मंत्रों या श्लोकों के शब्द एवं अर्थ का हिस्सा देखें तो उसका समावेश योग में होता है। परंतु श्लोकों में छंद होते हैं एवं छंदों की स्वररचना निश्चित होती है। मंत्रो की भी स्वररचना निश्चित होती है। वैदिक मंत्र की गानपद्धति को स्वरित पद्धति कहते हैं। इसलिए इसका समावेश संगीत विषय में भी होता है। इस दृष्टि से बहुत से प्रचलित अनुष्टुप एवं शार्दूलविक्रिडित जैसे छंद एवं वेद के कुछ मंत्र शुद्ध एवं बलवान स्वर में गाना सिखाना चाहिए। ताली बजाना ताल सीखने के लिए सबसे पहले ताली बजाना सीखना चाहिए। संख्या के अनुसार ताली बजवाना एवं गीत के साथ ताली बजाकर ताली बजाने का अभ्यास करवाना चाहिए। सामान्य ताल एवं बोल जिस तरह अलंकारों से स्वर का अभ्यास होता है, उसी तरह ताल के बोल से ताल का अभ्यास होता है। इसलिए प्रचलित तीन ताल का समावेश यहाँ किया गया है। १. कहेरवा मात्रा ४ १ मात्रा पर ताली खंड २ ३ मात्रा पर खाली | मंत्रों या श्लोकों के शब्द एवं अर्थ का हिस्सा देखें तो उसका समावेश योग में होता है। परंतु श्लोकों में छंद होते हैं एवं छंदों की स्वररचना निश्चित होती है। मंत्रो की भी स्वररचना निश्चित होती है। वैदिक मंत्र की गानपद्धति को स्वरित पद्धति कहते हैं। इसलिए इसका समावेश संगीत विषय में भी होता है। इस दृष्टि से बहुत से प्रचलित अनुष्टुप एवं शार्दूलविक्रिडित जैसे छंद एवं वेद के कुछ मंत्र शुद्ध एवं बलवान स्वर में गाना सिखाना चाहिए। ताली बजाना ताल सीखने के लिए सबसे पहले ताली बजाना सीखना चाहिए। संख्या के अनुसार ताली बजवाना एवं गीत के साथ ताली बजाकर ताली बजाने का अभ्यास करवाना चाहिए। सामान्य ताल एवं बोल जिस तरह अलंकारों से स्वर का अभ्यास होता है, उसी तरह ताल के बोल से ताल का अभ्यास होता है। इसलिए प्रचलित तीन ताल का समावेश यहाँ किया गया है। १. कहेरवा मात्रा ४ १ मात्रा पर ताली खंड २ ३ मात्रा पर खाली |