Prahalad ( प्रह्लाद )

From Dharmawiki
Jump to navigation Jump to search

श्रेष्ठ भगवद्भक्त प्रह्लाद दैत्य-सम्राट् हिरण्यकशिपु के पुत्र थे। भक्ति-मार्ग के विरोधी पिता ने पुत्र को ईश्वर-भक्ति से विमुख करने के उद्देश्य से नाना प्रकार के कष्ट दिये। किन्तु प्रह्लाद की ईश-भक्ति में आस्था अडिग रही। हिरण्यकशिपु की योजना से प्रह्लाद की बुआ होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि-ज्वालाओं के मध्य जा बैठी, पर भगवद्भक्ति के प्रताप से होलिका जल गयी और प्रह्लाद का बाल भी बाँका नहीं हुआ। पिता ने इन्हें आग में तपे लोहे से बँधवाया, पर इससे भी प्रह्लाद को क्षति नहीं पहुँची। अपने इस अविचल भक्त की रक्षा के लिए स्वयं भगवान नृसिंह रूप में प्रकट हुए और हिरण्यकशिपु का वध किया।