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विश्वकर्मा विश्व के आदि स्थपति एवं शिल्पी हैं, जिन्होंने देवलोक और मनुष्यलोक में अनेक भव्य नगरों का निर्माण किया। विष्णु के सुदर्शनचक्र, शिव के त्रिशूल, [[Indra (इन्द्रः)|इन्द्र]] के वज्र और त्रिपुरदहनार्थ [[Rudra (रुद्रः)|रुद्र]] के रथ के निर्माता भी विश्वकर्मा ही कहे जाते हैं। स्वयं कश्यप ऋषि ने विश्वकर्मा का अभिषेक किया था। समस्त शिल्पों के अधिदेवता विश्वकर्मा की माता का नाम महासती योगसिद्धा था जो प्रभास नामक वसु की पुत्री थीं। विश्वरूप और वृज विश्वकर्मा के पुत्र हुए। हिन्दू शिल्पी अपने कर्म की उन्नति के लिए [[Surya (सूर्यः)|सूर्य]] की सिंह राशि से कन्या राशि में संक्रान्ति के दिन इनकी आराधना करते हैं और इस दिन शिल्प के किसी उपकरण को व्यवहार में नहीं लाते।
[[Category:Hindi Articles]]
[[Category:Stories]]
[[Category:Devatas]]

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