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==गर्भपूर्वावस्था ॥ Before Conception==
 
==गर्भपूर्वावस्था ॥ Before Conception==
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|<nowiki>तैयारी : उपनयन के पूर्व के सभी संस्कारों का अध्ययन | 4 आदतें ढालना |</nowiki>
# <nowiki>तैयारी : उपनयन के पूर्व के सभी संस्कारों का अध्ययन | 4 आदतें ढालना:
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# व्यक्तिगत साधना का महत्व (अध्यात्म विद्या विद्यानां )
## व्यक्तिगत साधना का महत्व (अध्यात्म विद्या विद्यानां )
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# अपनी मातृभाषा का प्रयोग (गति बढाने के लिये मानसिकता)
## अपनी मातृभाषा का प्रयोग (गति बढाने के लिये मानसिकता)  
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# सामूहिक साधना का महत्व - कीर्तन, कथा चर्चा  (अध्यात्म विद्या विद्यानाम् )
## सामूहिक साधना का महत्व - कीर्तन, कथा चर्चा  (अध्यात्म विद्या विद्यानां )  
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# परिवार में संबंध
## परिवार में संबंध  
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# यथाशक्ति प्रचार
## यथाशक्ति प्रचार  
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# परम्पराओं को समझना [पुरानी पीढ़ीओं के साथ सम्बन्ध]  |  
## परम्पराओं को समझना [पुरानी णी पीढ़ीओं के साथ सम्बन्ध]  | गतिमान संतुलन (dynamic balance) : विस्तार -> ब्राह्मण : प्रस्तुति ; क्षत्रिय : प्रचार</nowiki>
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गतिमान संतुलन (dynamic balance) : विस्तार -  
<=मन =>
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ब्राह्मण : प्रस्तुति  
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क्षत्रिय : प्रचार
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धर्मग्रंथ (कच्चा गृहस्थ) | इष्ट गति => अष्टांग योग  / यम नियम
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इष्ट गति : अष्टांग योग  / यम नियम का पालन ।
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बैठक : खेल (आक्रोश व्यक्त), गीत ,कहानी ,चर्चा  
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बैठक : खेल (आक्रोश व्यक्त), गीत ,कहानी ,चर्चा
 
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==गर्भावस्था ॥ During Pregnancy==
 
==गर्भावस्था ॥ During Pregnancy==
|०) गर्भादान & पुंसवान & सीमन्तोनयन संस्कार (अपेक्षित) १) व्यक्तिगत साधना का महत्व (अध्यात्म विद्या विद्यानां २) अपनी मातृभाषा का प्रयोग ३) सामूहिक साधना का महत्व - कीर्तन, कथा चर्चा  (अध्यात्म विद्या विद्यानां ) ४ ) परिवार में संबंध <s>५) यथाशक्ति प्रचार</s> ६) परम्पराओं को समझना [पुराणी पीढ़ीओं के साथ सम्बन्ध]  
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# गर्भादान, पुंसवान और सीमन्तोनयन संस्कार (अपेक्षित)  
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# व्यक्तिगत साधना का महत्व (अध्यात्म विद्या विद्यानाम् )   
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# अपनी मातृभाषा का प्रयोग  
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# सामूहिक साधना का महत्व - कीर्तन, कथा चर्चा  (अध्यात्म विद्या विद्यानाम्)  
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# परिवार में संबंध  
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# परम्पराओं को समझना [पुराणी पीढ़ीओं के साथ सम्बन्ध]  
 
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==शैशवम् ॥ Childhood (Until the age of 5years)==
 
