Changes

Jump to navigation Jump to search
no edit summary
Line 20: Line 20:  
  निर्दिष्टमासनं भेजे विनयाद्रौ[ल्लौ]महर्षणिः॥ 1-1-5
 
  निर्दिष्टमासनं भेजे विनयाद्रौ[ल्लौ]महर्षणिः॥ 1-1-5
 
  [[:Category:Lomharshana|''Lomharshana'']] [[:Category:Son|''Son'']] [[:Category:Ugrashrava|''Ugrashrava'']] [[:Category:लोमहर्षण|''लोमहर्षण'']] [[:Category:पुत्र|''पुत्र'']]  [[:Category:उग्रश्रवा|''उग्रश्रवा'']]  
 
  [[:Category:Lomharshana|''Lomharshana'']] [[:Category:Son|''Son'']] [[:Category:Ugrashrava|''Ugrashrava'']] [[:Category:लोमहर्षण|''लोमहर्षण'']] [[:Category:पुत्र|''पुत्र'']]  [[:Category:उग्रश्रवा|''उग्रश्रवा'']]  
 +
 
सुखासीनं ततस्तं ते[तु] विश्रान्तमुपलक्ष्य च।
 
सुखासीनं ततस्तं ते[तु] विश्रान्तमुपलक्ष्य च।
   
अथापृच्छदृषिस्तत्र काश्चित्प्रस्तावयन्कथाः॥ 1-1-6
 
अथापृच्छदृषिस्तत्र काश्चित्प्रस्तावयन्कथाः॥ 1-1-6
 +
[[:Category:Question|''Question'']] [[:Category:First Question|''First Question'']] [[:Category:Ugrashrava|''Ugrashrava'']] [[:Category:First|''First'']] [[:Category:पेहला प्र्श्न रिशियोका|''पेहला प्र्श्न रिशियोका'']] [[:Category:प्र्श्न|''प्र्श्न'']] [[:Category:पेहला|''पेहला'']] [[:Category:उग्रश्रवा|''उग्रश्रवा'']]  [[:Category:रिशियो|''रिशियो'']]
    
कुत आगम्यते सौते क्व चायं विहृतस्त्वया।
 
कुत आगम्यते सौते क्व चायं विहृतस्त्वया।
1,815

edits

Navigation menu