समाधि अवस्था में ऋषि को सत्य का दर्शन होता है<ref>भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला १), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref>। यह दर्शन परावाणी में अनुदित होता है । परा वाणी वैखरी तक पहुँचकर सबको सुनाई दे इस प्रकार प्रकट होती है। उसे मन्त्र कहा जाता है . इसलिये ऋषि की परिभाषा बताई गई है “ऋष्यय: मन्त्रद्रष्टार: ।'
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भारत में दर्शन की संकल्पना है
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समाधि अवस्था में ऋषि को सत्य का दर्शन होता
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है। यह दर्शन परावाणी में अनुदित होता है । परा वाणी
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वैखरी तक पहुँचकर सबको सुनाई दे इस प्रकार प्रकट होती
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है। उसे मन्त्र कहा जाता है . इसलिये ऋषि की परिभाषा