विविध - प्रस्तावना

From Dharmawiki
Jump to navigation Jump to search

प्रथम पर्व के प्रकाश में दूसरे, दूसरे के प्रकाश में तीसरे इस प्रकार क्रमशः पर्वों की रचना हुई है [1]। यह पाँचवा पर्व एक दृष्टि से समापन पर्व है । इस पर्व में कुछ आलेख दिये गये हैं जो समस्त शिक्षाविचार को सूत्ररूप में प्रस्तुत करते हैं। इनका प्रयोग स्वतन्त्ररूप में भी किया जा सकता है। इनके आधार पर स्थान स्थान पर चर्चा की जा सकती है।

साथ ही जिनके माध्यम से इस ग्रन्थ के अनेक विषयों में व्यापक सहभागिता प्राप्त करने का प्रयास हुआ उन प्रश्नावलियों को भी एक साथ रखा गया है। विभिन्न समूहों में इन विषयों पर चर्चा के प्रवर्तन हेतु इनका उपयोग सुलभ बने इस दृष्टि से यह प्रयास किया है।

इस पर्व का, और इस ग्रन्थ का समापन एक सर्वसामान्य प्रश्नोत्तरी से होता है। ये प्रश्न ऐसे हैं जिनकी सर्वत्र चर्चा होती है और सब अपनी अपनी दृष्टि से उनके उत्तर खोजते हैं। यहाँ भारतीय शैक्षिक दृष्टि से इन प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया गया है। अपेक्षा यह है कि शिक्षा के विषय में केवल चिन्ता करने के स्थान पर हम यथासम्भव, यथाशीघ्र प्रत्यक्ष परिवर्तन करने का प्रारम्भ करें।

References

  1. धार्मिक शिक्षा के व्यावहारिक आयाम (धार्मिक शिक्षा ग्रन्थमाला ३): पर्व ५, प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे