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'''सृष्टि निर्माण''' की भिन्न भिन्न मान्यताएँ भिन्न भिन्न समाजों में हैं। इन में कोई भी मान्यता या तो अधूरी हैं या फिर बुद्धियुक्त नहीं है। सेमेटिक मजहब मानते हैं कि जेहोवा या गॉड या अल्लाह ने पाँच दिन में अन्धेरा-उजाला, गीला-सूखा, वनास्पाई और मानवेतर प्राणी सृष्टि का निर्माण किया। छठे दिन उसने आदम का निर्माण किया। तत्पश्चात आदम में से हव्वा का निर्माण किया और उनसे कहा कि यह पाँच दिन की बनाई हुई सृष्टि तुम्हारे उपभोग के लिए है। इस निर्माण का न तो कोई काल-मापन दिया है और न ही कारण। वर्तमान साइंटिस्ट मानते हैं कि एक अंडा था जो फटा और सृष्टि बनने लगी। इसमें भी कई प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते। इसलिए हम भारतीय वेदों और उपनिषदों के चिंतन में प्रस्तुत मान्यता का यहाँ विचार करेंगे।  
 
'''सृष्टि निर्माण''' की भिन्न भिन्न मान्यताएँ भिन्न भिन्न समाजों में हैं। इन में कोई भी मान्यता या तो अधूरी हैं या फिर बुद्धियुक्त नहीं है। सेमेटिक मजहब मानते हैं कि जेहोवा या गॉड या अल्लाह ने पाँच दिन में अन्धेरा-उजाला, गीला-सूखा, वनास्पाई और मानवेतर प्राणी सृष्टि का निर्माण किया। छठे दिन उसने आदम का निर्माण किया। तत्पश्चात आदम में से हव्वा का निर्माण किया और उनसे कहा कि यह पाँच दिन की बनाई हुई सृष्टि तुम्हारे उपभोग के लिए है। इस निर्माण का न तो कोई काल-मापन दिया है और न ही कारण। वर्तमान साइंटिस्ट मानते हैं कि एक अंडा था जो फटा और सृष्टि बनने लगी। इसमें भी कई प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते। इसलिए हम भारतीय वेदों और उपनिषदों के चिंतन में प्रस्तुत मान्यता का यहाँ विचार करेंगे।  
  
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