध मानना और कहना हमारी |
| + | |
| + | वैज्ञानिक अंधश्रद्धा ही है। tar agg ot |
| + | |
| + | अप्राकृतिक बीमारियों को जन्म देता है । |
| + | |
| + | भोजन के प्रारम्भ में और भोजन के तुरन्त बाद पानी |
| + | |
| + | न पियें । मुँह साफ करने के लिये एकाध ye ही |
| + | |
| + | पियें । |
| + | |
| + | दिनभर में पर्याप्त पानी पीना चाहिये, न बहुत अधिक, |
| + | |
| + | न बहुत कम । |
| + | |
| + | पीने के साथ साथ पानी भोजन बनाने के, स्थान और |
| + | |
| + | वस्तुओं को साफ करने के, पेड पौधों का पोषण |
| + | |
| + | करने के काम में भी आता है । उन बातों का भी |
| + | |
| + | ............. page-196 ............. |
| + | |
| + | é. |
| + | |
| + | Ro. |
| + | |
| + | 8. |
| + | |
| + | x. |
| + | |
| + | 2. |
| + | |
| + | RY. |
| + | |
| + | सम्यक विचार करना आवश्यक है । |
| + | |
| + | भोजन बनाने के लिये हमेशा शुद्ध और पवित्र पानी |
| + | |
| + | का ही प्रयोग करना चाहिये । ताँबे या पीतल के पात्र |
| + | |
| + | में भरे पानी का प्रयोग करें । स्टील, प्लास्टिक, |
| + | |
| + | एल्युमिनियम या अन्य पदार्थों से बने पात्रों में भरे |
| + | |
| + | पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिये । चाँदी और |
| + | |
| + | सुवर्ण तो अति उत्तम हैं ही परन्तु हम व्यवहार में |
| + | |
| + | सामान्य रूप से इन पात्रों का प्रयोग नहीं करते । |
| + | |
| + | सिमेन्ट से बनी टॉँकियों में भरा पानी भी उतना अधिक |
| + | |
| + | शुद्ध नहीं होता है, सिमेन्ट के ऊपर यदि चूने से पुताई की |
| + | |
| + | जायतो वह अच्छा है, लाभदायी है । प्लास्टिक की टँंकियाँ |
| + | |
| + | किसी भी तरह लाभदायी नहीं हैं । |
| + | |
| + | पानी का उपयोग पेड पौधों और प्राणियों के लिये |
| + | |
| + | होता है । विद्यार्थियों को इसके क्रियात्मक संस्कार |
| + | |
| + | मिलने चाहिये । इस दृष्टि से विद्यालय में पक्षी पानी |
| + | |
| + | पी सके ऐसे पात्र टाँगने चाहिये । विद्यार्थी इन पात्रों |
| + | |
| + | को साफ करें और उन्हें पानी से भरें ऐसी योजना |
| + | |
| + | करना चाहिये । यह व्यवस्था हर विद्यार्थी के घर तक |
| + | |
| + | पहुँचे यह देखना चाहिये । साथ ही पशुओं को पानी |
| + | |
| + | पीने की व्यवस्था भी करनी चाहिये । रास्ते पर आते |
| + | |
| + | जाते पशु इससे पानी पी सकें ऐसी जगह पर यह |
| + | |
| + | व्यवस्था होनी चाहिये । इसकी स्वच्छता भी विद्यार्थी |
| + | |
| + | ही करें यह देखना चाहिये । |
| + | |
| + | मनुष्यों को पानी पिलाने की व्यवस्था भी होना |
| + | |
| + | आवश्यक है । इस दृष्टि से प्याऊ की व्यवस्था की |
| + | |
| + | जा सकती है । इस प्याऊ की व्यवस्था का संचालन |
| + | |
| + | विद्यार्थियों को करना चाहिये । |
| + | |
| + | हाथ पैर धोने या नहाने के लिये हम कितने कम पानी |
| + | |
| + | का प्रयोग कर सकते हैं यह सिखाने की आवश्यकता |
| + | |
| + | है । अधिक पानी का प्रयोग करना बुद्धिमानी नहीं है । |
| + | |
| + | इसी प्रकार वर्तन साफ करने के लिये, कपडे धोने के |
| + | |
| + | लिये कम पानी का प्रयोग करने की कुशलता प्राप्त |
| + | |
| + | करनी चाहिये । |
| + | |
