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४. विनय न छोडें, आग्रह भी न छोडें । दोनों किया तो स्थिति बदलना निश्चित है ।  
 
४. विनय न छोडें, आग्रह भी न छोडें । दोनों किया तो स्थिति बदलना निश्चित है ।  
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'''प्रश्न ४''' '''माध्यमिक विद्यालयों में पूरे वर्ष का कार्यक्रम सरकार द्वारा भेज दिया जाता है । मुख्याध्यापक के टेबल पर
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'''प्रश्न ४''' '''माध्यमिक विद्यालयों में पूरे वर्ष का कार्यक्रम सरकार द्वारा भेज दिया जाता है । मुख्याध्यापक के टेबल पर'''
काँच के नीचे वह रहता है । वह पूरा करना ही है और प्रमाणों के साथ उसका वृत्त भी भेजना है । इस स्थिति में मौलिकता और स्वतन्त्रता कहाँ है ? हम अपनी कल्पना से कुछ भी नहीं कर सकते । क्या करें ?'''
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काँच के नीचे वह रहता है । वह पूरा करना ही है और प्रमाणों के साथ उसका वृत्त भी भेजना है । इस स्थिति में मौलिकता और स्वतन्त्रता कहाँ है ? हम अपनी कल्पना से कुछ भी नहीं कर सकते । क्या करें ?
    
'''मुख्याध्यापक का प्रश्न'''  
 
'''मुख्याध्यापक का प्रश्न'''  
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शिक्षा लोगों को इस दिशा में अग्रसर होने को प्रेरित करे और उद्यम सिखायें यही इस प्रश्न का उत्तर है ।
 
शिक्षा लोगों को इस दिशा में अग्रसर होने को प्रेरित करे और उद्यम सिखायें यही इस प्रश्न का उत्तर है ।
हम शिक्षकों को पूरा वेतन देते हैं तो भी वे ट्यूशन करते हैं । कभी कभी तो शेयर बाजार में व्यवसाय करते
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हैं । उनकी नौकरी निश्चित है । उनका कोई कुछ बिगाड नहीं सकता । अब क्या किया जाय ?
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'''प्रश्न ११ हम शिक्षकों को पूरा वेतन देते हैं तो भी वे ट्यूशन करते हैं । कभी कभी तो शेयर बाजार में व्यवसाय करते
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हैं । उनकी नौकरी निश्चित है । उनका कोई कुछ बिगाड नहीं सकता । अब क्या किया जाय ?'''
    