==शैशवम् ॥ Childhood (Until the age of 5years)==
|दिशा पर जोर १) जाता कर्म संस्कार (सुवर्ण प्राशन), नाम कारन संस्कार , निष्क्रमण संस्कार , अन्न प्राशन, चूड़ाकरण/मुंडन संस्कार , कर्णभेद संस्कार  २)  अपनी प्रान्तिक बोली का प्रयोग ३) कहानियां (श्रीमद भागवत ) गटश:  - अलग अलग गुणों से (-> 3/4 भाषाये लिये) सम्बंधित कहानियां - ४)  अभिनय / नाट्य (acting ) से समग्रता - जिज्ञासा उत्पति  - अनुभव अन्तः करण  तक प्रवेश ५) दिन के अनुभवों को सुनाना एवं कहानी के रूप में इन वरिष्ठों  से लिखवाना ६ ) खेल - अक्षरणम, अकारोस्मि <s>अचर</s> ( पंचमहाभूत ) के साथ ->  कर्मेंद्रियो के , ६) पूरे परिवार के साथ  
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|दिशा पर जोर :
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# जाता कर्म संस्कार (सुवर्ण प्राशन), नाम कारन संस्कार , निष्क्रमण संस्कार , अन्न प्राशन, चूड़ाकरण/मुंडन संस्कार , कर्णभेद संस्कार   
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# अपनी प्रान्तिक बोली का प्रयोग  
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# कहानियां (श्रीमद भागवत ) गटश:  - अलग अलग गुणों से (3/4 भाषाये लिये) सम्बंधित कहानियां  
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# अभिनय / नाट्य (acting ) से समग्रता - जिज्ञासा उत्पति  - अनुभव अन्तः करण  तक प्रवेश  
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# दिन के अनुभवों को सुनाना एवं कहानी के रूप में इन वरिष्ठों  से लिखवाना  
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# खेल - अक्षरणाम् अकारोस्मि (पंचमहाभूत) के साथ कर्मेंद्रियो के साथ..
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# पूरे परिवार के साथ
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गति : शरीर की गति अधिक, मन / बुद्धि की गति कम |
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मोक्ष गायी इच्छाये -> गति tradeoff : शरीर की गति अधिक => मन / बुद्धि की गति कम |
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अन्त में - तीन संस्कारों में अपेक्षित क्या है |  
 
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climax के में - तीन संस्कारों में अपेक्षित क्या है |  
   
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==बाल्यम् ॥ Childhood (From the age between 6 to 10 years)==
 
==बाल्यम् ॥ Childhood (From the age between 6 to 10 years)==
|<nowiki>दिशा पर जोर १) विद्यारम्भा संस्कार - मातृभाषा में (गीता १०.३३ ) २ ) खेल - चर एवं अन्य  बालकों के साथ ३ ) पूरे परिवार के साथ खेलना  ४) उपनयन संस्कार का अरंभ (८ वर्ष में) ५) कहानियां - रामायण  ६) एकता का अनुभव -> विशिष्ट प्रसंग -> एकात्मता संस्कार संस्कृति -> सारी कहानियाँ एकात्मता स्तोत्र से |</nowiki>
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|दिशा पर जोर :
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# विद्यारम्भ संस्कार - मातृभाषा में (गीता १०.३३ )  
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# खेल - चर एवं अन्य  बालकों के साथ  
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# पूरे परिवार के साथ खेलना   
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# उपनयन संस्कार का आरंभ (८ वर्ष में)  
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# कहानियां - रामायण   
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# एकता का अनुभव विशिष्ट प्रसंग द्वारा एकात्मता, संस्कार, संस्कृति सारी कहानियाँ एकात्मता स्तोत्र से |
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वर्णा नुसार 8 संस्कार निरीक्षण और अनुभव अवसर ।
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वर्णा नुसार 8 संस्कार निरीक्षण & अनुभव अवसर
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पंढरपुर वारी : last person should also be taken along (even गर्भवती महिला)
 
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पंढरपुर वारी => last person should also be taken along (even गर्भवती महिला)
   
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==कौमारम् ॥ Adolescence (Age between 11 and 15 years)==
 
==कौमारम् ॥ Adolescence (Age between 11 and 15 years)==
|युक्ता गति पर जोर १) उपनयन संस्कार को जारी रखना  (८ वर्ष में) २) वेदारंभ -> अहंकार के ज्ञाता भाव की पुष्टी ३) ज्ञान मय कोश के विकास हेतु महाभारत की कहानियां - विविधता का अनुभव  
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|युक्ता गति पर जोर :
 
