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| == भारत शब्द की ऐतिहासिकता == | | == भारत शब्द की ऐतिहासिकता == |
− | ऋग्वेद में सन्दर्भ : विश्वामित्रस्य रक्षति ब्रह्मेंद्रम् भारतम् जनम्<ref>भारतीय राज्यशास्त्र. लेखक : गो.वा. टोकेकर और मधुकर महाजन. विद्या प्रकाशन, पृष्ठ २२. प्रकाशक : सुशीला महाजन. ५/५७ विष्णू प्रसाद. विले पार्ले, मुम्बई.</ref> | + | भारत शब्द की एतिहासिकता पर विभिन्न सन्दर्भ इस प्रकार हैं: |
| + | # ऋग्वेद: विश्वामित्रस्य रक्षति ब्रह्मेंद्रम् भारतम् जनम्<ref>भारतीय राज्यशास्त्र. लेखक : गो.वा. टोकेकर और मधुकर महाजन. विद्या प्रकाशन, पृष्ठ २२. प्रकाशक : सुशीला महाजन. ५/५७ विष्णू प्रसाद. विले पार्ले, मुम्बई.</ref> |
| + | # महाभारत युद्ध का नाम ही (महा-भारत) ‘भारत‘ के अस्तित्व का प्रमाण हैं | |
| + | # श्रीमद्भगवद्गीता: |
| + | ## भरतवंशियों का नाम ‘भारत’ | |
| + | ## कई अन्य उल्लेख इस प्रकार हैं: |
| + | ##* धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोस्मि भरतर्षभ (७ – ११) |
| + | ##* एवमुक्तो ऋषीकेशो गुडाकेशेन भारत (१-२४) |
| + | # (विष्णू पुराण) उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणं वर्षं तत् भारतं नाम भारती यत्र संतती |
| + | # हमारे किसी भी मंगलकार्य या संस्कार विधि के समय जो संकल्प कहा जाता है उसमें भी ‘जम्बुद्वीपे भरतखंडे’ ऐसा भारत का उल्लेख आता है | |
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− | महाभारत युद्ध का नाम ही (महा-भारत) ‘भारत‘ के अस्तित्व का प्रमाण हैं | भरतवंशियों का नाम ‘भारत’ (सन्दर्भ श्रीमद्भगवद्गीता) | कई स्थानों पर उल्लेख है - जैसे धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोस्मि भरतर्षभ (७ – ११), एवमुक्तो ऋषीकेशो गुडाकेशेन भारत (१-२४) आदि|
| + | == हिंदू शब्द की ऐतिहासिकता == |
− | - उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणं वर्षं तत् भारतं नाम भारती यत्र संतती|| ..विष्णू पुराण
| + | हिन्दू यह नाम "भारत" की तुलना में नया है | फिर भी यह शब्द कम से कम २५०० वर्ष पुराना हो सकता है, ऐसा इतिहासकारों का कहना है | |
− | हमारे किसी भी मंगलकार्य या संस्कार विधि के समय जो संकल्प कहा जाता है उसमें भी ‘जम्बुद्वीपे भरतखंडे’ ऐसा भारत का उल्लेख आता है| हिन्दू यह नाम तुलना में नया है| फिर भी कम से कम २५०० वर्ष पुराना यह शब्द हो सकता है ऐसा इतिहासकारों का कहना है|
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− | हिंदू शब्द की ऐतिहासिकता
| + | बुद्धस्मृति में कहा है: |
− | - बुद्धस्मृति में कहा है – हिंसया दूयत् यश्च सदाचरण तत्त्पर: | वेड गो प्रतिमा सेवी स हिन्दू मुखवर्णभाक ||
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− | अर्थ : जो सदाचारी वैदिक मार्गपर चल;आनेवाला, गोभक्त, मूर्तिपूजक और हिंसा से दु:खी होनेवाला है, वह हिन्दू है|
| + | हिंसया दूयत् यश्च सदाचरण तत्त्पर: | |
− | - हिमालयम् समारभ्य यावदिंदु सरोवरम् | तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानम् प्रचक्ष्यते || .... बृहस्पति आगम
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| + | वेद गो प्रतिमा सेवी स हिन्दू मुखवर्णभाक || |
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| + | अर्थ : जो सदाचारी वैदिक मार्गपर चल;आनेवाला, गोभक्त, मूर्तिपूजक और हिंसा से दु:खी होनेवाला है, वह हिन्दू है| |
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| + | हिमालयम् समारभ्य यावदिंदु सरोवरम् | तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानम् प्रचक्ष्यते || .... बृहस्पति आगम |
| - सिस्टर निवेदिता अकादमी पब्लिकेशन –द ओरीजीन ऑफ द वर्ड हिन्दू – १९९३ में प्रकाशित पुस्तक में दिए संदर्भ - | | - सिस्टर निवेदिता अकादमी पब्लिकेशन –द ओरीजीन ऑफ द वर्ड हिन्दू – १९९३ में प्रकाशित पुस्तक में दिए संदर्भ - |
| - मूल ईरान के (पारसी) समाज की पवित्र पुस्तक ‘झेंद अवेस्ता’ में ‘हिन्दू’ शब्द का कई बार प्रयोग| झेंद अवेस्ता के ६० % शब्द शुद्ध संस्कृत मूल के हैं| इस समाज का काल ईसाईयों या मुसलमानों से बहुत पुराना है| झेंद अवेस्ता का काल ईसा से कम से कम १ हजार वर्ष पुराना माना जाता है| | | - मूल ईरान के (पारसी) समाज की पवित्र पुस्तक ‘झेंद अवेस्ता’ में ‘हिन्दू’ शब्द का कई बार प्रयोग| झेंद अवेस्ता के ६० % शब्द शुद्ध संस्कृत मूल के हैं| इस समाज का काल ईसाईयों या मुसलमानों से बहुत पुराना है| झेंद अवेस्ता का काल ईसा से कम से कम १ हजार वर्ष पुराना माना जाता है| |