<blockquote>यद् भूत हितं अत्यंत एतत् सत्यं मतं मम। </blockquote><blockquote>भावार्थ : जो बात चराचर के हित में है, वही सत्य है। सत्य की यह सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है।</blockquote>सच्चिदानन्द याने सत्-चित्-आनन्द स्वरूप परमात्मा का एक प्रमुख लक्षण “सत्” भी है। सत् याने जो अटल है। जो अपरिवर्तनीय है। चिरन्तन है। इसलिए सत्य की खोज वास्तव में परमात्मा की खोज ही होती है। | <blockquote>यद् भूत हितं अत्यंत एतत् सत्यं मतं मम। </blockquote><blockquote>भावार्थ : जो बात चराचर के हित में है, वही सत्य है। सत्य की यह सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है।</blockquote>सच्चिदानन्द याने सत्-चित्-आनन्द स्वरूप परमात्मा का एक प्रमुख लक्षण “सत्” भी है। सत् याने जो अटल है। जो अपरिवर्तनीय है। चिरन्तन है। इसलिए सत्य की खोज वास्तव में परमात्मा की खोज ही होती है। |