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| − | काव्यस्य लेखनार्थाय गणेशः स्मर्यतां मुने॥ 1-1-80 | + | काव्यस्य लेखनार्थाय गणेशः स्मर्यतां मुने॥ 1-1-80 |
| | + | सौतिरुवाच एवमाभाष्य तं ब्रह्मा जगाम स्वं निवेशनम्। |
| | + | ततः सस्मार हेरम्बं व्यासः सत्यवतीसुतः॥ 1-1-81 |
| | + | स्मृतमात्रो गणेशानो भक्तचिन्तितपूरकः। |
| | + | तत्राजगाम विघ्नेशो वेदव्यासो यतः स्थितः॥ 1-1-82 |
| | + | पूजितश्चोपविष्टश्च व्यासेनोक्तस्तदाऽनघ। |
| | + | लेखको भारतस्यास्य भव त्वं गणनायक॥ 1-1-83 |
| | + | मयैव प्रोच्यमानस्य मनसा कल्पितस्य च। |
| | + | श्रुत्वैतत्प्राह विघ्नेशो यदि मे लेखनी क्षणम्॥ 1-1-84 |
| | + | लिखतो नावतिष्ठेत तदा स्यां लेखको ह्यहम्। |
| | + | [[:Category:Vyasdev|''Vyasdev'']] [[:Category:calls|''calls'']] [[:Category:Ganesh|''Ganesh'']] |
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| | + | [[:Category:व्यासदेवका गणेशको बुलाना|''व्यासदेवका गणेशको बुलाना'']] |
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| − | सौतिरुवाच एवमाभाष्य तं ब्रह्मा जगाम स्वं निवेशनम्।
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| − | ततः सस्मार हेरम्बं व्यासः सत्यवतीसुतः॥ 1-1-81
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| − | स्मृतमात्रो गणेशानो भक्तचिन्तितपूरकः।
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| − | तत्राजगाम विघ्नेशो वेदव्यासो यतः स्थितः॥ 1-1-82
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| − | पूजितश्चोपविष्टश्च व्यासेनोक्तस्तदाऽनघ।
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| − | लेखको भारतस्यास्य भव त्वं गणनायक॥ 1-1-83
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| − | मयैव प्रोच्यमानस्य मनसा कल्पितस्य च।
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| − | श्रुत्वैतत्प्राह विघ्नेशो यदि मे लेखनी क्षणम्॥ 1-1-84
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| − | लिखतो नावतिष्ठेत तदा स्यां लेखको ह्यहम्।
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| | व्यासोऽप्युवाच तं देवमबुद्ध्वा मा लिख क्वचित्॥ 1-1-85 | | व्यासोऽप्युवाच तं देवमबुद्ध्वा मा लिख क्वचित्॥ 1-1-85 |