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# उपनयन संस्कार को जारी रखना  (८ वर्ष में)  
वर्णानुसार => ब्राह्मण , क्षत्रिय (10-11), वैश्य (18-16)
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# वेदारंभ : अहंकार के ज्ञाता भाव की पुष्टी  
 
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# ज्ञान मय कोश के विकास हेतु महाभारत की कहानियां - विविधता का अनुभव
Climax -> परमोच्य बिंदु | इसी को हिन्दी में Climax कहते है |
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वर्णानुसार : ब्राह्मण , क्षत्रिय (10-11), वैश्य (18-16)
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पाने की प्रक्रिया क्या है -> अधिजनन शास्त्र का अध्ययन (स्वाभाविक / कृत्रिम) जुडे हुए लोगों का मार्गदर्शन
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अन्त मे परमोच्य बिंदु |
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संकल्प -> विवेक के साथ
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पाने की प्रक्रिया क्या है : अधिजनन शास्त्र का अध्ययन (स्वाभाविक / कृत्रिम) जुडे हुए लोगों का मार्गदर्शन ।
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तैयारी ? 1. संस्कार हो गया - कैसे समझें ? 2. प्रक्रिया तब से प्रारंभ हुई या वह उसका climax
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संकल्प : विवेक के साथ
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गर्भपूर्व - गर्भादान / पुंसावन & सीमन्तोनयन का अध्ययन & आचरण | हर संस्कार - अध्ययन & आचरण - 2 चरण पहले ; & आचरण ढालना  
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तैयारी 
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# संस्कार हो गया - कैसे समझें ? 
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# प्रक्रिया तब से प्रारंभ हुई या वह उसका climax
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गर्भपूर्व - गर्भादान / पुंसावन और सीमन्तोनयन का अध्ययन और आचरण | हर संस्कार का अध्ययन और आचरण - 2 चरण पहले ; और आचरण ढालना  
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गर्भावस्था, शिशु , बाल्य => किशोर / युवा -> शास्त्र शुद्ध पक्ष (शास्त्रीय) | (64) कलायें  
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गर्भावस्था, शिशु , बाल्य किशोर / युवा - शास्त्र शुद्ध पक्ष (शास्त्रीय) | (64) कलायें  
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गर्भावस्था, शिशु , बाल्य => लोक शिक्षा , धर्म शिक्षा ; एकात्मता (not एकता) (विविधता का आधार)
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गर्भावस्था, शिशु , बाल्य - लोक शिक्षा , धर्म शिक्षा ; एकात्मता (not एकता) (विविधता का आधार)
 
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==यौवनम् ॥ Youth (Age between 16 and 25 years)==
 
