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{{One source|date=October 2019}}
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उद्देश्य
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== उद्देश्य ==
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१. भाषा प्रकृति की ओर से मनुष्य को मिला हुआ विशिष्ट उपहार है<ref>प्रारम्भिक पाठ्यक्रम एवं आचार्य अभिभावक निर्देशिका, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखिका: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। केवल
१. भाषा प्रकृति की ओर से मनुष्य को मिला हुआ विशिष्ट उपहार है<ref>प्रारम्भिक पाठ्यक्रम एवं आचार्य अभिभावक निर्देशिका, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखिका: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। केवल
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<nowiki>*</nowiki>
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आलंबन
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== आलंबन ==
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१. सर्व प्रथम भाषा अर्थात् मातृभाषा ही समझें, क्योंकि जीवन के प्रारंभ से ही
१. सर्व प्रथम भाषा अर्थात् मातृभाषा ही समझें, क्योंकि जीवन के प्रारंभ से ही
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है। जीवन का अनुभव, जीवन की समझ एवं भाषा विकास एकसाथ चलनेवाली प्रक्रिया है। इसलिए भाषा शिक्षण जीवननिष्ठ ही होना चाहिए।
है। जीवन का अनुभव, जीवन की समझ एवं भाषा विकास एकसाथ चलनेवाली प्रक्रिया है। इसलिए भाषा शिक्षण जीवननिष्ठ ही होना चाहिए।
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भाषा सीखना क्या है १. भाषा के दो स्वरूप है। ध्वनिस्वरूप एवं वर्णस्वरूप। मौखिक भाषा
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== भाषा सीखना क्या है ==
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१. भाषा के दो स्वरूप है। ध्वनिस्वरूप एवं वर्णस्वरूप। मौखिक भाषा ध्वनिस्वरूप है एवं लिखित भाषा वर्णस्वरूप है। इन दोनों में मूल भाषा तो ध्वनिस्वरूप ही है। वर्णस्वरूप ध्वनिस्वरूप का अनुसरण ही करता है। अर्थात् भाषा को प्रथम बोला जाता है, इसके बाद लिखा जाता है। जैसे बोला जाता है, वैसे ही एवं वैसा ही लिखा भी जाता है। भाषा की व्याख्या यही कहती है। भाषा की परिभाषा है, या भाष्यते सा भाषा। जो हम बोलते ३. हैं वहीं भाषा है। भाषा सीखना अर्थात् अच्छा बोलना, एवं अच्छा एवं सही लिखना सीखना। __ भाषा के मुख्य चार कौशल हैं; दो ध्वनिस्वरूप के एवं दो वर्णस्वरूप के।
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ध्वनिस्वरूप है एवं लिखित भाषा वर्णस्वरूप है। इन दोनों में मूल भाषा तो ध्वनिस्वरूप ही है। वर्णस्वरूप ध्वनिस्वरूप का अनुसरण ही करता है। अर्थात् भाषा को प्रथम बोला जाता है, इसके बाद लिखा जाता है। जैसे बोला जाता है, वैसे ही एवं वैसा ही लिखा भी जाता है। भाषा की व्याख्या यही कहती है। भाषा की परिभाषा है, या भाष्यते सा भाषा। जो हम बोलते ३.
