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लेख सम्पादित किया
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वर्णचतुष्टय और शिक्षा
 
वर्णचतुष्टय और शिक्षा
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चार वर्ण
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== चार वर्ण ==
 
   
भारतीय समाजव्यवस्था के दो मूल आधार हैं । एक
 
भारतीय समाजव्यवस्था के दो मूल आधार हैं । एक
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स्वभाव क्या है ? मनुष्य का गुणधर्म ही मनुष्य का
 
स्वभाव क्या है ? मनुष्य का गुणधर्म ही मनुष्य का
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स्वभाव है । मनुष्य की पहचान मनुष्य के स्वभाव से ही
 
स्वभाव है । मनुष्य की पहचान मनुष्य के स्वभाव से ही
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है। ये कर्म शारीरिक भी होते हैं और बौद्धिक भी ।
 
है। ये कर्म शारीरिक भी होते हैं और बौद्धिक भी ।
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भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
      
उदाहरण के लिए खाना, चलना, वस्त्र... का अर्थ है ब्राह्मण वर्ण का पुरुष क्षत्रिय, वैश्य या शूट्र स्त्री
 
उदाहरण के लिए खाना, चलना, वस्त्र... का अर्थ है ब्राह्मण वर्ण का पुरुष क्षत्रिय, वैश्य या शूट्र स्त्री
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वर्ण चार हैं, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूटर ।
 
वर्ण चार हैं, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूटर ।
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== ब्राह्मणवर्ण ==
 
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पर्व १ : उपोद्धात
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ब्राह्मणवर्ण
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ब्राह्मण श्रेष्ठ वर्ण माना गया है । ज्ञान और संस्कार
 
ब्राह्मण श्रेष्ठ वर्ण माना गया है । ज्ञान और संस्कार
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निश्चिति नहीं रही है ।
 
निश्चिति नहीं रही है ।
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ब्राह्मणों का एक काम यजन और
 
ब्राह्मणों का एक काम यजन और
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की आशा अभी उनके कारण ही समाप्त नहीं हुई है।
 
की आशा अभी उनके कारण ही समाप्त नहीं हुई है।
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क्षत्रियवर्ण
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== क्षत्रियवर्ण ==
 
   
वर्तमान में क्षत्रिय वर्ण की प्रतिष्ठा वैश्यों से कम हो
 
वर्तमान में क्षत्रिय वर्ण की प्रतिष्ठा वैश्यों से कम हो
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परिणामस्वरूप क्षत्रिय वर्ण ही आज आप्रासंगिक हो गया है ।
 
परिणामस्वरूप क्षत्रिय वर्ण ही आज आप्रासंगिक हो गया है ।
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वैश्यवर्ण
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== वैश्यवर्ण ==
 
   
आज यदि किसी वर्ण का बोलबाला है तो वह है
 
आज यदि किसी वर्ण का बोलबाला है तो वह है
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बनना चाहिये । परन्तु आज सब कृषि से कतराते हैं ।
 
बनना चाहिये । परन्तु आज सब कृषि से कतराते हैं ।
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पर्व १ : उपोद्धात
      
कृषकों की संख्या धीरे धीरे कम हो रही है । यान्त्रिकीकरण
 
कृषकों की संख्या धीरे धीरे कम हो रही है । यान्त्रिकीकरण
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तो ही आश्चर्य है । मनुष्य स्वयं बिकाऊ बन गया है ।
 
तो ही आश्चर्य है । मनुष्य स्वयं बिकाऊ बन गया है ।
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भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
      
अन्न, पानी, औषध, विद्या को
 
अन्न, पानी, औषध, विद्या को
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और करना भी अन्यायपूर्ण ही है। परन्तु यह सब
 
और करना भी अन्यायपूर्ण ही है। परन्तु यह सब
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शूद्रवर्ण
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== शूद्रवर्ण ==
 
   
अंगसेवा करना । किसीका सिर दृबाना, पैर दबाना, मालिश
 
अंगसेवा करना । किसीका सिर दृबाना, पैर दबाना, मालिश
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आज वैश्य वर्ण की यह स्थिति है । ही होता है । कारीगरों से ही समाज समृद्ध बनता है ।
 
आज वैश्य वर्ण की यह स्थिति है । ही होता है । कारीगरों से ही समाज समृद्ध बनता है ।
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पर्व १ : उपोद्धात
      
इतिहास में प्रमाण मिलते हैं कि भारत कारीगरी के कि चेष्टा करता है । इस अनुचित
 
इतिहास में प्रमाण मिलते हैं कि भारत कारीगरी के कि चेष्टा करता है । इस अनुचित
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दे
 
दे
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& शास्त्रों के अध्ययन के साथ
 
& शास्त्रों के अध्ययन के साथ
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है, व्यापार नहीं करना है, व्यापार का शास्त्र जानना
 
है, व्यापार नहीं करना है, व्यापार का शास्त्र जानना
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भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
      
है, राज्य नहीं करना है, राज्य का शास्त्र जानना है
 
है, राज्य नहीं करना है, राज्य का शास्त्र जानना है
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शिक्षा ब्राह्मण के लिए आवश्यक है ।
 
शिक्षा ब्राह्मण के लिए आवश्यक है ।
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क्षत्रिय वर्ण की शिक्षा
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=== क्षत्रिय वर्ण की शिक्षा ===
 
   
क्षत्रिय वर्ण की शिक्षा के प्रमुख आयाम इस प्रकार हैं
 
क्षत्रिय वर्ण की शिक्षा के प्रमुख आयाम इस प्रकार हैं
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क्षत्रियोचित शिक्षा प्राप्त नहीं हो सकती |
 
क्षत्रियोचित शिक्षा प्राप्त नहीं हो सकती |
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पर्व १ : उपोद्धात
      
वचन का पालन करना, रणक्षेत्र से मुँह नहीं मोड़ना,
 
वचन का पालन करना, रणक्षेत्र से मुँह नहीं मोड़ना,
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प्रवृत्ति समाज में दिखाई देनी चाहिए ।
 
प्रवृत्ति समाज में दिखाई देनी चाहिए ।
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वैश्य वर्ण की शिक्षा
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=== वैश्य वर्ण की शिक्षा ===
 
   
¥,
 
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सिखाना चाहिए ।
 
सिखाना चाहिए ।
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शूद्र वर्ण की शिक्षा
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=== शूद्र वर्ण की शिक्षा ===
 
   
शूट्र वर्ण की शिक्षा के प्रमुख अंग इस प्रकार हैं ...
 
शूट्र वर्ण की शिक्षा के प्रमुख अंग इस प्रकार हैं ...
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कष्ट दूर हों यह देखने का दायित्व शूद्रों का है । इस
 
कष्ट दूर हों यह देखने का दायित्व शूद्रों का है । इस
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भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
      
दायित्व का बोध कराने वाली शिक्षा सामाजिक दायित्वबोध, देशभक्ति, धर्मनिष्ठा, धर्म
 
दायित्व का बोध कराने वाली शिक्षा सामाजिक दायित्वबोध, देशभक्ति, धर्मनिष्ठा, धर्म
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है। परन्तु यदि हम जन्म से वर्ण नहीं चाहते हैं और
 
है। परन्तु यदि हम जन्म से वर्ण नहीं चाहते हैं और
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कुछ सामान्य बातें अपना वर्ण स्वयं निश्चित करना चाहते हैं तो यह कार्य
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== कुछ सामान्य बातें ==
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अपना वर्ण स्वयं निश्चित करना चाहते हैं तो यह कार्य
    
8. अबतक हमने चारों वर्णों की विशिष्ट शिक्षा की चर्चा औपचारिक शिक्षा प्रारम्भ होने से पूर्व करना चाहिए
 
8. अबतक हमने चारों वर्णों की विशिष्ट शिक्षा की चर्चा औपचारिक शिक्षा प्रारम्भ होने से पूर्व करना चाहिए

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