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== उपसंहार ==
 
== उपसंहार ==
 
उपर्युक्त पाश्चात्य और भारतीय न्यायतंत्रों की जो तुलनात्मक प्रस्तुति हुई है उस से यह सिद्ध होता है की भारतीय न्यायप्रणाली के साथ वर्तमान पाश्चात्य न्यायप्रणाली की तुलना ही नहीं हो सकती। पाश्चात्य  न्यायप्रणाली जिनके पास सत्ता का बल है, बाहुबल है, धन का बल है या बुद्धि का बल है ऐसे बलवानों को स्वार्थ के हित में काम करती है तो भारतीय न्यायप्रणाली चराचर के हित में काम करती  है । जेसे इस प्रबंध के प्रारंभ में दिया है, उस के निकषोंपर भारतीय न्यायप्रणाली की प्रतिष्ठापना करणीय हे ऐसा यदि हमें लगता है तो फिर उस की पुनर्प्रतिष्ठा के लिये जो भी संभव है उसे करना होगा । वही करणीय है । वही विवेक है ।   
 
उपर्युक्त पाश्चात्य और भारतीय न्यायतंत्रों की जो तुलनात्मक प्रस्तुति हुई है उस से यह सिद्ध होता है की भारतीय न्यायप्रणाली के साथ वर्तमान पाश्चात्य न्यायप्रणाली की तुलना ही नहीं हो सकती। पाश्चात्य  न्यायप्रणाली जिनके पास सत्ता का बल है, बाहुबल है, धन का बल है या बुद्धि का बल है ऐसे बलवानों को स्वार्थ के हित में काम करती है तो भारतीय न्यायप्रणाली चराचर के हित में काम करती  है । जेसे इस प्रबंध के प्रारंभ में दिया है, उस के निकषोंपर भारतीय न्यायप्रणाली की प्रतिष्ठापना करणीय हे ऐसा यदि हमें लगता है तो फिर उस की पुनर्प्रतिष्ठा के लिये जो भी संभव है उसे करना होगा । वही करणीय है । वही विवेक है ।   
वाचनीय साहित्य :
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==References==
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अन्य स्रोत:
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पर्सनेलिटी, लेखक रवीन्द्रनाथ ठाकुर,  
 
पर्सनेलिटी, लेखक रवीन्द्रनाथ ठाकुर,  
गौतम मुनि लिखित न्याय दर्शन
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[[Category:Bhartiya Jeevan Pratiman (भारतीय जीवन (प्रतिमान)]]
 
[[Category:Bhartiya Jeevan Pratiman (भारतीय जीवन (प्रतिमान)]]
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