| + | डीटे्जन्ट से कपडे और बर्तन साफ करने से अधिक |
| + | |
| + | पानी का प्रयोग करना पडता है । इससे बचने के |
| + | |
| + | १८० |
| + | |
| + | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम |
| + | |
| + | जल साक्षरता |
| + | |
| + | बूँदबूँद पानी को आज हम बचाएँगे । |
| + | |
| + | हरीभरी वसुंधरा फिर से हम बसाएँगे ।।धृ।। |
| + | |
| + | कोसों दूर बहनें जातीं, घर से पानी के लिये |
| + | |
| + | उन बहनों की सेवा करने गाँव में पानी लाएँगे |
| + | |
| + | उन बहनों की सेवा करने बावड़ियाँ बँधवाएँगे ।।१।। |
| + | |
| + | मिट्ते जाते तालाबोंसे जलस्तर नीचे जाता है |
| + | |
| + | नये-नये तालाब बनाकर, जलस्तर ऊपर लाएँगे 1२11 |
| + | |
| + | अब ना कोई प्यासा होगा पानी के अभावमें |
| + | |
| + | चर अचर की तृषा शांतिका संबल हम जगाएँगे || ३।। |
| + | |
| + | समझ नहीं है जिसको नलसे बहते रहते पानी की |
| + | |
| + | उन लोगों को समझाकर जलसाक्षसता लाएंगे ।1४।। |
| + | |
| + | लिये डिटर्जन्ट का प्रयोग बन्द कर उसके स्थान पर |
| + | |
| + | प्राकृतिक पदार्थों का प्रयोग करना चाहिये । बर्तन की |
| + | |
| + | सफाई के लिये मिट्टी या राख तथा कपड़ों की सफाई |
| + | |
| + | के लिये साबुन का प्रयोग करने से पानी की बचत भी |
| + | |
| + | होती है और प्रदूषण भी नहीं होता । |
| + | |
| + | पीने के लिये प्यालें में उतना ही पानी लेना चाहिये |
| + | |
| + | जितना कि पीना है । प्याला भरकर लेना, थोडा पीना |
| + | |
| + | और बचा हुआ फेंक देना कम बुद्धि का लक्षण है । |
| + | |
| + | पानी का बहुत अधिक अपव्यय होता है शौचालयों |
| + | |
| + | में । फ्लश की व्यवस्था वाले शौचालय पानी के |
| + | |
| + | प्रयोग की दृष्टि से अनुकूल नहीं है । उनके पर्याय |
| + | |
| + | खोजने चाहिये । |
| + | |
| + | आवश्यकता से अधिक पानी का संग्रह करना और |
| + | |
| + | बाद में फैंक देना भी उचित नहीं है । इससे पानी का |
| + | |
| + | बहुत अपव्यय होता है । |
| + | |
| + | विद्यालय में पानी के संग्रह की योजना बहुत |
| + | |
| + | सोचविचार कर बनानी चाहिये । |
| + | |
| + | वर्षा के पानी का संग्रह करने की व्यवस्था हर |
| + | |
| + | विद्यालय के लिये अनिवार्य है । विद्यालय से यह |
| + | |
| + | योजना विद्यार्थियों के घर तक पहुँचनी चाहिये । |
| + | |
| + | a4. |
| + | |
| + | &&. |
| + | |
| + | Ru. |
| + | |
| + | RC. |
| + | |
| + | 88. |
| + | |
| + | ............. page-197 ............. |
| + | |
| + | पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ |
| + | |
| + | २०. जिस प्रकार पानी को शुद्ध करने के बाद ही पीना |
| + | |
| + | चाहिये उस प्रकार शुद्ध पानी को अशुद्ध नहीं करने |
| + | |
| + | की सावधानी भी रखनी चाहिये । |
| + | |
| + | पानी का प्रयोग करना सीखना चाहिये यह जितना |
| + | |
| + | महत्त्वपूर्ण है उतना ही महत्त्वपूर्ण पानी का निष्कासन उचित |
| + | |
| + | पद्धति से करना भी सीखना है । उसकी भी क्रियात्मक |
| + | |
| + | शिक्षा आवश्यक है। कुछ इन बातों पर ध्यान देना |
| + | |
| + | आवश्यक है । |
| + | |
| + | श्, |
| + | |
| + | पीने का पानी पेड पौधों को मिल सके इस प्रकार ही |