==यौवनम् ॥ Youth (Age between 16 and 25 years)==
|Samavartana संस्कार  
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|Samavartana संस्कार :
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सत्यं वद ।  Speak the Truth., 
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धर्मं चर ।  Practise Virtue., 
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स्वाध्यायान्मा प्रमदः ।  Do not neglect your daily Study., 
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समावर्तन
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आचार्याय प्रियं धनमाहृत्य  Offer to the Teacher whatever pleases him, 
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सत्यं वद ।  Speak the Truth.,  धर्मं चर ।  Practise Virtue.,  स्वाध्यायान्मा प्रमदः ।  Do not neglect your daily Study.,  आचार्याय प्रियं धनमाहृत्य  Offer to the Teacher whatever pleases him,  प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः ।  Do not cut off the line of progeny.,  सत्यान्न प्रमदितव्यम् ।  Do not neglect Truth. ,  धर्मान्न प्रमदितव्यम् ।  Do not neglect Virtue. ,  कुशलान्न प्रमदितव्यम् ।  Do not neglect Welfare.,  भूत्यै न प्रमदितव्यम् ।  Do not neglect Prosperity.,  स्वाध्यायप्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यम् ॥ १॥  Do not neglect Study and Teaching . ,  देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम् ।  Do not neglect your duty to the Gods and the Ancestors.,  मातृदेवो भव ।  Regard the Mother as your God.,  पितृदेवो भव ।  Regard the Father as your God.,  आचार्यदेवो भव ।  Regard the Teacher as your God.,  अतिथिदेवो भव ।  Regard the Guest as your God.,  यान्यनवद्यानि कर्माणि तानि सेवितव्यानि ।  Whatever deeds are blameless, they are to be practised,  नो इतराणि ।  not others. ,  यान्यस्माक सुचरितानि ।  Whatever good practices are among us ,  तानि त्वयोपास्यानि । नो इतराणि ॥ २॥  are to be adopted by you, not others . I:11:I    ये के चारुमच्छ्रेया सो ब्राह्मणाः ।  Whatever Brahmins there are superior to us,  तेषां त्वयाऽऽसनेन प्रश्वसितव्यम् ।  should be honoured by you by offering a seat.  श्रद्धया देयम् ।  Give with Faith,  अश्रद्धयाऽदेयम् ।  Give not without Faith;  श्रिया देयम् ।  Give in Plenty,  ह्रिया देयम् ।  Give with Modesty,  भिया देयम् ।  Give with Awe,  संविदा देयम् ।  Give with Sympathy.  अथ यदि ते कर्मविचिकित्सा वा  Then if there is any doubt regarding any Deeds,  वृत्तविचिकित्सा वा स्यात् ॥ ३॥  or doubt concerning Conduct,  ये तत्र ब्राह्मणाः संमर्शिनः ।  As the Brahmins who are competent to judge,  युक्ता आयुक्ताः ।  adept in Duty, not led by others,  अलूक्षा धर्मकामाः स्युः ।  not harsh, not led by passion,  यथा ते तत्र वर्तेरन् ।  in the manner they would behave  तथा तत्र वर्तेथाः ।  thus should you behave . I:11:Ii  अथाभ्याख्यातेषु ।  Then as to the persons accused of guilt  ये तत्र ब्राह्मणाः संमर्शिनः ।  like the Brahmins who are adept at deliberation  युक्ता आयुक्ताः ।  who are competent to judge, not directed by others  अलूक्षा धर्मकामाः स्युः ।  not harsh, not moved by passion,  यथा ते तेषु वर्तेरन् ।  as they would behave in such cases  तथा तेषु वर्तेथाः ।  thus should you behave.
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प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः ।  Do not cut off the line of progeny.,   
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एष आदेशः ।  This is the Commandएष उपदेशः ।  This is the Teaching.  एषा वेदोपनिषत् ।  This is the secret Doctrine of the Veda.  एतदनुशासनम् ।  This is the Instruction.  एवमुपासितव्यम् ।  Thus should one worship.  एवमु चैतदुपास्यम् ॥ ४॥  Thus indeed should one worship . I:11:iv ॥ इति तैत्तिरीयोपनिषदि शीक्षावल्लीनामप्रथमोध्याये एकादशोऽनुवाकः ॥ Not to behave as me if I dont behave properly
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सत्यान्न प्रमदितव्यम् ।  Do not neglect Truth. ,  
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a
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धर्मान्न प्रमदितव्यम् ।  Do not neglect Virtue. , 
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इस आयु में अब युवक स्वतन्त्र रूप में भी कई बातें करने की स्थिति में होता है| अपना व्यवहार वर्णानुसारी रखना| रा.स्व.संघ की मुख्या शिक्षक और उससे बड़ी जिम्मेदारियों के लिए प्रस्तुत होना| लोकसंग्रह करना|
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कुशलान्न प्रमदितव्यम् ।  Do not neglect Welfare.
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सुखार्थिनः कुतोविद्या नास्ति विद्यार्थिनः सुखम् । सुखार्थी वा त्यजेद् विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम् ॥ जिसे सुख की अभिलाषा हो (कष्ट उठाना न हो) उसे विद्या कहाँ से ? और विद्यार्थी को सुख कहाँ से ? सुख की ईच्छा रखनेवाले ने विद्या की आशा छोडनी चाहिए, और विद्यार्थी ने सुख की ।
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भूत्यै न प्रमदितव्यम् ।  Do not neglect Prosperity., 
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स्वाध्यायप्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यम् ॥ १॥  Do not neglect Study and Teaching . ,
