Hamare sharir ki kriyaye(हमारे शरीर की क्रिया)

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मनुष्य ने एक से एक मशीनें बनायी परंतु, प्रकृति की मशीन का कोई मुकाबला

नहीं। मनुष्य ने रोबोट तो बना लिए जो भांति-भांति के काम अपने आप कर

लेते हैं, परंतु मनुष्य क्या कभी ऐसी मशीन बना सकेगा, जिसमें यह शक्ति

होगी कि वह बाहर से भोजन लेकर अपने हर भाग की वृद्धि करता जाए और

फिर अपनी ही जैसी एक छोटी नन्हीं संतान को जन्म दे सकोे।

मनुष्य के शरीर में होने वाली प्रत्येक क्रिया अपने आप में विचित्र है। इस

सबका जानना न केवल हमारे लिए रोचक हे, बल्कि अत्यंत लाभकारी भी,

ताकि स्वस्थ रहने के लिए हम उनका उचित रूप में सहारा ले सके।





हमारे शरीर में अनेकों तंत्र हैं - चलने के लिए तंत्र, पाचन-तंत्र, श्वसन-तंत्र

आदि। आइए इनके विषय में एक-एक करके जानें।

इस पाठ का अध्ययन करने के पश्चात्‌ आप :

० मनुष्य के चलने-फिरने की प्रक्रिया समझा सकेगे;

० पाचन तंत्र को समझा सकेगे;


० भोजन तंत्र की व्याख्या कर सकेंगे; और

० परिसंचरण तंत्र की प्रक्रिया समझा सकेगे।

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टिप्पणी


हम एक जगह तो स्थिर रहते नहीं। हम चलते-फिरते हैं। एक स्थान से दूसरे

स्थान पर चल कर जाना या हाथ-पैर, सिर आदि को हिलाना-डुलाना, इस

प्रकार की सारी गतियां दो प्रकार की संरचनाओं के द्वारा संभव होती हें -

हड्डियां और पेशियां। सारी हड्डियां मिलकर कंकाल तंत्र तथा सभी पेशियां

मिलकर पेशी तंत्र बनाती हैं।


क. कंकाल तंत्र


कंकाल कठोर और गतिशील हिस्सों का बना एक ढांचा-यानी हड्डियों का

बना एक ढांचा होता है, जो शरीर को सहारा प्रदान करता है। कंकाल के मुख्य

भाग हैं :