| + | |
| + | फेंकना चाहिये । पीते समय बचाना नहीं यह तो |
| + | |
| + | पहली बात है परन्तु, बच गया तो वह या तो पक्षियों |
| + | |
| + | और पशुओं को पीने के लिये या तो बर्तन आदि |
| + | |
| + | धोने के लिये अथवा पेड पौधों के लिये काम में |
| + | |
| + | आना चाहिये । |
| + | |
| + | जिनमें पानी भरा जाता है वे बर्तन खाली करते समय |
| + | |
| + | भी यह बातें ध्यान में रखना आवश्यक है । |
| + | |
| + | भोजन के पात्र साफ करते समय प्रथम तो सारी जूठन |
| + | |
| + | धोकर वह पानी एक पात्र में इकट्ठा करना चाहिये । |
| + | |
| + | वह पानी गाय, बकरी, कुत्ते आदि पशुओं को |
| + | |
| + | पिलाना चाहिये । चावल, दाल आदि धोने के बाद |
| + | |
| + | उसके पानी का भी ऐसा ही उपयोग करना चाहिये । |
| + | |
| + | इससे पशुओं को अन्न के अच्छे अंश मिलते हैं और |
| + | |
| + | अन्न का सदुपयोग होता है । |
| + | |
| + | बर्तन साफ किया हुआ पानी पेड पौधों को ही देना |
| + | |
| + | चाहिये । कपडे साफ करने के बाद का साबुन वाला |
| + | |
| + | पानी खुले में रेत या मिट्टी पर या ये दोनों नहीं है तो |
| + | |
| + | पथ्थर पर गिराना चाहिये । रेत या मिट्टी पानी को |
| + | |
| + | are लेते हैं, पथ्थर पर गिरा पानी सूर्यप्रकाश और |
| + | |
| + | हवा से सूख जाता है। इससे जमीन की और |
| + | |
| + | वातावरण की नमी बनी रहती है और तापमान |
| + | |
| + | अप्राकृतिकरूप से नहीं बढता । |
| + | |
| + | पानी की निकासी की भूमिगत व्यवस्था पानी के |
| + | |
| + | शुद्धीकरण की दृष्टि से अत्यन्त घातक है यह बात |
| + | |
| + | आज किसी को समझ में आना बहुत कठिन है । |
| + | |
| + | हमारी सोच इतनी उपरी सतह की हो गई है, कि हमें |
| + | |
| + | श्८्१ |
| + | |
| + | ऊपरी स्वच्छता तो दिखाई देती |
| + | |
| + | है परन्तु अन्दर की स्वच्छता का विचार भी नहीं |
| + | |
| + | ad | Ta ah अभ्यन्तर स्वच्छता का विषय |
| + | |
| + | स्वतन्त्र रूप से विचार करने लायक है । |
| + | |
| + | पानी की निकासी के विषय में इतनी सावधानी रखनी |
| + | |
| + | चाहिये कि एक बूंद भी बर्बाद न हो । |
| + | |
| + | पानी को शुद्ध करने के प्राकृतिक उपाय |
| + | |
| + | श्, |
| + | |
| + | मोटे खादी के कपडे से पानी को छानना चाहिये । |
| + | |
| + | यह कपडा और पानी भरने का पात्र स्वच्छ ही हो |
| + | |
| + | यह पहले ही सुनिश्चित करना चाहिये । |
| + | |
| + | पानी में यदि अशुद्धि धुलमिल गई हो तो उसमें |
| + | |
| + | फिटकरी घुमाना चाहिये । उससे अशुद्धि नीचे बैठ |
| + | |
| + | जाती है । उसके बाद पानी को छानना चाहिये । |
| + | |
| + | मिट्टी, रेत और कंकड पथ्थर से गुजरा हुआ पानी |
| + | |
| + | कचरा रहित हो जाता है । ऐसी व्यवस्था बनानी |
| + | |
| + | चाहिये । ऐसे पानी को छान लेना चाहिये । |
| + | |
| + | मिट्टी का और ताँबे का पात्र पानी को निर्जन्तुक |
| + | |
| + | बनाता है । |
| + | |
| + | पानी यदि क्षारों के कारण भारी हुआ हो तो उसे |
| + | |
| + | उबालकर SS HT चाहिये और बाद में छान लेना |
| + | |
| + | चाहिये । |
| + | |
| + | पानी भरा रहता है ऐसी टँकियों में सहजन या निर्मली |
| + | |