एक संचालक का प्रश्न
 
एक संचालक का प्रश्न
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ऐसा करने वाले शिक्षक आपका प्रश्न सुनकर हँसते होंगे । हमारा कोई कुछ बिगाड नहीं सकता ऐसा कहकर
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ऐसा करने वाले शिक्षक आपका प्रश्न सुनकर हँसते होंगे । हमारा कोई कुछ बिगाड नहीं सकता ऐसा कहकर आपको ठेंगा दिखाते होंगे । स्थिति तो आप कहते हैं ऐसी ही है । परन्तु हमने पूरा तन्त्र ही यह सम्भव हो ऐसा
आपको ठेंगा दिखाते होंगे । स्थिति तो आप कहते हैं ऐसी ही है । परन्तु हमने पूरा तन्त्र ही यह सम्भव हो ऐसा
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बना दिया है । अनेक संचालक भी पूरे वेतन पर हस्ताक्षर करवाकर कम वेतन देते हैं । उनका भी कोई कुछ बिगाड नहीं सकता । अनेक विद्यार्थी खुले आम नकल करके पास हो जाते हैं । उनका भी कोई कुछ बिगाड नहीं सकता । अनेक मन्त्री अनेक प्रकार से भ्रष्टाचार करते हैं । उनका भी कोई कुछ बिगाड नहीं सकता ।
बना दिया है । अनेक संचालक भी पूरे वेतन पर हस्ताक्षर करवाकर कम वेतन देते हैं । उनका भी कोई कुछ
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बिगाड नहीं सकता । अनेक विद्यार्थी खुले आम नकल करके पास हो जाते हैं । उनका भी कोई कुछ बिगाड नहीं
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सकता । अनेक मन्त्री अनेक प्रकार से भ्रष्टाचार करते हैं । उनका भी कोई कुछ बिगाड नहीं सकता ।
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सवाल कानून का नहीं है, सवाल नैतिकता का है । अपनी करनी के ये परिणाम हैं । शिक्षा में, राजनीति
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सवाल कानून का नहीं है, सवाल नैतिकता का है । अपनी करनी के ये परिणाम हैं । शिक्षा में, राजनीति में, अथर्जिन में नीति नहीं रहेगी तो यही सब होगा ।
में, अथर्जिन में नीति नहीं रहेगी तो यही सब होगा ।
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आज भी तो हम प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चशिक्षा में नीति और सदाचार नहीं सिखाते हैं । सब कुछ कानून
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आज भी तो हम प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चशिक्षा में नीति और सदाचार नहीं सिखाते हैं । सब कुछ कानून से करना चाहते हैं । कानून से वह होता नहीं ।
से करना चाहते हैं । कानून से वह होता नहीं ।
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इसलिये दो बातों की आवश्यकता है । शिक्षा के तन्त्र को विकेन्ट्रित करना चाहिये । इतनी छोटी इकाइयाँ
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इसलिये दो बातों की आवश्यकता है । शिक्षा के तन्त्र को विकेन्ट्रित करना चाहिये । इतनी छोटी इकाइयाँ बनानी चाहिये जो विवेकशील व्यक्ति के नियन्त्रण में रहे ।
बनानी चाहिये जो विवेकशील व्यक्ति के नियन्त्रण में रहे ।
      
दूसरा नीति सदाचार की शिक्षा अनिवार्य परन्तु अनौपचारिक पद्धति से देनी चाहिये |
 
दूसरा नीति सदाचार की शिक्षा अनिवार्य परन्तु अनौपचारिक पद्धति से देनी चाहिये |
    
सज्जनता स्वेच्छा से होती है, दबाव से नहीं । दूसरे अच्छे बनें ऐसी अपेक्षा कब कर सकते हैं यह सुज्ञ
 
सज्जनता स्वेच्छा से होती है, दबाव से नहीं । दूसरे अच्छे बनें ऐसी अपेक्षा कब कर सकते हैं यह सुज्ञ
लोगों को समझना कठिन नहीं है ।
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लोगों को समझना कठिन नहीं है ।  
हम अच्छे शिक्षक चाहते हैं । परन्तु उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में गणित और विज्ञान के शिक्षक मिलते
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नहीं है । क्या उपाय है ?
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'''प्रश्न १२ हम अच्छे शिक्षक चाहते हैं । परन्तु उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में गणित और विज्ञान के शिक्षक मिलते नहीं है । क्या उपाय है ?'''
    
एक संचालक का प्रश्न
 
एक संचालक का प्रश्न
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हमने जीवन को अर्थनिष्ठ बना दिया है । जीवन में पैसा ही केन्द्रस्थान में आ गया है । लोगों को लगता है कि डॉक्टर,
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उत्तर हमने जीवन को अर्थनिष्ठ बना दिया है । जीवन में पैसा ही केन्द्रस्थान में आ गया है । लोगों को लगता है कि डॉक्टर, इन्जिनीयर, चार्टर्ड एकाउण्टण्ट, मैनेजर आदि ही बनना चाहिये । इसलिये लोग इतिहास, समाजशास्त्र, भाषा, साहित्य, विज्ञान, गणित जैसे ज्ञानात्मक विषय पढना ही नहीं चाहते । जब इन विषयों को पढने वाले विद्यार्थी ही नहीं होंगे तो पाँच दस वर्षों में शिक्षक भी नहीं मिलेंगे । यह कठिनाई तो हमने ही मोल ली है । जो सामान्य स्नातक बनना चाहते हैं वे गणित, विज्ञान जैसे बुद्धिगम्य विषय पढना नहीं चाहते हैं, न वे पढ सकते हैं । इसलिये शिक्षकों का अभाव हो जाता है । दो उपाय हो सकते हैं । एक तो हमारे विद्यालय में शिक्षक चाहिये इसलिये हमारे विद्यार्थियों को ही शिक्षक बनने हेतु प्रेरणा और प्रशिक्षण देना, और दूसरा विद्यार्थी समाज में ज्ञानात्मक दृष्टिकोण निर्माण करना ।
 