० खोपडी (कपाल) : मस्तिष्क को सुरक्षा देने वाला “बक्सा


० रीढ़ : कमर कौ पूरी लम्बाई में बीचों-बीच की श्रृंखला, जिसमें मस्तिष्क

से निकली मेरु रज्जु शुरू से अंत तक जारी हे।

० पसलियां : फेफड़ों और ह्वदय को घेरे रहती हें।

० कथे और कूल्हों की हडिडियां।

० भुजाओं तथा टांगों को हडिडियां


हमारे शरीर में छोटी-बड़ी सब मिलाकर 206 हदिडियां होती हैं। इनमें सबसे

बड़ी/लम्बी हड्डी जांघ की फीमर होती है और सबसे छोटी मध्य कान में कान

के पर्दे के पीछे “चावल के दाने से भी छोटी'' कान की हड्डी होती हे।



जोड या संधियां

संधि वह स्थान है जहां एक हड्डी दूसरी हड्डी से सम्पर्क बनाती हैं, जैसे घुटना

और कोहनी। संधियाँ गतिशील हो सकती हें जैसे घुटना या स्थिर (अगतिशील) हो

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हमारे शरीर की क्रिया

सकती हैं जैसे-खोपड़ी की हड्डियां। गतिशील संधियों पर दो हड्डियों को सही-सही

रखने वाली एक रचना होती हे, जिसे स्नायु कहते हें।

अचल संधि


टिप्पणी

घुराग्र संधि

कंदुक -खल्लिसा संधि

हिंज संधि

कंदुक -खल्लिसा संधि

हिंज संधि

हिंज संधि


चित्र 7.1 कंकाल तंत्र

क्या आप जानते हैं कि गतियां कैसे पैदा होती हैं? आपने कठपुतली का खेल

तो देखा होगा। किसी कठपुतली के भागों को चलाने के लिए डोरियां होती हें,

जिन्हें बाहर से खींचना होता है। हड्डियों को चलाने के लिए पेशियां होती हैं,

जो भीतर स्वतः ही चलती जाती हें।

कंकाल तंत्र के तीन प्रमुख कार्य हैं-



1 यह शरीर को आक्कृति तथा भीतरी सहारा प्रदान करता हे।

1. शरीर के कोमल भागों को सुरक्षा प्रदान करता है। जैसे खोपड़ी मस्त्ष्क

को, तथा पसलियां फेफड़ों और ह्वदय को सुरक्षा प्रदान करती हैं।


iii. हडिडियां पेशियों को जुड़ने का स्थान प्रदान करती हैं, जिनके द्वारा गतिया

होती हैं।

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हमारे शरीर की क्रिया

ख. पेशी-तंत्र

शरीर में कुल मिलाकर 600 से भी ज्यादा पेशियां हैं। इन पेशियों का काम

हड्डियों को गति देना तो है ही इसके साथ ही ये अनेक कोमल अंगों को भी

गति देती हैं जैसे-ह्वदय, आंतें आदि।

पेशियों के प्रकार

पेशियों के दो मुख्य प्रकार होते हैं :

¡1 ऐच्छिक पेशियां : ये पेशियां हमारी इच्छा के अनुसार कार्य करने वाली

होती हैं जैसे - हाथ-पैर हिलाने वाली पेशियां। ऐसी पेशियां हड्डियों से

जुड़ी होती हैं।

1. अनैच्छिक पेशियां : ये पेशियां हमारी इच्छा के अनुसार नियंत्रण में नहीं

होतीं, और स्वयं कार्य करती रहती हैं। आमाशय अथवा आंतों की पेशियां

स्वतः ही कार्य करती हैं और आवश्यक समय पर भोजन को आगे-आगे

चलाती जाती हें। धमनियों और शिराओं की दीवारों में भी पेशियां होती

हैं। ह्दय की पेशियां अपनी ही अलग प्रकार की हैं, जिनकी बनावट तो

प्रधानतः ऐच्छिक पेशियों जैसी होती हैं, परन्तु कार्य की दृष्टि से ये

अनैच्छिक होती हैं। इन्हें हृदय पेशी कहते हैं। सभी पेशियां रेशों की बनी

होती हैं।

पेशी कैसे कार्य करती है

पेशी सिकुड कर काम करती हे। ऐच्छिक पेशी का एक सिरा स्थिर होता है

और दूसरा सिर गतिशील हड्डी पर चिपका होता है। सिकुड़ने पर पेशी छोटी

हो जाती है और गतिशील सिरे को अपनी ओर खींचती हुई हड्डी को गति

देती है। पेशी का गतिशील सिरा कंडरा द्वारा हड्डी से जुड़ा होता है। सिकुड़ना

बंद होकर ढीली होने पर हड्डी पर खिंचाव बंद हो जाता है तथा विपरीत कार्य

करने वाली पेशी उस हड्डी को वापस पुरानी स्थिति में ले आती है।






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हमारे शरीर की क्रिया


पेशी तंत्र के कार्य

¡ पेशियां हमें अपने शरीर के भागों को गति देने में सहायता करती हैं, जेसे

चलने, दौड़ने अथवा वस्तुओं को पकड्ने में। र्स्मा 1


1. पेशियां हमें भोजन चबाने और निगलने में सहायता करती हें।

iii. पेशियां हमारे सीने को फुलाने और पिचकाने में सहायता करती हैं, जिससे

हम सांस ले और छोड़ सकते है।

¡j४. पेशियां ह्वदय गति बनाती हैं, आदि।



1. शरीर के कौन से दो तंत्र गति करने में सहायता करते हें?

2. हमारे कंकाल के कुछ खास भागों के नाम बताइए।


3. निम्नलिखित भाग जिन अंगों को सुरक्षा प्रदान करते हैं उनके नाम

लिखिए:

¡. खोपडी

1. पसलियां

4. ह्वदय की दीवारों में पाई जाने वाली पेशियों के प्रकार का नाम लिखिए।

जोडे at रखने

5. गतिशील जोड़ों पर एक हड्डी को दूसरी हड्डी से जोडे रखने वाले

विशेष ऊतक को क्या कहते हैं?