| + | के बीज तथा चूने का पथ्थर पानी की मात्रा के |
| + | |
| + | अनुपात में डालना चाहिये ये पानी को कचरारहित |
| + | |
| + | और जन्तुरहित बनाते हैं । |
| + | |
| + | हवा और सूर्यप्रकाश पानी के लिये प्राकृतिक |
| + | |
| + | शुद्धीकारक हैं । इनका सम्पर्क नित्य रहना चाहिये । |
| + | |
| + | पानी कहीं पर भी रुका न रहे इस ओर ध्यान देना |
| + | |
| + | चाहिये । इसी प्रकार एक ही पात्र में पानी तीन चार |
| + | |
| + | दिन भरा रहे ऐसा भी नहीं होना चाहिये । |
| + | |
| + | कारखानों के रसायनों से जब नदियों का पानी अशुद्द |
| + | |
| + | होता है तब उसे शुद्ध करने का कोई प्राकृतिक उपाय |
| + | |
| + | नहीं है । उसे रसायनों से ही शुद्ध करना पडता हैं । |
| + | |
| + | रसायनों से शुद्ध किया हुआ पानी वास्तव में शुद्ध |
| + | |
| + | ............. page-198 ............. |
| + | |
| + | Ro. |
| + | |
| + | 8. |
| + | |
| + | नहीं होता, शुद्ध दिखाई देता है। |
| + | |
| + | यांत्रिक मानको से उसे शुद्ध सिद्ध किया जा सकता |
| + | |
| + | है। जहाँ यांत्रिक मानक ही स्वीकार्य है वहाँ ऐसे |
| + | |
| + | पानी को अशुद्ध बताना अपराध होता है, परन्तु यह |
| + | |
| + | अप्राकृतिक शुद्धि शरीर में और पर्यावरण में |
| + | |
| + | अप्राकृतिक बिमारियाँ लाती है । प्राकृतिक और |
| + | |
| + | अप्राकृतिक तत्त्व को समझने की आवश्यकता है । |
| + | |
| + | इसी प्रकार यंत्रों से जो शुद्धि होती है वह भी |
| + | |
| + | अप्राकृतिक है । |
| + | |
| + | सार्वजनिक स्थानों पर जो पानी होता है उसे भी |
| + | |
| + | अशुद्ध होने से बचाना चाहिये । |
| + | |
| + | पानी को लेकर अनुचित आदतें इस प्रकार हैं । |
| + | |
| + | उन्हें दूर करने की आवश्यकता है । |
| + | |
| + | श्, |
| + | |
| + | खडे खडे पानी पीना । यह आदत सार्वत्रिक दिखाई |
| + | |
| + | देती है । यह स्वास्थ्य के लिये जरा भी उचित नहीं |
| + | |
| + | है। पानी पीने वाले ने इस आदत का त्याग करना |
| + | |
| + | चाहिये और पानी पिलाने वाले पीने वाले बैठकर पी |
| + | |
| + | सकें ऐसी व्यवस्था करनी चाहिये । |
| + | |
| + | कूलर और फ्रीज का पानी पीना । यह प्राकृतिक |
| + | |
| + | सीमा से अधिक ठण्डा पानी स्वास्थ्य के लिये |
| + | |
| + | हानिकारक है । यह अज्ञान इतना बढ गया है कि |
| + | |
| + | अब रेलवे स्थानक जैसी जगहों पर भीं कूलर का |
| + | |
| + | ठण्डा पानी मिलता है । कूलर और फ्रीज पर्यावरण के |
| + | |
| + | लिये तो घातक हैं ही । |
| + | |
| + | यंत्रों से शुद्ध किया हुआ पानी पीना । यह भी |
| + | |
| + | स्वास्थ्य के लिये घातक है ही । |
| + | |
| + | प्लास्टीक की बोतल का पानी पीना । बोतल सीधी |
| + | |
| + | मुँह को लगाकर पानी पीने की आदत असंस्कारिता |
| + | |
| + | की निशानी है । प्लास्टिक भी हानिकारक, उसका |
| + | |
| + | “शुद्ध' पानी भी हानिकारक और मुँह लगाकर पीने |
| + | |
| + | की पद्धति भी हानिकारक । |
| + | |
| + | मिनरल वॉटर की बिमारी इतनी फैली हुई है कि लोग |
| + | |
| + | मटके का पानी नहीं पिते, स्थानकों पर की हुई पानी |
| + | |
| + | की व्यवस्था से प्राप्त पानी नहीं पीते, यात्रा में घर से |
| + | |
| + | 822 |
| + | |
