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== परिवर्तन में अवरोध और उनका निराकरण ==
 
== परिवर्तन में अवरोध और उनका निराकरण ==
: शासनाधिष्ठित समाज में स्वार्थ के आधारपर परिवर्तन सरल और तेज गति से होता है। हिटलरने १५-२० वर्षों में ही जर्मनी को एक समर्थ राष्ट्र के रूप में खड़ा कर दिया था। लेकिन धर्म पर आधारित जीवन के प्रतिमान में परिवर्तन की गति धीमी और मार्ग कठिन होता है। स्थाई परिवर्तन और वह भी कौटुम्बिक भावना के आधारपर, तो धीरे धीरे ही होता है।  
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शासनाधिष्ठित समाज में स्वार्थ के आधारपर परिवर्तन सरल और तेज गति से होता है। हिटलरने १५-२० वर्षों में ही जर्मनी को एक समर्थ राष्ट्र के रूप में खड़ा कर दिया था। लेकिन धर्म पर आधारित जीवन के प्रतिमान में परिवर्तन की गति धीमी और मार्ग कठिन होता है। स्थाई परिवर्तन और वह भी कौटुम्बिक भावना के आधारपर, तो धीरे धीरे ही होता है।  
 
७.१ अंतर्देशीय
 
७.१ अंतर्देशीय
 
७.१.१ मानवीय जड़ता : परिवर्तन का आनंद से स्वागत करनेवाले लोग समाज में अल्पसंख्य ही होते हैं। सामान्यत: युवा वर्ग ही परिवर्तन के लिए तैयार होता है। इसलिए युवा वर्ग को इस परिवर्तन की प्रक्रिया में सहभागी बनाना होगा। परिवर्तन की प्रक्रिया में युवाओं को सम्मिलित करते जाने से दो तीन पीढ़ियों में परिवर्तन का चक्र गतिमान हो जाएगा।
 
७.१.१ मानवीय जड़ता : परिवर्तन का आनंद से स्वागत करनेवाले लोग समाज में अल्पसंख्य ही होते हैं। सामान्यत: युवा वर्ग ही परिवर्तन के लिए तैयार होता है। इसलिए युवा वर्ग को इस परिवर्तन की प्रक्रिया में सहभागी बनाना होगा। परिवर्तन की प्रक्रिया में युवाओं को सम्मिलित करते जाने से दो तीन पीढ़ियों में परिवर्तन का चक्र गतिमान हो जाएगा।
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७.२ अंतर्राष्ट्रीय
 
७.२ अंतर्राष्ट्रीय
 
७.२.१ मजहबी विस्तारवादी मानसिकता : वर्तमान में यह मुख्यत: ३ प्रकार की है। ईसाई, मुस्लिम और वामपंथी। यह तीनों ही विचारधाराएँ अधूरी हैं, एकांगी हैं। यह तो इन के सम्मुख ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ को लेकर कोई चुनौती खड़ी नहीं होने से इन्हें विश्व में विस्तार का अवसर मिला है। जैसे ही ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ का विचार लेकर भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में खड़ा होगा इनके पैरोंतले की जमीन खिसकने लगेगी।  
 
७.२.१ मजहबी विस्तारवादी मानसिकता : वर्तमान में यह मुख्यत: ३ प्रकार की है। ईसाई, मुस्लिम और वामपंथी। यह तीनों ही विचारधाराएँ अधूरी हैं, एकांगी हैं। यह तो इन के सम्मुख ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ को लेकर कोई चुनौती खड़ी नहीं होने से इन्हें विश्व में विस्तार का अवसर मिला है। जैसे ही ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ का विचार लेकर भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में खड़ा होगा इनके पैरोंतले की जमीन खिसकने लगेगी।  
७.२.२ आसुरी महत्वाकांक्षा : ऊपर जो बताया गया है वह, आसुरी महत्वाकांक्षा रखनेवाली वैश्विक शक्तियों के लिये भी लागू है। आसुरी महत्वाकांक्षाओं को परास्त करने की परंपरा भारत में युगों से रही है।  
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७.२.२ आसुरी महत्वाकांक्षा : ऊपर जो बताया गया है वह, आसुरी महत्वाकांक्षा रखनेवाली वैश्विक शक्तियों के लिये भी लागू है। आसुरी महत्वाकांक्षाओं को परास्त करने की परंपरा भारत में युगों से रही है।
    
== परिवर्तन के लिये समयबध्द करणीय कार्य ==
 
== परिवर्तन के लिये समयबध्द करणीय कार्य ==
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