7.2 पाचन ततत्र

प्रत्येक जीव को जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती हे। मनुष्यों

में भोजन ग्रहण करने से लेकर उसके शरीर में उपयोग होने तक अर्थात्‌ पोषण

के पांच मुख्य चरण हैं -



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टिप्पणी


ii.

iii.

iv.

ii.

हमारे शरीर की क्रिया

भोजन को खा कर या पी कर भीतर ले जाने की प्रक्रिया।


भोजन को अवशोषित करने योग्य बनाना या पाचन।

पचे हुए भोजन का आहार नाल जिसमें विशेषकर आंतों द्वारा शरीर में

अवशोषित हो जाना।


अवशोषित भोजन का शरीर में जहां-जहां आवश्यक हो उपयोग में आ

जाना।

बिना पचा, बिना अवशोषित हुआ भोजन मल के रूप में शरीर से बाहर

निकाल दिया जाना।

पाचन-नाल के भाग


मुख : मुख के भीतर हमारे दांत भोजन को पीसकर छोटे-छोटे टुकडों में

तोड़ देते हैं। हमारी लार ग्रंथियों से निकली लार खाने को नरम करती हे

और उसका एंजाइस ऐनाइलेज भोजन के स्टार्च को घुलन योग्य माल्टोज

में बदल देता है। दांतों के दो सेट होते हैं : दूध के दांत (20) जिनके

गिरने पर पक्के दांत (20 और 12) निकल आते हैं। 12 पक्के दांतों में

से हर जबडे में दोनों ओर तीन-तीन दांत चबाने के लिए होते हें। इनमें

भी आखिरी एक-एक दाढ अकल दाढ कहलाती हे, जो अक्सर 16-17

वर्ष की आयु में निकलती हे और किसी-किसी व्यक्ति में नहीं भी

निकलती। ऊपर-नीचे हर जबडे में विभिन्न प्रकार के दांत होते हैं, जो

चबाने, काटने, चीरने-फाड॒ने और पीसने के काम आते हैं।






मुख में नरम किया गया भोजन जीभ की सहायता और दांतों द्वारा चबाया

जाता है और मुख्यतः जीभ की धक्का देने की गति से भोजन नली में

पहुंचता है।

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iii.

iv.


चित्र 7.2 : मनुष्य में पाचन नाल


ग्रसिका में नीचे को चलता जाता भोजन एक थैलानुमा आमाशय अंग में

पहुंचता है।

आमाशय में भोजन 3-4 घंटे तक रहता हे। इस दौरान इसकी दीवारों से

निकलने वाला रस खाने में मिल जाता हे। जठर रस का एंजाइम पेप्सिन

भोजन के प्रोटीन को पचाता है। इस रस से एक अम्ल (हाइड्रोक्लोरिक

अम्ल) निकलता है, जो आहार के साथ आए हुए किसी भी रोगाणु को

नष्ट कर देता है। आमाशय से भोजन आगे छोटी आंत में पहुंचता है।




छोटी-आंत यह लगभग 7 मीटर लंबी, संकरी और बहुत कुंडलित संरचना

होती है। इसमें भोजन का अधिकतर पचनीय भाग पच जाता है। प्रोटीन,

कार्बोहाइड्रेट, माल्टोज, सुक्रोज आदि तथा वसाओं पर विभिन्न पाचक

एंजाइमों द्वारा क्रिया जहां होती हे। ये एंजाइम अग्नाशय से तथा स्वयं


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टिप्पणी

 

टिप्पणी

हमारे शरीर की क्रिया

छोटी आंत से निकलते हैं। विटामिनों तथा खनिज लवणों को पचने की

आवश्यकता नहीं होती। वे सीधे ही आंतों में अवशोषित हो जाते हें।

vi. बड़ी आंत : छोटी आंत, बड़ी आंत में जारी रहती हे। यहां शेष भोजन में

से अधिकतम जल सोख लिया जाता हे।



viii. भोजन का बिना पचा मल होता है, जो शरीर से बाहर निकाल दिया जाता

है।

 

1. हमारे मुख के भीतर कितने दांतों होते हैं?

2. मानव की भोजन नली के विभिन्न भागों के नाम मुख से आरंभ करके

अंत तक लिखिए।

3. पाचन नाल के किस भाग में भोजन का अधिकतम जल-अंश अवशोषित

किया जाता है?


