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जीवन के भारतीय प्रतिमान की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए राष्ट्र के संगठन की विभिन्न प्रणालियों के स्तरपर उन कर्तव्यों का याने ईकाई धर्म का विचार और प्रत्यक्ष धर्म अनुपालन की प्रक्रिया कैसे चलेगी ऐसा दो पहलुओं में हम परिवर्तन की प्रक्रिया का विचार करेंगे| वैसे तो धर्म अनुपालन की प्रक्रिया का विचार हमने समाज धारणा शास्त्र के विषय में किया है| फिर भी परिवर्तन प्रक्रिया को यहाँ फिर से दोहराना उपयुक्त होगा|  
 
जीवन के भारतीय प्रतिमान की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए राष्ट्र के संगठन की विभिन्न प्रणालियों के स्तरपर उन कर्तव्यों का याने ईकाई धर्म का विचार और प्रत्यक्ष धर्म अनुपालन की प्रक्रिया कैसे चलेगी ऐसा दो पहलुओं में हम परिवर्तन की प्रक्रिया का विचार करेंगे| वैसे तो धर्म अनुपालन की प्रक्रिया का विचार हमने समाज धारणा शास्त्र के विषय में किया है| फिर भी परिवर्तन प्रक्रिया को यहाँ फिर से दोहराना उपयुक्त होगा|  
विभिन्न सामाजिक प्रणालियों के धर्म  
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विभिन्न सामाजिक प्रणालियों के धर्म  
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कुटुम्ब  
 
कुटुम्ब  
 
कुटुम्ब यह परिवर्तन का सबसे जड़मूल का माध्यम है| समाज जीवन की वह नींव होता है| वह जितना सशक्त और व्यापक भूमिका का निर्वहन करेगा समाज उतना ही श्रेष्ठ बनेगा| कुटुम्ब में दो प्रकार के काम होते हैं| पहले हैं कुटुम्ब के लिए और दूसरे हैं कुटुम्ब में याने समाज, सृष्टी के लिए|  
 
कुटुम्ब यह परिवर्तन का सबसे जड़मूल का माध्यम है| समाज जीवन की वह नींव होता है| वह जितना सशक्त और व्यापक भूमिका का निर्वहन करेगा समाज उतना ही श्रेष्ठ बनेगा| कुटुम्ब में दो प्रकार के काम होते हैं| पहले हैं कुटुम्ब के लिए और दूसरे हैं कुटुम्ब में याने समाज, सृष्टी के लिए|  
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