| + | Ro. |
| + | |
| + | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम |
| + | |
| + | पानी साथ में नहीं ले जाते । इन सब अच्छी बातों |
| + | |
| + | को छोडकर पन्द्रह से बीस रूपये का एक लीटर पानी |
| + | |
| + | खरीदने वाली प्रजा असंस्कारी और दरिद्र बन जाने |
| + | |
| + | की पूरी सम्भावना है । विद्यालय में सिखाने लायक |
| + | |
| + | यह महत्त्वपूर्ण विषय है । |
| + | |
| + | विद्यालय के समारोहों में मंच पर जब प्लास्टीक की |
| + | |
| + | “मिनरल वॉटर' की बोतलें दिखाई देती है तब वह |
| + | |
| + | व्यापक विचार का और संस्कारयुक्त सोच का अभाव |
| + | |
| + | ही दर्शाती है । |
| + | |
| + | साथ में पानी की बोतल रखना और जब मन करे तब |
| + | |
| + | बोतल मुँह को लगाकर पानी पीना प्रचलन में आ गया |
| + | |
| + | है । तर्क यह दिया जाता है कि पानी स्वास्थ्य के लिये |
| + | |
| + | आवश्यक है और प्यास लगे तब पानी पीना ही |
| + | |
| + | चाहिये । परन्तु कक्षा चल रही हो या कार्यक्रम, |
| + | |
| + | वार्तालाप चल रहा हो या बैठक, मन चाहे तब पानी |
| + | |
| + | पीना असभ्यता का ही लक्षण है । साधारण रूप से कोई |
| + | |
| + | कक्षा कोई बैठक, कोई कार्यक्रम बिना विराम के दो |
| + | |
| + | घण्टे से अधिक चलता नहीं है । इतना समय बिना पानी |
| + | |
| + | के रहना असम्भव नहीं है। इतना संयम करना |
| + | |
| + | शरीरस्वास्थ्य के लिये हानिकारक नहीं है और |
| + | |
| + | मनोस्वास्थ्य के लिये लाभकारी है । बच्चों और बडों |
| + | |
| + | में बढती हुई इस आदत को जल्दी ही ठीक करने की |
| + | |
| + | आवश्यकता है । |
| + | |
| + | यही आदत बिना किसी प्रयोजन के बोतल का पानी |
| + | |
| + | फेंक देने की है । केवल मजे मजे में पानी गिराना पैसे |
| + | |
| + | बर्बाद करना ही है । इस आदृत को भी ठीक करना |
| + | |
| + | चाहिये । |
| + | |
| + | पैसा खर्च करके खरीदे हुए पानी को एक क्षण में |
| + | |
| + | फैंक देने का प्रचलन भी बहुत बढ रहा है । पानी की |
| + | |
| + | बर्बादी के साथ साथ यह पैसे की भी बर्बादी है । |
| + | |
| + | बुद्धि हीनता के साथ साथ यह असंस्कारिता की भी |
| + | |
| + | निशानी है । |
| + | |
| + | बडे बडे समारोहों में पीने का पानी और हाथ धोने |
| + | |
| + | का पानी एक साथ रखा भी जाता है और गिराया भी |
| + | |
| + | जाता है । ऐसे स्थानों पर गन्दगी हो जाती है और |
| + | |
| + | ............. page-199 ............. |
| + | |
| + | पर्व ३ : विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्थाएँ |
| + | |
| + | पानी की बहुत बर्बादी होती है । इसे ठीक करने की |
| + | |
| + | क्रियात्मक शिक्षा विद्यालय में ही देने की |
| + | |
| + | आवश्यकता है । |
| + | |
| + | पानी के सम्बन्ध में भावात्मक शिक्षा |
| + | |
| + | क्रियात्मक शिक्षा के साथ ही भावात्मक शिक्षा भी |
| + | |
| + | देनी चाहिये । भावात्मक शिक्षा से क्रिया के साथ श्रद्धा |
| + | |
| + | जुडती है और निष्ठा बनती है । कुछ इन बातों पर विचार |
| + | |
| + | किया जा सकता है |
| + | |
| + | श्, |
| + | |
| + | पानी को पवित्र मानना सिखाना चाहिये । पवित्रता |
| + | |
