Line 23: |
Line 23: |
| मधुर गन्ध को नासिका मन तक पहुँचाती हैं । कान मधुर | | मधुर गन्ध को नासिका मन तक पहुँचाती हैं । कान मधुर |
| � | | � |
− |
| |
− | ............. page-65 .............
| |
− |
| |
− | पर्व १ : उपोद्धात
| |
| | | |
| ध्वनियों को मन तक पहुँचाकर उसे सुख देते हैं । रसना | | ध्वनियों को मन तक पहुँचाकर उसे सुख देते हैं । रसना |
Line 65: |
Line 61: |
| वाली वस्तुयें केवल अपने ही पास हो ऐसा चाहता है। | | वाली वस्तुयें केवल अपने ही पास हो ऐसा चाहता है। |
| | | |
− | ¥8
| |
| | | |
− |
| + | |
− |
| |
− |
| |
| | | |
| अपने पास नहीं है और दूसरे के पास | | अपने पास नहीं है और दूसरे के पास |
Line 109: |
Line 102: |
| � | | � |
| | | |
− | ............. page-66 .............
| |
− |
| |
− |
| |
− |
| |
− |
| |
| | | |
| इस प्रवृत्ति से ही अनेक प्रकार की | | इस प्रवृत्ति से ही अनेक प्रकार की |
Line 152: |
Line 140: |
| नहीं करता जिससे स्वास्थ्य खराब हो । इंद्रियाँ उसके लिये | | नहीं करता जिससे स्वास्थ्य खराब हो । इंद्रियाँ उसके लिये |
| उपभोग के माध्यम हैं तो भी वह उनकी सुरक्षा की परवा | | उपभोग के माध्यम हैं तो भी वह उनकी सुरक्षा की परवा |
− |
| |
− | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
| |
− |
| |
− |
| |
| | | |
| किए बिना विषयों का सुख लेता रहता है । इस काम की | | किए बिना विषयों का सुख लेता रहता है । इस काम की |
Line 195: |
Line 179: |
| सरल नहीं है । वह अत्यन्त कठिन है । साथ ही उसमें एक | | सरल नहीं है । वह अत्यन्त कठिन है । साथ ही उसमें एक |
| � | | � |
− |
| |
− | ............. page-67 .............
| |
− |
| |
− | पर्व १ : उपोद्धात
| |
| | | |
| खतरा भी है । सारे पदार्थों का त्याग कर संन्यासी बन | | खतरा भी है । सारे पदार्थों का त्याग कर संन्यासी बन |
Line 236: |
Line 216: |
| निर्माण होती है । ऐसा होने से काम से मुक्ति नहीं मिलती | | निर्माण होती है । ऐसा होने से काम से मुक्ति नहीं मिलती |
| | | |
− | ५१
| |
− |
| |
− |
| |
− |
| |
− |
| |
| | | |
| और कामजनित दुःखों से भी मुक्ति | | और कामजनित दुःखों से भी मुक्ति |
Line 280: |
Line 255: |
| समझकर उसका उचित सम्मान करना चाहिये और उसके | | समझकर उसका उचित सम्मान करना चाहिये और उसके |
| � | | � |
− |
| |
− | ............. page-68 .............
| |
− |
| |
− |
| |
− |
| |
− |
| |
− | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
| |
− |
| |
− |
| |
| | | |
| सामर्थ्य को समझ कर उसे नियमन में. से ही स्वस्थ हो यह पर्याप्त नहीं है, वह जन्म से ही | | सामर्थ्य को समझ कर उसे नियमन में. से ही स्वस्थ हो यह पर्याप्त नहीं है, वह जन्म से ही |
Line 326: |
Line 292: |
| जाता रहा है और गर्भवती महिला की बहुत संभाल रखी... रोकना चाहिये । आजकल यह बात सर्वथा विस्मृत हो गई | | जाता रहा है और गर्भवती महिला की बहुत संभाल रखी... रोकना चाहिये । आजकल यह बात सर्वथा विस्मृत हो गई |
| जाती रही है । जन्म लेने वाला शिशु केवल शारीरिक दृष्टि है परन्तु यह विस्मरण बहुत भारी पड़ने वाला है क्योंकि | | जाती रही है । जन्म लेने वाला शिशु केवल शारीरिक दृष्टि है परन्तु यह विस्मरण बहुत भारी पड़ने वाला है क्योंकि |
− |
| |
− | &R
| |
− | �
| |
− |
| |
− | ............. page-69 .............
| |
− |
| |
− | पर्व १ : उपोद्धात
| |
| | | |
| यह विस्मरण हमें पशुता ही नहीं अपितु आसुरी वृत्ति की | | यह विस्मरण हमें पशुता ही नहीं अपितु आसुरी वृत्ति की |
Line 371: |
Line 330: |
| को भड़काने वाले और वासनाओं को बढ़ाने वाले ही होते | | को भड़काने वाले और वासनाओं को बढ़ाने वाले ही होते |
| | | |
− | 43
| |
− |
| |
− |
| |
− |
| |
− |
| |
| | | |
| हैं । संयम को आवश्यक माना ही नहीं | | हैं । संयम को आवश्यक माना ही नहीं |
Line 414: |
Line 368: |
| शिक्षा केवल पढने लिखने की और लिखित परीक्षा की नहीं | | शिक्षा केवल पढने लिखने की और लिखित परीक्षा की नहीं |
| � | | � |
− |
| |
− | ............. page-70 .............
| |
− |
| |
− |
| |
− |
| |
− |
| |
− |
| |
− | भारतीय शिक्षा : संकल्पना एवं स्वरूप
| |
− |
| |
− |
| |
| | | |
| होती । वह हर स्तर पर प्रायोगिक होनी... चाहिये । इसके अनुकूल व्यवस्थाएँ कैसी होंगी, यह भी | | होती । वह हर स्तर पर प्रायोगिक होनी... चाहिये । इसके अनुकूल व्यवस्थाएँ कैसी होंगी, यह भी |