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हैं वहीं भाषा है। भाषा सीखना अर्थात् अच्छा बोलना, एवं अच्छा एवं सही लिखना सीखना। __ भाषा के मुख्य चार कौशल हैं; दो ध्वनिस्वरूप के एवं दो वर्णस्वरूप के।
ध्वनिस्वरूप के दो कौशल अर्थात् सुनना (श्रवण) एवं बोलना (कथन)। वर्णस्वरूप के दो कौशल हैं - पढ़ना एवं लिखना। यहाँ भी कथन श्रवण का अनुसरण करता है एवं लेखन वाचन का अनुसरण करता है। अर्थात् व्यक्ति जैसा सुनता है वैसा बोलता है एवं जैसा पढ़ता है वैसा ही लिखता है। इस तरह भाषा के चार कौशलों का क्रम है श्रवण, भाषण, वाचन एवं लेखन। ये चारों कौशल इसी क्रम में सीखना चाहिए। भाषा के अन्य दो आयाम हैं शब्द एवं अर्थ। ध्वनिसमूह से बननेवाले अर्थहीन शब्द को भाषा नहीं कह सकते हैं। उदाहरण के तौर पर सासा रेरे गागा... ये ध्वनि हैं, इनमें स्वर हैं परंतु अर्थ नहीं है इसलिए वह संगीत है, परंतु भाषा नहीं है। शब्द यदि ध्वनि है तो उसका अर्थ जीवन में है। इस तरह जीवन के विविध सोपानों को स्पष्ट एवं अभिव्यक्त करनेवाला
ध्वनिस्वरूप के दो कौशल अर्थात् सुनना (श्रवण) एवं बोलना (कथन)। वर्णस्वरूप के दो कौशल हैं - पढ़ना एवं लिखना। यहाँ भी कथन श्रवण का अनुसरण करता है एवं लेखन वाचन का अनुसरण करता है। अर्थात् व्यक्ति जैसा सुनता है वैसा बोलता है एवं जैसा पढ़ता है वैसा ही लिखता है। इस तरह भाषा के चार कौशलों का क्रम है श्रवण, भाषण, वाचन एवं लेखन। ये चारों कौशल इसी क्रम में सीखना चाहिए। भाषा के अन्य दो आयाम हैं शब्द एवं अर्थ। ध्वनिसमूह से बननेवाले अर्थहीन शब्द को भाषा नहीं कह सकते हैं। उदाहरण के तौर पर सासा रेरे गागा... ये ध्वनि हैं, इनमें स्वर हैं परंतु अर्थ नहीं है इसलिए वह संगीत है, परंतु भाषा नहीं है। शब्द यदि ध्वनि है तो उसका अर्थ जीवन में है। इस तरह जीवन के विविध सोपानों को स्पष्ट एवं अभिव्यक्त करनेवाला
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सीखना। ५. भाषा की रचना अर्थात् व्याकरण का अध्ययन ६. विविध छंदों एवं लय से काव्यगान करना सीखना। अर्थात् भाषा एवं संगीत का समन्वय करना। कक्षा १ एवं २ में सबसे ज्यादा जरुरी
सीखना। ५. भाषा की रचना अर्थात् व्याकरण का अध्ययन ६. विविध छंदों एवं लय से काव्यगान करना सीखना। अर्थात् भाषा एवं संगीत का समन्वय करना। कक्षा १ एवं २ में सबसे ज्यादा जरुरी
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उच्चारण, वाचन, लेखन एवं शब्दरचना है। ३. पाठ्यक्रम १. बोलना : वर्ण, स्वर, शब्द, वाक्य, विरामचिह्न, आरोहअवरोह, संयुक्ताक्षर, ___ अनुप्रासात्मक एवं अनुरणनात्मक शब्दों का स्पष्ट शुद्ध उच्चारण।
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उच्चारण, वाचन, लेखन एवं शब्दरचना है।
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== पाठ्यक्रम ==
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१. बोलना : वर्ण, स्वर, शब्द, वाक्य, विरामचिह्न, आरोहअवरोह, संयुक्ताक्षर, ___ अनुप्रासात्मक एवं अनुरणनात्मक शब्दों का स्पष्ट शुद्ध उच्चारण।
वाचन : शब्द, वाक्य, परिच्छेद, अक्षर, वर्तनी का स्पष्ट शुद्ध उच्चारण
वाचन : शब्द, वाक्य, परिच्छेद, अक्षर, वर्तनी का स्पष्ट शुद्ध उच्चारण
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सहित, भाववाही तथा मौनवाचन ३. लेखन : वर्ण, मात्रा, शब्द, संयुक्ताक्षर, वाक्यलेखन। ४. शब्दरचना एवं शब्दों का अर्थ ५. वाक्यरचना एवं वाक्यों का अर्थ ६. कविता एवं गीत का पठन एवं गान
सहित, भाववाही तथा मौनवाचन ३. लेखन : वर्ण, मात्रा, शब्द, संयुक्ताक्षर, वाक्यलेखन। ४. शब्दरचना एवं शब्दों का अर्थ ५. वाक्यरचना एवं वाक्यों का अर्थ ६. कविता एवं गीत का पठन एवं गान
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<nowiki>*</nowiki> विवरण
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== विवरण ==
