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{{One source|date=March 2019}}
 
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== अर्थ पुरुषार्थ<ref>भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला १), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref> ==
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== मोक्ष पुरुषार्थ<ref>भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला १), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे</ref> ==
 
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मोक्ष पुरुषार्थ
      
भारतीय समाज में मोक्ष एक बहुत ही प्रिय ऐसी
 
भारतीय समाज में मोक्ष एक बहुत ही प्रिय ऐसी
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भोगना समाप्त हो जाता है तब उसका
 
भोगना समाप्त हो जाता है तब उसका
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जानता हो यह तो सम्भव है परन्तु जो मुक्त हुआ है वह तो
 
जानता हो यह तो सम्भव है परन्तु जो मुक्त हुआ है वह तो
 
जानता ही है । जिस प्रकार अज्ञानी स्वयं के आअज्ञान को
 
जानता ही है । जिस प्रकार अज्ञानी स्वयं के आअज्ञान को
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भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
      
नहीं जानता परन्तु ज्ञानी स्वयं के और दूसरों के अज्ञान को
 
नहीं जानता परन्तु ज्ञानी स्वयं के और दूसरों के अज्ञान को
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दुःख से मुक्ति तो हम हमेशा चाहते ही हैं परन्तु दुःख
 
दुःख से मुक्ति तो हम हमेशा चाहते ही हैं परन्तु दुःख
 
 
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पर्व १ : उपोद्धात
      
किसे मानते हैं वह अपने अपने स्तर के अनुसार, अपनी
 
किसे मानते हैं वह अपने अपने स्तर के अनुसार, अपनी

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