Line 32: |
Line 32: |
| वाक्यं वचनसम्पन्नस्तेषां च चरिताश्रयम्॥ 1-1-8 | | वाक्यं वचनसम्पन्नस्तेषां च चरिताश्रयम्॥ 1-1-8 |
| [[:Category:Ugrashrava|''Ugrashrava'']] [[:Category:Expert|''Expert'']] [[:Category:Orator|''Orator'']] [[:Category:उग्रश्रवा|''उग्रश्रवा'']] [[:Category:कुश्ल|''कुश्ल'']] [[:Category:वक्ता |''वक्ता '']] | | [[:Category:Ugrashrava|''Ugrashrava'']] [[:Category:Expert|''Expert'']] [[:Category:Orator|''Orator'']] [[:Category:उग्रश्रवा|''उग्रश्रवा'']] [[:Category:कुश्ल|''कुश्ल'']] [[:Category:वक्ता |''वक्ता '']] |
| + | |
| तस्मिन्सदसि विस्तीर्णे मुनीनां भावितात्मनाम्। | | तस्मिन्सदसि विस्तीर्णे मुनीनां भावितात्मनाम्। |
− |
| |
| सौतिरुवाच | | सौतिरुवाच |
− |
| |
| जनमेजयस्य राजर्षेः सर्पसत्रे महात्मनः॥ 1-1-9 | | जनमेजयस्य राजर्षेः सर्पसत्रे महात्मनः॥ 1-1-9 |
− |
| |
| समीपे पार्थिवेन्द्रस्य सम्यक्पारिक्षितस्य च। | | समीपे पार्थिवेन्द्रस्य सम्यक्पारिक्षितस्य च। |
− |
| |
| कृष्णद्वैपायनप्रोक्ताः सुपुण्या विविधाः कथाः॥ 1-1-10 | | कृष्णद्वैपायनप्रोक्ताः सुपुण्या विविधाः कथाः॥ 1-1-10 |
− |
| |
| कथिताश्चापि विधिवद्या वैशम्पायनेन वै। | | कथिताश्चापि विधिवद्या वैशम्पायनेन वै। |
− |
| |
| श्रुत्वाहं ता विचित्रार्था महाभारतसंश्रिताः॥ 1-1-11 | | श्रुत्वाहं ता विचित्रार्था महाभारतसंश्रिताः॥ 1-1-11 |
− |
| |
| बहूनि सम्परिक्रम्य तीर्थान्यायतनानि च। | | बहूनि सम्परिक्रम्य तीर्थान्यायतनानि च। |
| + | [[:Category:Ugrashrava|''Ugrashrava'']] [[:Category:Mahabharata|''Mahabharata'']] [[:Category:Stories|''Stories'']] [[:Category:Vyasdev|''Vyasdev'']] [[:Category:उग्रश्रवा|''उग्रश्रवा'']] [[:Category:महाभारत|''महाभारत'']] [[:Category:व्यासदेव|''व्यासदेव'']] |
| | | |
| श[स]मन्तपञ्चकं नाम पुण्यं द्विजनिषेवितम्॥ 1-1-12 | | श[स]मन्तपञ्चकं नाम पुण्यं द्विजनिषेवितम्॥ 1-1-12 |