Line 13: |
Line 13: |
| [[:Category:Dhaumya Rishi|''Dhaumya Rishi'']] [[:Category:धौम्य ऋषि|''धौम्य ऋषि'']] | | [[:Category:Dhaumya Rishi|''Dhaumya Rishi'']] [[:Category:धौम्य ऋषि|''धौम्य ऋषि'']] |
| | | |
− | धौम्य उवाच | + | धौम्य उवाच |
− | | + | पुरा सृष्टानि भूतानि पीड्यन्ते क्षुधया भृशम्। |
− | पुरा सृष्टानि भूतानि पीड्यन्ते क्षुधया भृशम्। | + | ततोऽनुकम्पया तेषां सविता स्वपिता यथा॥ 3-3-5 |
− | | + | गत्वोत्तरायणं तेजो रसानुद्धृत्य रश्मिभिः। |
− | ततोऽनुकम्पया तेषां सविता स्वपिता यथा॥ 3-3-5 | + | दक्षिणायनमावृत्तो महीं निविशते रविः॥ 3-3-6 |
− | | + | [[:Category:Sun God|''Sun God'']] [[:Category:सूर्य देव|''सूर्य देव'']] [[:Category:अन्न|''अन्न'']] |
− | गत्वोत्तरायणं तेजो रसानुद्धृत्य रश्मिभिः। | |
− | | |
− | दक्षिणायनमावृत्तो महीं निविशते रविः॥ 3-3-6 | |
| | | |
| क्षेत्रभूते ततस्तस्मिन्नोषधीरोषधीपतिः। | | क्षेत्रभूते ततस्तस्मिन्नोषधीरोषधीपतिः। |
Line 27: |
Line 24: |
| निषिक्तश्चन्द्रतेजोभिः स्वयोनौ निर्गते रविः। | | निषिक्तश्चन्द्रतेजोभिः स्वयोनौ निर्गते रविः। |
| ओषध्यः षड्रसा मेध्यास्तदन्नं प्राणिनां भुवि॥ 3-3-8 | | ओषध्यः षड्रसा मेध्यास्तदन्नं प्राणिनां भुवि॥ 3-3-8 |
− | [[:Category:Moon God|''Moon God'']] [[:Category:चंद्रमा|''चंद्रमा'']] [[:Category:चंद्र देव|''चंद्र देव'']] | + | [[:Category:Sun God|''Sun God'']] [[:Category:सूर्य देव|''सूर्य देव'']] [[:Category:अन्न|''अन्न'']] [[:Category:Moon God|''Moon God'']] [[:Category:चंद्रमा|''चंद्रमा'']] [[:Category:चंद्र देव|''चंद्र देव'']] |
− | | |
− | एवं भानुमयं ह्यन्नं भूतानां प्राणधारणम्।
| |
| | | |
− | पितैष सर्वभूतानां तस्मात्तं शरणं व्रज॥ 3-3-9 | + | एवं भानुमयं ह्यन्नं भूतानां प्राणधारणम्। |
| + | पितैष सर्वभूतानां तस्मात्तं शरणं व्रज॥ 3-3-9 |
| + | [[:Category:Sun God|''Sun God'']] [[:Category:सूर्य देव|''सूर्य देव'']] [[:Category:अन्न|''अन्न'']] |
| | | |
| राजानो हि महात्मानो योनिकर्मविशोधिताः। | | राजानो हि महात्मानो योनिकर्मविशोधिताः। |