<blockquote>तर्कोंऽप्रतिष्ठित: श्रुतयोर्विभिन्न: नैको ऋषिर्यस्य मतं प्रमाणं ।</blockquote><blockquote>धर्मस्य तत्वं निहितं गुहाय महाजनों येन गत: स पंथ: ।।</blockquote><blockquote>अर्थ : जहाँ मेरा तर्क काम नहीं करता, श्रुतियों के अर्थघटन में भी मुझे भिन्न मार्गदर्शन मिलता है, ऋषियों द्वारा भी जो कहा गया है उसमें मुझे भिन्नता दिखाई देती है तब मैंने जो महाजन हैं, जो धर्म को जानकर और धर्म के अनुसार व्यवहार करने वाले हैं, ऐसा प्रसिद्ध है, उनका अनुसरण करना चाहिए।</blockquote><blockquote>४. धर्म को न समझनेवाला ओर फिर भी यह माननेवाला की उसे धर्म की समझ है – इसे मूर्ख कहते हैं। | <blockquote>तर्कोंऽप्रतिष्ठित: श्रुतयोर्विभिन्न: नैको ऋषिर्यस्य मतं प्रमाणं ।</blockquote><blockquote>धर्मस्य तत्वं निहितं गुहाय महाजनों येन गत: स पंथ: ।।</blockquote><blockquote>अर्थ : जहाँ मेरा तर्क काम नहीं करता, श्रुतियों के अर्थघटन में भी मुझे भिन्न मार्गदर्शन मिलता है, ऋषियों द्वारा भी जो कहा गया है उसमें मुझे भिन्नता दिखाई देती है तब मैंने जो महाजन हैं, जो धर्म को जानकर और धर्म के अनुसार व्यवहार करने वाले हैं, ऐसा प्रसिद्ध है, उनका अनुसरण करना चाहिए।</blockquote><blockquote>४. धर्म को न समझनेवाला ओर फिर भी यह माननेवाला की उसे धर्म की समझ है – इसे मूर्ख कहते हैं। |