4 आमाशय की दीवारों से कौन सा पाचन रस निकलता हे?

7.3 श्वसन-तंत्र

आपने पौधों के सांस लेने के बारे में पढ़ा। हम मनुष्य और सभी प्राणी भी सांस

लेते हैं। हमारे शरीर को रात-दिन विभिन्न कार्यो के लिए ऊर्जा चाहिए। यह

ऊर्जा अंगों की कोशिकाओं के भीतर सांस लेने के दौरान आक्सीजन का

उपयोग कर भोजन पदार्थ (ग्लूकोज) के विघटन से निकलती है।

क. श्वसन-तंत्र के अंग



वे सभी अंग (नाक-फेफडे आदि) जो रक्‍त और वायुमंडलीय वायु के बीच

गैसों के विनिमय में कार्य करते है-कुल मिलाकर श्वसन तंत्र बनाते हैं। ये सभी

अंग क्रमानुसार इस प्रकार हैं :


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हमारे शरीर की क्रिया

क. नाक

बाहर की वायु हमारी नाक में बने दो छिद्रों (नासाछिद्रों) के द्वारा प्रवेश कर

भीतर जाती है। नाक कौ तीन विशेषताएँ इस प्रकार हैं : स्नो 11

¡ नाक के भीतर के बाल वायु की धूल आदि को रोकते हैं।

¡j¡. नाक में स्रावित होने वाला एक लसलसा पदार्थ (श्लेष्मा) कणों और

रोगाणुओं आदि को अपने अंदर फंसा लेता हे और उन्हें शरीर के भीतर

जाने से रोकता हे।

iii. नाक के भीतर से गुजरती हुई वायु नाक के भीतर शरीर के ताप के बराबर

गर्म और नमीयुक्‍्त भी हो जाती है।

ख. ग्रसनी

ग्रसनी हमारे मुंह के पीछे का वह भाग हे, जो नाक से भीतर ले जायी जाने



   

     

 

 

नासा गुहा

एपीग्लॉटिस

ग्लॉटिस

कठ (गला)

