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| वर्णचतुष्टय और शिक्षा | | वर्णचतुष्टय और शिक्षा |
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− | चार वर्ण | + | == चार वर्ण == |
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| भारतीय समाजव्यवस्था के दो मूल आधार हैं । एक | | भारतीय समाजव्यवस्था के दो मूल आधार हैं । एक |
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| स्वभाव क्या है ? मनुष्य का गुणधर्म ही मनुष्य का | | स्वभाव क्या है ? मनुष्य का गुणधर्म ही मनुष्य का |
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− | wo
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| स्वभाव है । मनुष्य की पहचान मनुष्य के स्वभाव से ही | | स्वभाव है । मनुष्य की पहचान मनुष्य के स्वभाव से ही |
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| है। ये कर्म शारीरिक भी होते हैं और बौद्धिक भी । | | है। ये कर्म शारीरिक भी होते हैं और बौद्धिक भी । |
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− | ............. page-74 .............
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− | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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| उदाहरण के लिए खाना, चलना, वस्त्र... का अर्थ है ब्राह्मण वर्ण का पुरुष क्षत्रिय, वैश्य या शूट्र स्त्री | | उदाहरण के लिए खाना, चलना, वस्त्र... का अर्थ है ब्राह्मण वर्ण का पुरुष क्षत्रिय, वैश्य या शूट्र स्त्री |
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| वर्ण चार हैं, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूटर । | | वर्ण चार हैं, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूटर । |
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| + | == ब्राह्मणवर्ण == |
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− | ............. page-75 .............
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− | पर्व १ : उपोद्धात
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− | ब्राह्मणवर्ण | |
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| ब्राह्मण श्रेष्ठ वर्ण माना गया है । ज्ञान और संस्कार | | ब्राह्मण श्रेष्ठ वर्ण माना गया है । ज्ञान और संस्कार |
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| निश्चिति नहीं रही है । | | निश्चिति नहीं रही है । |
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| ब्राह्मणों का एक काम यजन और | | ब्राह्मणों का एक काम यजन और |
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| की आशा अभी उनके कारण ही समाप्त नहीं हुई है। | | की आशा अभी उनके कारण ही समाप्त नहीं हुई है। |
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− | क्षत्रियवर्ण | + | == क्षत्रियवर्ण == |
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| वर्तमान में क्षत्रिय वर्ण की प्रतिष्ठा वैश्यों से कम हो | | वर्तमान में क्षत्रिय वर्ण की प्रतिष्ठा वैश्यों से कम हो |
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| परिणामस्वरूप क्षत्रिय वर्ण ही आज आप्रासंगिक हो गया है । | | परिणामस्वरूप क्षत्रिय वर्ण ही आज आप्रासंगिक हो गया है । |
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− | वैश्यवर्ण | + | == वैश्यवर्ण == |
− | | |
| आज यदि किसी वर्ण का बोलबाला है तो वह है | | आज यदि किसी वर्ण का बोलबाला है तो वह है |
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| बनना चाहिये । परन्तु आज सब कृषि से कतराते हैं । | | बनना चाहिये । परन्तु आज सब कृषि से कतराते हैं । |
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− | पर्व १ : उपोद्धात
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| कृषकों की संख्या धीरे धीरे कम हो रही है । यान्त्रिकीकरण | | कृषकों की संख्या धीरे धीरे कम हो रही है । यान्त्रिकीकरण |
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| तो ही आश्चर्य है । मनुष्य स्वयं बिकाऊ बन गया है । | | तो ही आश्चर्य है । मनुष्य स्वयं बिकाऊ बन गया है । |
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− | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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| अन्न, पानी, औषध, विद्या को | | अन्न, पानी, औषध, विद्या को |
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| और करना भी अन्यायपूर्ण ही है। परन्तु यह सब | | और करना भी अन्यायपूर्ण ही है। परन्तु यह सब |
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− | शूद्रवर्ण | + | == शूद्रवर्ण == |
− | | |
| अंगसेवा करना । किसीका सिर दृबाना, पैर दबाना, मालिश | | अंगसेवा करना । किसीका सिर दृबाना, पैर दबाना, मालिश |
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| आज वैश्य वर्ण की यह स्थिति है । ही होता है । कारीगरों से ही समाज समृद्ध बनता है । | | आज वैश्य वर्ण की यह स्थिति है । ही होता है । कारीगरों से ही समाज समृद्ध बनता है । |
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− | &R
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− | पर्व १ : उपोद्धात
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| इतिहास में प्रमाण मिलते हैं कि भारत कारीगरी के कि चेष्टा करता है । इस अनुचित | | इतिहास में प्रमाण मिलते हैं कि भारत कारीगरी के कि चेष्टा करता है । इस अनुचित |
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| दे | | दे |
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− | ............. page-80 .............