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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साहित्य, विज्ञान, गणित जैसे ज्ञानात्मक विषय पढना ही नहीं चाहते । जब इन विषयों को पढने वाले विद्यार्थी ही
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प्रश्न १३  इतिहास, समाजशास्त्र, साहित्य आदि विषय न कोई पढना चाहता है न पढाना । इसके क्या परिणाम हो
नहीं होंगे तो पाँच दस वर्षों में शिक्षक भी नहीं मिलेंगे । यह कठिनाई तो हमने ही मोल ली है । जो सामान्य स्नातक
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बनना चाहते हैं वे गणित, विज्ञान जैसे बुद्धिगम्य विषय पढना नहीं चाहते हैं, न वे पढ सकते हैं । इसलिये शिक्षकों
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का अभाव हो जाता है । दो उपाय हो सकते हैं । एक तो हमारे विद्यालय में शिक्षक चाहिये इसलिये हमारे विद्यार्थियों
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को ही शिक्षक बनने हेतु प्रेरणा और प्रशिक्षण देना, और दूसरा विद्यार्थी समाज में ज्ञानात्मक दृष्टिकोण निर्माण करना ।
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इतिहास, समाजशास्त्र, साहित्य आदि विषय न कोई पढना चाहता है न पढाना । इसके क्या परिणाम हो
   
सकते हैं ? इन्हें नहीं पढने से क्या हानि है ?
 
सकते हैं ? इन्हें नहीं पढने से क्या हानि है ?
 
शिक्षा ज्ञानार्जन के लिये होती है । शिक्षा समष्टि में ज्ञाननिष्ठ व्यवहार करने के लिये होती है । हमारी परम्परा,
 
शिक्षा ज्ञानार्जन के लिये होती है । शिक्षा समष्टि में ज्ञाननिष्ठ व्यवहार करने के लिये होती है । हमारी परम्परा,
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
 
भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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स्वास्थ्य को कैसे बचायेंगे ? टेब्लेट में हो या स्लेट में लिखना तो समान ही है ना ? फिर इतने महँगे
 
स्वास्थ्य को कैसे बचायेंगे ? टेब्लेट में हो या स्लेट में लिखना तो समान ही है ना ? फिर इतने महँगे
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
 
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भारतीय अनुसन्धान के दो प्रकार हैं, अथवा कहें कि दो स्तर हैं । एक है तात्त्विक और दूसरा है
 
भारतीय अनुसन्धान के दो प्रकार हैं, अथवा कहें कि दो स्तर हैं । एक है तात्त्विक और दूसरा है
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
 
भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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बुद्धि को शिक्षा कहा जाता था । लिखना पढना नहीं जानने वाले कबीर तत्त्वज्ञ, भक्त और कवि थे,
 
बुद्धि को शिक्षा कहा जाता था । लिखना पढना नहीं जानने वाले कबीर तत्त्वज्ञ, भक्त और कवि थे,
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भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
 
भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम
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शिक्षा का बहुत बडा अंश घर में होता है । घर में मातापिता की जिम्मेदारी है कि अपने
 
शिक्षा का बहुत बडा अंश घर में होता है । घर में मातापिता की जिम्मेदारी है कि अपने
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