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देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यम् ।  Do not neglect your duty to the Gods and the Ancestors., 
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मातृदेवो भव ।  Regard the Mother as your God., 
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पितृदेवो भव ।  Regard the Father as your God., 
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आचार्यदेवो भव ।  Regard the Teacher as your God., 
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अतिथिदेवो भव ।  Regard the Guest as your God., 
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यान्यनवद्यानि कर्माणि तानि सेवितव्यानि ।  Whatever deeds are blameless, they are to be practised, 
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नो इतराणि ।  not others. , 
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यान्यस्माक सुचरितानि ।  Whatever good practices are among us , 
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तानि त्वयोपास्यानि । नो इतराणि ॥ २॥  are to be adopted by you, not others . I:11:I
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ये के चारुमच्छ्रेया सो ब्राह्मणाः ।  Whatever Brahmins there are superior to us, 
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तेषां त्वयाऽऽसनेन प्रश्वसितव्यम् ।  should be honoured by you by offering a seat.
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श्रद्धया देयम् ।  Give with Faith, 
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अश्रद्धयाऽदेयम् ।  Give not without Faith; 
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श्रिया देयम् ।  Give in Plenty, 
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ह्रिया देयम् ।  Give with Modesty, 
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भिया देयम् ।  Give with Awe, 
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संविदा देयम् ।  Give with Sympathy. 
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अथ यदि ते कर्मविचिकित्सा वा  Then if there is any doubt regarding any Deeds,
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वृत्तविचिकित्सा वा स्यात् ॥ ३॥  or doubt concerning Conduct, 
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ये तत्र ब्राह्मणाः संमर्शिनः ।  As the Brahmins who are competent to judge, 
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युक्ता आयुक्ताः ।  adept in Duty, not led by others, 
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अलूक्षा धर्मकामाः स्युः ।  not harsh, not led by passion, 
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यथा ते तत्र वर्तेरन् ।  in the manner they would behave 
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तथा तत्र वर्तेथाः ।  thus should you behave . I:11:Ii 
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अथाभ्याख्यातेषु ।  Then as to the persons accused of guilt 
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ये तत्र ब्राह्मणाः संमर्शिनः ।  like the Brahmins who are adept at deliberation 
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युक्ता आयुक्ताः ।  who are competent to judge, not directed by others 
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अलूक्षा धर्मकामाः स्युः ।  not harsh, not moved by passion, 
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यथा ते तेषु वर्तेरन् ।  as they would behave in such cases 
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तथा तेषु वर्तेथाः ।  thus should you behave.
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एष आदेशः ।  This is the Command. 
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एष उपदेशः ।  This is the Teaching. 
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एषा वेदोपनिषत् ।  This is the secret Doctrine of the Veda. 
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एतदनुशासनम् ।  This is the Instruction. 
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एवमुपासितव्यम् ।  Thus should one worship. 
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एवमु चैतदुपास्यम् ॥ ४॥  Thus indeed should one worship . I:11:iv ॥
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इति तैत्तिरीयोपनिषदि शीक्षावल्लीनामप्रथमोध्याये एकादशोऽनुवाकः ॥
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Not to behave as me if I dont behave properly
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इस आयु में अब युवक स्वतन्त्र रूप में भी कई बातें करने की स्थिति में होता है | अपना व्यवहार वर्णानुसारी रखना | रा.स्व.संघ की मुख्या शिक्षक और उससे बड़ी जिम्मेदारियों के लिए प्रस्तुत होना| लोकसंग्रह करना |
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सुखार्थिनः कुतोविद्या नास्ति विद्यार्थिनः सुखम् । सुखार्थी वा त्यजेद् विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम् ॥  
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जिसे सुख की अभिलाषा हो (कष्ट उठाना न हो) उसे विद्या कहाँ से ? और विद्यार्थी को सुख कहाँ से ? सुख की ईच्छा रखनेवाले ने विद्या की आशा छोडनी चाहिए, और विद्यार्थी ने सुख की ।
    
विप्र – श्रीमद्भगवद्गीता एवं गुह्यसूत्रों का अध्ययन करना| कुर्रान, हदीस, ओल्ड टेस्टामेंट, न्यू टेस्टामेंट (बायबल) का अध्ययन करना| भारतीयता, इस्लाम और इसाईयत को समझना| लोगों को समझाना| इनकी श्रीमद्भगवद्गीता से भिन्नता ही इनकी विशेषता है, इसे समझना| इनकी विशेषता का योजनाबद्ध प्रचार प्रसार करना| नियुद्ध, दंड संचालन, बन्दूकबाजी आदि में प्रवीणता प्राप्त करना|   
 
विप्र – श्रीमद्भगवद्गीता एवं गुह्यसूत्रों का अध्ययन करना| कुर्रान, हदीस, ओल्ड टेस्टामेंट, न्यू टेस्टामेंट (बायबल) का अध्ययन करना| भारतीयता, इस्लाम और इसाईयत को समझना| लोगों को समझाना| इनकी श्रीमद्भगवद्गीता से भिन्नता ही इनकी विशेषता है, इसे समझना| इनकी विशेषता का योजनाबद्ध प्रचार प्रसार करना| नियुद्ध, दंड संचालन, बन्दूकबाजी आदि में प्रवीणता प्राप्त करना|   
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==गार्हस्थ्यम् ॥ Householder's phase (Age between 26 to 60)==
 
==गार्हस्थ्यम् ॥ Householder's phase (Age between 26 to 60)==
|वर्ण/<s>जाती</s><nowiki> के अनुसार वर वधु चयन (विवाह संस्कार) [Keep जाति but focus on सवर्ण] | सारे विषय समझाना | ०) विवाह संस्कार १) व्यक्तिगत  साधना का महत्व (अध्यात्म विद्या विद्यानां )  २) अपनी मातृभाषा का प्रयोग ३) सामूहिक साधना का महत्व - कीर्तन, कथा चर्चा  (अध्यात्म विद्या विद्यानां ) ४ ) परिवार में संबंध ५) </nowiki><s>यथाशक्ति</s><nowiki> प्रचार ६) परम्पराओं को समझना [पुराणी पीढ़ीओं के साथ सम्बन्ध] | गृहस्थ -> गर्भपुर्व | साधन वर्णानुसार -> वर्ण धर्म पर चिन्तन विचारपूर्वक : त्रिकाल संध्या |</nowiki>
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|<nowiki>वर्ण के अनुसार वर वधु चयन (विवाह संस्कार) [Keep जाति but focus on सवर्ण] | सारे विषय समझाना | </nowiki>
 
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# विवाह संस्कार  
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# व्यक्तिगत  साधना का महत्व (अध्यात्म विद्या विद्यानां )   
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# अपनी मातृभाषा का प्रयोग  
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# सामूहिक साधना का महत्व - कीर्तन, कथा चर्चा  (अध्यात्म विद्या विद्यानां )  
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# परिवार में संबंध  
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# प्रचार  
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# परम्पराओं को समझना [पुराणी पीढ़ीओं के साथ सम्बन्ध] | गृहस्थ -> गर्भपुर्व | साधन वर्णानुसार -> वर्ण धर्म पर चिन्तन विचारपूर्वक : त्रिकाल संध्या |
 
उपनयन संस्कार (बाल्य for ब्राह्मन् , किशोर for क्षत्रिय , युव for वैश्य) से ही त्रिकाल संध्या |
 
उपनयन संस्कार (बाल्य for ब्राह्मन् , किशोर for क्षत्रिय , युव for वैश्य) से ही त्रिकाल संध्या |
  

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