| + | केवल शुद्धता नहीं है। शुद्धता के साथ जब |
| + | |
| + | सात्त्विकता जुडती है तब पवित्रता बनती है । |
| + | |
| + | पवित्र पदार्थ या स्थान के साथ आदरयुक्त व्यवहार |
| + | |
| + | होता है। पवित्रता की रक्षा करने के लिये हम |
| + | |
| + | अपवित्र शरीर और मन से उसके पास नहीं जाते हैं । |
| + | |
| + | उदाहरण के लिये घर में जहाँ पीने का पानी रखा |
| + | |
| + | जाता है वहाँ कोई जूते पहनकर या बिना स्नान किये |
| + | |
| + | नहीं जाता है । यह दीर्घकाल की परम्परा है। हम |
| + | |
| + | विद्यालय में भी ऐसी व्यवस्था कर सकते हैं । |
| + | |
| + | जहाँ पीने का पानी रखा होता है वहाँ सायंकाल |
| + | |
| + | संध्या के समय दीपक जलाया जाता है । इससे |
| + | |
| + | पर्यावरण की शुद्धि होती है । पवित्रता की भावना भी |
| + | |
| + | निर्माण होती है । |
| + | |
| + | पानी को जलदेवता मानने का प्रचलन शुरू करना |
| + | |
| + | चाहिये । जलदेवता की स्तुति करनेवाले मंत्र ्रग्वेद में |
| + | |
| + | तो हैं परन्तु हिन्दी में और हर भारतीय भाषा में रचे जा |
| + | |
| + | सकते हैं । जलदेवता की स्तुति के गीत भी रचे जा |
| + | |
| + | सकते हैं । पानी का प्रयोग करते समय इन मन्त्रों का |
| + | |
| + | उच्चारण करने की प्रथा भी शुरु की जा सकती है । |
| + | |
| + | पानी का संग्रह जहाँ किया जाता है वहाँ भी जूते |
| + | |
| + | पहनकर नहीं जाना, आसपास में गन्दगी नहीं करना, |
| + | |
| + | उस स्थान की सफाई के लिये अलग से झाड़ू आदि |
| + | |
| + | की व्यवस्था करना आदि माध्यमों से पवित्रता का |
| + | |
| + | भाव जगाया जा सकता है । |
| + | |
| + | जलदेवता को सन्तुष्ट और प्रसन्न करने के लिये यज्ञों |
| + | |
| + | श्८्३ |
| + | |
| + | की रचना करनी चाहिये । यज्ञ में |
| + | |
| + | जलदेवता के लिये आहुति देनी चाहिये । जलदेवता |
| + | |
| + | प्रसन्न हों इस दृष्टि से जिस प्रकार नये मन्त्रों की रचना |
| + | |
| + | होगी उसी प्रकार यज्ञ में होम करने की सामग्री का भी |
| + | |
| + | भौतिक विज्ञान की दृष्टि से विचार होगा । यज्ञ तो |
| + | |
| + | वैज्ञानिक अनुष्ठान है ही, उसे आज की |
| + | |
| + | आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके ऐसा स्वरूप दिया |
| + | |
| + | जाना चाहिये । |
| + | |
| + | पानी का मुख्य स्रोत वर्षा है। संग्रहित पानी का |
| + | |
| + | प्राकृतिक स्रोत नदियाँ हैं। संग्रहित पानी का |
| + | |
| + | मानवसर्जिक स्रोत तालाब, कुएँ, बावडी आदि हैं । |
| + | |
| + | संग्रहित पानी के इससे भी कृत्रिम स्रोत पानी की |
| + | |
| + | टँकियों से लेकर घर के छोटे मटकों तक के पात्र हैं । |
| + | |
| + | वर्षा की और नदियों की स्तुति के अनुष्टान किये |
| + | |
| + | जाने चाहिये तथा मानव सर्जित पानी के संग्रहस्थानों |
| + | |
| + | के सम्बन्ध में विवेकपूर्ण विचार होना चाहिये । यहीं |
| + | |
| + | से पानी के विषय में ज्ञानात्मक शिक्षा शुरू होती है । |
| + | |
| + | पानी के विषय में ज्ञानात्मक शिक्षा |
| + | |
| + | क्रिया और भावना के साथ ज्ञान नहीं जुड़ा तो क्रिया |
| + | |
| + | कर्मकाण्ड बन जाती है और भावना निस्द्धेश्य । दोनों ही |
| + | |