कूपिका डायफाम

उदर गुहा


चित्र 7.3 मानव में श्वसन तंत्र के भाग

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टिप्पणी

हमारे शरीर की क्रिया

वाली वायु और मुख द्वारा निगले जाने वाले भोजन के लिए समान होता है।

ग्रसनी का निचला भाग लैरिक्स (Lav) स्वर कोश में खुलता है और यह

स्वर कोश आगे श्वास नली में खुलता है। ध्यान दीजिए कि एक संरचना

एपिग्लॉटिस स्वर कोश के द्वार की सुरक्षा करती हे, ताकि निगला गया भोजन

श्वसन नली में न जाए। अगर कभी इस कार्य में त्रुटि हो जाती हे तो खाते

समय फंस सकता है।



ग. श्वासनली

श्वासनली स्वर कोश से निकलकर सीने के मध्य में एक सीधी नली होती हेै।

इसकी दीवारों में कार्टिलेज के छल्ले इसे पिचकने नहीं देते।

श्वसनियां तथा श्वसनिकाएं

श्वासनली पिछले सिरे पर दो शाखाओं में विभाजित हो जाती हे, जिन्हें

श्वसनियां कहते हैं। दोनों शश्‍्वसनियां अपनी-अपनी ओर के फेफड़ों में प्रवेश

करती हैं। फेफड़ों के भीतर श्वसनी अनेक छोटी-छोटी शाखओं में बंट जाती

है, जिन्हें शवसनिकाएं कहते है।




वायु कोष

श्वसनिकाएं अपने अंतिम सिरे पर पीछे से बंद वायुकोषों में खुलती हें। यह

वायु कोष लाखों की संख्या में होते हैं और इस सब की कुल मिलाकर भीतरी

सतह एक बडे कबड्डी के मैदान से ज्यादा हो सकती है। इतनी बड़ी सतह

इसलिए होती हे ताकि श्वसन गैसों का आदान-प्रदान ज्यादा से ज्यादा हो सके।

जो लोग सिगरेट-बीड़ी पीते हैं उनमें अन्य हानियों के अतिरिक्त ये वायुकोश

बंद होने लगते हैं और उन्हें श्वास के रोग हो सकते हें।

फेफडे

फेफडे एक जोडी स्पंजी थेले जैसी रचना होते हैं जो सीने में सीने की दीवारों

से पूरी तरह सरटे रहते हैं। कार्बन डाइआक्साइड से लदा और आक्सीजन के







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हमारे शरीर की क्रिया

अभाव वाला रक्‍त फेफड़ों में पहुंचता है। रक्‍त कोशिकाओं की अत्यंत बारीक

शाखाएं वायु कोशों को घेरे रहती हैं और उनसे आगे चलते ही परस्पर जुड़कर

रक्त वाहिकाएं (फेफड़ा शिराएं) बन जाती हैं। यही फेफड़ा शिराएं जुड़-जुड़

कर एक प्रधान फेफड़ा शिरा बनाती हैं जो ह्वदय में पहुंचती हे।




फेफड़ों से ह्दय को जाने वाला रक्त आक्सीजन से भरपूर होता हेै।


1. श्वसन मार्ग का कौन सा भाग भोजन तथा वायु के लिए समान होता हे?

2. रिक्त स्थान भरिए :

1) श्वसनियों के विभाजन से .......... बनती है।

11) फफडों में प्रवेश करने वाला रक्‍त .......... से भरपूर होता है, परंतु

जब वह फेफड़ों से बाहर आता है तब .......... से भरपूर होता है।

क्या आपने कभी सोचा है कि आहार नाल में पचा और अवशोषित भोजन

शरीर के प्रत्येक कोशिका तक केसे पहुंच जाता है? शरीर के विभिन्न भागों

से निकलने वाली कार्बन डाइआक्साइड तथा अन्य अपशिष्ट पदार्थ संबंधित

अंगों (गुदो, फेफडों और कुछ हद तक त्वचा भी/तक कैसे पहुंच जाते हैं? यह

सारा कार्य एक पम्प (हृदय) और उससे निकलने वाली तथा उसमें पहुंचने

वाली नलियों (रक्त वाहिकाओं) तथा उनमें बहने वाले रक्‍त द्वारा संपन्न होता

है।

क. हृदय





यदि अपने हाथ को सीने पर थोड़ा सा बांयी आधर रखें और महसूस करें तो

आपको धक-धक की ध्वनि महसूस होगी। यह हृदय की धड़कन के द्वारा

होता है।

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टिप्पणी

 

टिप्पणी

हमारे शरीर की क्रिया

हृदय एक छोटा (मुठ्ठी के बराबर आकार का) पेशीय अंग होता है, जो

पसली के पिंजडे में बंद दो फेफड़ों के बीच स्थित होता हे। यह बहुत सशक्त

पेशियों का बना होता है जो आजीवन कार्य करतीं और कभी न थकने वाली

होती हें।

1. हृदय की क्रिया


एक स्वस्थ वयस्क मनुष्य में हृदय प्रति मिनट 60-80 बार धड़कता है

(औसतन 72 बार प्रति मिनट)। हृदय में चार कक्ष होते हैं दो ऊपर के

दाए-बाएं अलिंद तथा नीचे के दाएं-बाएं निलय (Ventricles)। हृदय की

दायीं ओर शरीर से कम आक्सीजन तथा अधिक कार्बन डाइआक्साइड

वाला रक्त आता है और फेफडों में पहुंचा दिया जाता है। फेफडों से 'शुद्ध

हुआ' रक्त, जिसमें कार्बन डाइआक्साइड बहुत कम मात्रा में होती हे और

आक्सीजन अधिक मात्रा में होती है, हदय के बायीं ओर पहुंचता है जहां से

यह रक्त वाहिनियों द्वारा सारे शरीर में (प्रत्येक कोशिका तक) पहुंचा दिया

जाता है।





1. रक्त वाहिकाएं

ये तीन प्रकार की होती हैं :

