१. योग से शरीर, प्राण, मन, बुद्धि एवं चित्त ऐसे पाँचों स्तर का विकास होता है। अर्थात् शरीर सुदृढ एवं स्वस्थ बनता है। चेतातंत्र शुद्ध होता है, प्राण संतुलित बनता है, मन एकाग्र होता है, बुद्धि विवेकशील होती है एवं चित्त शुद्ध होता है। | १. योग से शरीर, प्राण, मन, बुद्धि एवं चित्त ऐसे पाँचों स्तर का विकास होता है। अर्थात् शरीर सुदृढ एवं स्वस्थ बनता है। चेतातंत्र शुद्ध होता है, प्राण संतुलित बनता है, मन एकाग्र होता है, बुद्धि विवेकशील होती है एवं चित्त शुद्ध होता है। |