Changes

Jump to navigation Jump to search
no edit summary
Line 604: Line 604:  
  कष्टं युद्धे दश शेषाः श्रुता मे त्रयोऽस्माकं पाण्डवानां च सप्त।
 
  कष्टं युद्धे दश शेषाः श्रुता मे त्रयोऽस्माकं पाण्डवानां च सप्त।
 
  द्व्यूना विंशतिराहताक्षौहिणीनां तस्मिन्संग्रामे भैरवे क्षत्रियाणाम्॥ 1-1-223
 
  द्व्यूना विंशतिराहताक्षौहिणीनां तस्मिन्संग्रामे भैरवे क्षत्रियाणाम्॥ 1-1-223
 +
तमस्त्वतीव विस्तीर्णं मोह आविशतीव माम्।
 +
संज्ञां नोपलभे सूत मनो विह्वलतीव मे॥ 1-1-224
 
  [[:Category:Dhrtarashtra|''Dhrtarashtra'']] [[:Category:Discussion|''Discussion'']] [[:Category:Sanjay|''Sanjay'']]  
 
  [[:Category:Dhrtarashtra|''Dhrtarashtra'']] [[:Category:Discussion|''Discussion'']] [[:Category:Sanjay|''Sanjay'']]  
 
  [[:Category:reasons|''reasons'']] [[:Category:hope|''hope'']] [[:Category:loss of hope|''loss of hope'']]                 
 
  [[:Category:reasons|''reasons'']] [[:Category:hope|''hope'']] [[:Category:loss of hope|''loss of hope'']]                 
Line 611: Line 613:  
  [[:Category:ध्रतराष्ट्रने विजयकी आशा छोड़ने के कारण|''ध्रतराष्ट्रने विजयकी आशा छोड़ने के कारण'']]
 
  [[:Category:ध्रतराष्ट्रने विजयकी आशा छोड़ने के कारण|''ध्रतराष्ट्रने विजयकी आशा छोड़ने के कारण'']]
   −
  −
तमस्त्वतीव विस्तीर्णं मोह आविशतीव माम्।
  −
  −
संज्ञां नोपलभे सूत मनो विह्वलतीव मे॥ 1-1-224
      
सौतिरुवाच इत्युक्त्वा धृतराष्ट्रोऽथ विलप्य बहुदुःखितः।
 
सौतिरुवाच इत्युक्त्वा धृतराष्ट्रोऽथ विलप्य बहुदुःखितः।
1,815

edits

Navigation menu