| + | अपनी सार्थकता खो बैठते हैं । इसलिये ज्ञानात्मक पक्ष का |
| + | |
| + | भी विचार अनिवार्य रूप से करना चाहिये, ज्ञानात्मक शिक्षा |
| + | |
| + | के पहलु इस प्रकार सोचे जा सकते हैं |
| + | |
| + | श्, |
| + | |
| + | रे. |
| + | |
| + | क्रियात्मक और भावनात्मक शिक्षा के बाद ही |
| + | |
| + | अथवा कम से कम साथ ही ज्ञानात्मक शिक्षा होनी |
| + | |
| + | चाहिये । आज के सन्दर्भ में तो इस बात की ओर |
| + | |
| + | विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि आज |
| + | |
| + | की शिक्षा क्रियाशून्य और भावनाशूत्य हो गई है, |
| + | |
| + | केवल जानकारी प्राप्त कर, उसे याद कर, परीक्षा में |
| + | |
| + | लिखकर अंक प्राप्त करने तक सीमित हो गई है । |
| + | |
| + | इससे अधिक Peete a अनर्थक क्या हो सकता |
| + | |
| + | है ? अतः क्रियात्मक और भावनात्मक शिक्षा का |
| + | |
| + | क्रम प्रथम होना अनिवार्य है । |
| + | |
| + | पानी कहाँ से आता है, पानी के क्या क्या उपयोग |
| + | |
| + | ............. page-200 ............. |
| + | |
| + | हैं, पानी शुद्ध और अशुद्द कैसे होता है, |
| + | |
| + | पानी को शुद्ध किस प्रकार किया जाना चाहिये आदि |
| + | |
| + | बातों का ज्ञान प्रारम्भिक स्तर पर देना चाहिये । |
| + | |
| + | पानी कम पड जाने से, पानी अशुद्द हो जाने से कौन |
| + | |
| + | कौन से संकट निर्माण होते हैं इसका ज्ञान दिया जाना |
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| + | चाहिये । इन संकटों का उपाय क्या हो सकता है |
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| + | इसका भी ज्ञान दिया जाना चाहिये । |
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| + | पानी के वर्तमान संकट का स्वरूप क्या है इसकी |
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| + | विस्तारपूर्वक चर्चा की जानी चाहिये । |
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| + | कुएँ, तालाब, बावडी वर्षाजल संग्रह की घर घर में की |
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| + | जानेवाली व्यवस्था नष्ट हो जाने के कितने गम्भीर |
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| + | परिणाम हुए हैं इसका भी विचार होना चाहिये । |
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| + | खेतों को पानी क्यों नहीं मिलता, पीने के लिये पानी |
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| + | क्यों नहीं मिलता, अनावृष्टि क्यों होती हैं, नदियाँ |
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| + | क्यों सूख जाती हैं इत्यादि बातों की गम्भीर चर्चा |
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| + | होना आवश्यक है । |
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| + | पानी की निकासी के लिये जो व्यवस्था बनाई जाती |
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| + | है वह कितनी उचित या अनुचित है इसका विमर्श |
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| + | होना चाहिये । |
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| + | गंगा जैसी पवित्र नदी सहित देश की अन्य नदियों का |
