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| | वाक्यं वचनसम्पन्नस्तेषां च चरिताश्रयम्॥ 1-1-8 | | वाक्यं वचनसम्पन्नस्तेषां च चरिताश्रयम्॥ 1-1-8 |
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| | तस्मिन्सदसि विस्तीर्णे मुनीनां भावितात्मनाम्। | | तस्मिन्सदसि विस्तीर्णे मुनीनां भावितात्मनाम्। |
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| | सौतिरुवाच | | सौतिरुवाच |
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| | जनमेजयस्य राजर्षेः सर्पसत्रे महात्मनः॥ 1-1-9 | | जनमेजयस्य राजर्षेः सर्पसत्रे महात्मनः॥ 1-1-9 |
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| | समीपे पार्थिवेन्द्रस्य सम्यक्पारिक्षितस्य च। | | समीपे पार्थिवेन्द्रस्य सम्यक्पारिक्षितस्य च। |
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| | कृष्णद्वैपायनप्रोक्ताः सुपुण्या विविधाः कथाः॥ 1-1-10 | | कृष्णद्वैपायनप्रोक्ताः सुपुण्या विविधाः कथाः॥ 1-1-10 |
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| | कथिताश्चापि विधिवद्या वैशम्पायनेन वै। | | कथिताश्चापि विधिवद्या वैशम्पायनेन वै। |
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| | श्रुत्वाहं ता विचित्रार्था महाभारतसंश्रिताः॥ 1-1-11 | | श्रुत्वाहं ता विचित्रार्था महाभारतसंश्रिताः॥ 1-1-11 |
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| | बहूनि सम्परिक्रम्य तीर्थान्यायतनानि च। | | बहूनि सम्परिक्रम्य तीर्थान्यायतनानि च। |
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| | श[स]मन्तपञ्चकं नाम पुण्यं द्विजनिषेवितम्॥ 1-1-12 | | श[स]मन्तपञ्चकं नाम पुण्यं द्विजनिषेवितम्॥ 1-1-12 |