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− | Ro.
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| & शास्त्रों के अध्ययन के साथ | | & शास्त्रों के अध्ययन के साथ |
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| है, व्यापार नहीं करना है, व्यापार का शास्त्र जानना | | है, व्यापार नहीं करना है, व्यापार का शास्त्र जानना |
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− | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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| है, राज्य नहीं करना है, राज्य का शास्त्र जानना है | | है, राज्य नहीं करना है, राज्य का शास्त्र जानना है |
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| शिक्षा ब्राह्मण के लिए आवश्यक है । | | शिक्षा ब्राह्मण के लिए आवश्यक है । |
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− | क्षत्रिय वर्ण की शिक्षा | + | === क्षत्रिय वर्ण की शिक्षा === |
− | | |
| क्षत्रिय वर्ण की शिक्षा के प्रमुख आयाम इस प्रकार हैं | | क्षत्रिय वर्ण की शिक्षा के प्रमुख आयाम इस प्रकार हैं |
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| क्षत्रियोचित शिक्षा प्राप्त नहीं हो सकती | | | क्षत्रियोचित शिक्षा प्राप्त नहीं हो सकती | |
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− | ............. page-81 .............
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− | पर्व १ : उपोद्धात
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| वचन का पालन करना, रणक्षेत्र से मुँह नहीं मोड़ना, | | वचन का पालन करना, रणक्षेत्र से मुँह नहीं मोड़ना, |
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| प्रवृत्ति समाज में दिखाई देनी चाहिए । | | प्रवृत्ति समाज में दिखाई देनी चाहिए । |
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− | वैश्य वर्ण की शिक्षा | + | === वैश्य वर्ण की शिक्षा === |
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| ¥, | | ¥, |
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| सिखाना चाहिए । | | सिखाना चाहिए । |
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− | शूद्र वर्ण की शिक्षा | + | === शूद्र वर्ण की शिक्षा === |
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| शूट्र वर्ण की शिक्षा के प्रमुख अंग इस प्रकार हैं ... | | शूट्र वर्ण की शिक्षा के प्रमुख अंग इस प्रकार हैं ... |
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| कष्ट दूर हों यह देखने का दायित्व शूद्रों का है । इस | | कष्ट दूर हों यह देखने का दायित्व शूद्रों का है । इस |
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− | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
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| दायित्व का बोध कराने वाली शिक्षा सामाजिक दायित्वबोध, देशभक्ति, धर्मनिष्ठा, धर्म | | दायित्व का बोध कराने वाली शिक्षा सामाजिक दायित्वबोध, देशभक्ति, धर्मनिष्ठा, धर्म |
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| है। परन्तु यदि हम जन्म से वर्ण नहीं चाहते हैं और | | है। परन्तु यदि हम जन्म से वर्ण नहीं चाहते हैं और |
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− | कुछ सामान्य बातें अपना वर्ण स्वयं निश्चित करना चाहते हैं तो यह कार्य | + | == कुछ सामान्य बातें == |
| + | अपना वर्ण स्वयं निश्चित करना चाहते हैं तो यह कार्य |
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| 8. अबतक हमने चारों वर्णों की विशिष्ट शिक्षा की चर्चा औपचारिक शिक्षा प्रारम्भ होने से पूर्व करना चाहिए | | 8. अबतक हमने चारों वर्णों की विशिष्ट शिक्षा की चर्चा औपचारिक शिक्षा प्रारम्भ होने से पूर्व करना चाहिए |