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१. भाषण १. छात्र जैसा सुनते हैं वैसा ही बोलते हैं। इसलिए छात्रों को शुद्ध बोलना
१. भाषण १. छात्र जैसा सुनते हैं वैसा ही बोलते हैं। इसलिए छात्रों को शुद्ध बोलना
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उपकारक सिद्ध होता है। किसी भी उच्चारण दोष को दूर करने की क्षमता संस्कृत के उच्चारण में है। इसलिए शुद्ध हिन्दी बोलना (कथन
उपकारक सिद्ध होता है। किसी भी उच्चारण दोष को दूर करने की क्षमता संस्कृत के उच्चारण में है। इसलिए शुद्ध हिन्दी बोलना (कथन
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करना) सीखने के लिए इन सभीका अभ्यास करना चाहिए। २. वाचन १. वाचन का प्रारंभ वर्गों से न करके शब्दों एवं वाक्यों से करना चाहिए।
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करना) सीखने के लिए इन सभीका अभ्यास करना चाहिए।
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== वाचन ==
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१. वाचन का प्रारंभ वर्गों से न करके शब्दों एवं वाक्यों से करना चाहिए।
क्योंकि शब्दों का एक निश्चित अर्थ होता है, अक्षरों का नहीं।
क्योंकि शब्दों का एक निश्चित अर्थ होता है, अक्षरों का नहीं।
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पुस्तक के अतिरिक्त फलक, अखबार, पत्रिकाएँ इत्यादि सबकुछ पढ़ने
पुस्तक के अतिरिक्त फलक, अखबार, पत्रिकाएँ इत्यादि सबकुछ पढ़ने
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का अभ्यास होते रहना चाहिए। प्रारंभ में सस्वर (जोर से) पढ़ने के बाद मंद स्वर में वाचन एवं अंत में मन में ही वाचन हो यही वाचन का क्रम है। यह वाचन सिखाना अर्थात् धाराप्रवाह वाचन ही सिखाना अपेक्षित है। 3. लेखन १. वैसे तो लिखना सीखना चित्र के समान ही उद्योग का एक भाग माना जाना
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का अभ्यास होते रहना चाहिए। प्रारंभ में सस्वर (जोर से) पढ़ने के बाद मंद स्वर में वाचन एवं अंत में मन में ही वाचन हो यही वाचन का क्रम है। यह वाचन सिखाना अर्थात् धाराप्रवाह वाचन ही सिखाना अपेक्षित है।
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== लेखन ==
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१. वैसे तो लिखना सीखना चित्र के समान ही उद्योग का एक भाग माना जाना
चाहिए। किसी भी अक्षर के लिए आवश्यक मोड़ उद्योग के पहले मुद्दे के समान है। या सीधी एवं लिरछी लकीरें खींचना ही है। ऐसी लकीरों एवं उचित मोड़ के सही अभ्यास के बाद आसान मोड़ एवं आकृतियों वाले अक्षर पहले सीखना चाहिए। उदाहरण के तौर पर दो अर्धगोल का उपयोग करके बननेवाले 'घ', 'ध', 'छ' आसान हैं। एक गोल एवं अर्धगोल तथा खड़ी लकीर वाला 'क' भी आसान है। इसी तरह समान आकृतियों वाले अक्षरों के समूह बनाकर एक एक अक्षर उचित मोड़ में लिखना सिखाना चाहिए। लिखने के लिए पहले स्लेट एवं बाद में कापी का उपयोग करना, अक्षरों के मरोड़ पर हाथ जम जाए इसलिए घोटने की पद्धति का भी उपयोग कर सकते हैं। लेखन का क्रम एवं अक्षरों के मोड़ का क्रम लेखन पुस्तिका में दिया गया
चाहिए। किसी भी अक्षर के लिए आवश्यक मोड़ उद्योग के पहले मुद्दे के समान है। या सीधी एवं लिरछी लकीरें खींचना ही है। ऐसी लकीरों एवं उचित मोड़ के सही अभ्यास के बाद आसान मोड़ एवं आकृतियों वाले अक्षर पहले सीखना चाहिए। उदाहरण के तौर पर दो अर्धगोल का उपयोग करके बननेवाले 'घ', 'ध', 'छ' आसान हैं। एक गोल एवं अर्धगोल तथा खड़ी लकीर वाला 'क' भी आसान है। इसी तरह समान आकृतियों वाले अक्षरों के समूह बनाकर एक एक अक्षर उचित मोड़ में लिखना सिखाना चाहिए। लिखने के लिए पहले स्लेट एवं बाद में कापी का उपयोग करना, अक्षरों के मरोड़ पर हाथ जम जाए इसलिए घोटने की पद्धति का भी उपयोग कर सकते हैं। लेखन का क्रम एवं अक्षरों के मोड़ का क्रम लेखन पुस्तिका में दिया गया