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| + | पानी बडे बडे कारखानों के विषैले रासायनिक कचरे के |
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| + | कारण प्रदूषित होता है । इस कचरे से नदियों को |
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| + | Ro. |
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| + | 8. |
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| + | भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम |
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| + | कानून बनाये जाने के बाद भी नदियों को नहीं बचाया |
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| + | जा सकता है इसका कारण क्या है ? इस स्थिति को |
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| + | ठीक करने के लिये विद्यालय या विद्याक्षेत्र क्या कर |
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| + | सकता है इसका विचार होना चाहिये | |
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| + | बडे बडे बाँध बाँधने से क्या वास्तव में देश का |
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| + | जलसंकट दूर हो सकता है इसका विचार भी करना |
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| + | चाहिये । यदि संकट दूर नहीं हो सकता है तो फिर |
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| + | हम क्यों बाँधते हैं ? |
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| + | कुएँ, तालाब, बावडियाँ आदि पुनः निर्माण करने के |
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| + | क्या तरीके हो सकते हैं इसकी भी चर्चा होनी जरूरी |
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| + | पानी का अमर्याद उपयोग करना, पानी का प्रदूषण |
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| + | करना, पानी बचाने की कोई व्यवस्था न करना, |
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| + | पानी के स्रोतों को अवरुद्ध करना आदि विनाशक |
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| + | गतिविधियों के पीछे कौनसी विचारधारा, कौनसी |
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| + | मनोवृत्ति और कौनसी प्रवृत्ति होती है इसका मूलगामी |
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| + | चिन्तन करना सिखाना चाहिये । पानी को लेकर |
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| + | हमारे छोटे से कार्य के परिणाम दूरगामी होते हैं यह |
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| + | समझने की आवश्यकता है । |
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| + | ये सारी बातें शिक्षा का सार्थक अंग बनेंगी तभी विश्व |
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| + | के संकट कम होने की सम्भावना बनेगी । ऐसा सारा विचार |
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| + | करने के बाद विद्यालय की व्यवस्थाओं और गतिविधियों |
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| + | बचाने के क्या उपाय हैं ? सरकार की ओर से अनेक. का नियोजन होना चाहिये । |