1 धमनियां : ये हृदय से शरीर के विभिन्न भागों में आक्सीजनयुक्त रक्‍त को

ले जाती हैं। इनकी दीवारें मोटी तथा पेशीय होती हैं।

i. शिराएं : ये शरीर के विभिन्न भागों से आक्सीजन रहित रक्‍त को ह्वदय

में लाती हैं, ताकि वहां से उसे फेफड़ों में पहुंचाया जा सकता हे।

ii. कोशिकाएं : धमनियां जहां अंत में अनेक शाखाओं में बंटती है और फिर

उनके पुनः जुड्ने से नयी वाहिनियां (शिराएं) बनती हैं उस बीच के जाल




की बारीक रकत वाहिनियों को कोशिकाएं कहते हें।

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हमारे शरीर की क्रिया

रक्त या खून


रक्त एक चटकीला लाल रंग का द्रव होता है, जो धमनियों तथा शिराओं में

बहता रहता है। हमारे रक्‍त में लाल रक्‍त कोशिकाएं श्वेत रक्‍त कोशिकाएं (जो |-झ्सनी

वास्तव में रंगहीन होती हैं) तथा बहुत सूक्ष्म रक्‍त पटि्टिकाएं (प्लेटलेट्स) होती

हैं।



रक्त के कार्य

1 यह आक्सीजन को फेफडों से शरीर के विभिन्न भागों में ले जाता हे।

1. यह पचे अवशोषित भोजन को अंतडियों से पूरे शरीर के विभिन्न भागों

में ले जाता है।

iii. यह देह कोशिकाओं से अपशिष्ट उत्पादों को गुर्दों में ले जाता है, ताकि

वे मूत्र का अंश बन कर बाहर निकाले जा सक।

1४. यह शरीर को संक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करता है।


४. यह शरीर के तापमान का नियमन करता और उसे स्थिर बनाए रखता हेै।


vा. यदि कहीं कट जाने पर रक्‍त बहने लगता है तो वहां रक्त थक्का बनाकर

रक्त बहना बंद कर देता हे।


1. ह्वदय की दीवारों की पेशियों का क्या महत्व हे?


2. एक सामान्य व्यस्क मानव का हृदय 1 मिनट में कितनी बार धड़कता

है?

3. रक्त की श्वेत रक्‍त कोशिकाएं वास्तव में किस रंग की होती हे?


मुक्त बेसिक शिक्षा - भारतीय ज्ञान परम्परा BN 105 |


हमारे शरीर की क्रिया

@- आपने क्या सीखा

० हमारे शरीर के अंग-तंत्र अकेले-अकेले नहीं, वरन्‌ परस्पर समन्वय के

साथ कार्य करते हैं।


० हमारे शरीर की गतियां चलन-तंत्र के द्वारा, जिसमें हड्डियां और पेशियां

होती हैं, नियंत्रित होती हैं।

० कंकाल तंत्र का कार्य शरीर को आक्मृति देना, सहारा प्रदान करना,

चलने-फिरने में योगदान देना और कोमल अंगों को सुरक्षा प्रदान करना,

आदि है।

० शरीर की सभी पेशियां मिल कर पेशी-तंत्र बनाती हैं। पेशियां शरीर को

गति देतीं और हृदय में धड़कन भी पैदा करती हैं।

० पाचन तंत्र भोजन को सरल अवशोषण योग्य बनाता है और पोषण तत्वों

का अवशोषण करता हे।



० श्वसन के दो भाग हैं-पहला फेफड़ों द्वारा सांस लेना और छोड़ना जिसमें

आक्सीजन ली जाती है और कार्बन डाइआक्साइड छोड़ी जाती हे, और

दूसरा भाग सोखी गयी आक्सीजन को रकत द्वारा शरीर की कोशिकाओं में

पहुंचाकर ऊर्जा उत्पादन के लिए कोशिकीय श्वसन में काम आना।




० परिसंचरण तंत्र पोषकों तथा आक्सीजन को उनके उपयोगकर्ता अंगों में

तथा कार्बन डाइआक्साइड तथा और अन्य अपशिष्टों को भी उनके त्यागने

के अंगों में ले जाता है। इस कार्य में हृदय, रक्‍त वाहिकाएं और रक्‍त काम

करते हैं।

० हृदय सीने में स्थित एक छोटा पेशीय अंग होता है। इसकी पेशियां सशक्त

होती हैं जो आजीवन लगातार धड़कन पैदा करती रहती हें।



० मानव रक्त में लाल रक्‍त कोशिकाएं, श्वेत रकत कोशिकाएं तथा रक्त


पटिटकाएं t प्लेटलेट्स ~ होती ~ हें

ग एस होती है।