Difference between revisions of "Vedon me vayu samrkshan(वेदो में वायु संरक्षण)"

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Revision as of 08:51, 1 December 2022

वायु भी पञ्चमहाभूतों में एक महाभूत है। हवा हमें दिखाई नहीं देती। यह, हमारे चारों ओर है इसका अहसास हमें अक्सर होता रहता है, जैसे कि जब आँधी चलती है या जब हमें वायु के विरूद्ध साईकिल चलानी पड़ती हे या फिर जब हम साईकिल या फुटबाल में हवा भरते हैं।

वास्तव में, पृथ्वी के चारों ओर वायु की एक छोटी परत होती है, वायु की मोटी परत को वायुमंडल कहते हैं। पृथ्वी पर जीवन वायु के बिना संभव ही नहीं है। वायु में हम सांस लेते हैं। वायु से ही ईधन जलता हे, जिससे हम अपना खाना पकाते हैं। मौसम के सारे परिवर्तनों का मूल भी वायु ही है।

उद्देश्य

० वायु की संरचना जान पाने में;

० पौधों के लिए वायु की उपयोगिता जान पाने में; और

० स्वस्थ जीवन के लिए वायु को स्वच्छ बनाए रखने में हमारे योगदान को बता पाने में।


वायु रंगहीन, गंधहीन व स्वादहीन होती है। यह कई गैसों का मिश्रण हेै। हम इसके आर-पार देख सकते हैं इनके अलावा वायु के कुछ और गुण भी हैं:

1. वायु स्थान घेरती है

2. वायु में भार होता है,

3. वायु दाब डालती है,

4. वायु को दबा कर उसका आयतन कम किया जा सकता हे।

वायु स्थान घेरती है

पदार्थ स्थान घेरता है। वायु भी एक पदार्थ है। किसी भी दूसरे पदार्थ की तरह वायु भी स्थान घेरती है। आप किसी ऐसे गिलास को देखिए जिसमें कुछ न हो। क्या यह खाली है? वास्तव में यह बिल्कुल खाली नहीं है? इसके अंदर का खाली स्थान हवा से भरा है।

क्रियाकलाप द्वारा सीखे :-

आपको क्या करना है : सिद्ध करना है कि वायु स्थान घेरती है।

आपको क्या चाहिए : एक पारदर्शी बोतल और बाल्टी में पानी।

आपको कैसे करना है : बोतल के मुंह को अंगूठे से बंद कीजिए। अब इसे पूरी तरह पानी में डुबाइए। धीरे से अंगूठा हटाइए। देखिए क्या होता है?

बोतल में से क्या बुलबुले निकल रहे हैं? क्या पानी भी बोतल के भीतर जा रहा है? सोचिए से बुलबुले कहाँ से आ रहे हैं।

निष्कर्ष :

आपने देखा कि बोतल के मुंह को पानी में खोलने पर पानी ने बोतल में प्रवेश किया। वायु का स्थान पानी ने ले लिया। वायु बुलबुलों के रूप में बाहर आई। खाली दिखाई देने वाली बोतल में वायु भरी थी।

आपने सीखा कि खाली दिखाई पड॒ने वाली बोतल में वास्तव में वायु होती है।

वायु में भार होता है

यह सुनिश्चित करने के लिए कि वायु में भार होता है,

क्रियाकलाप द्वारा सीखे :-

आपको क्या करना है : सिद्ध करना है कि वायु में भार है।

आपको क्या चाहिए : साईकिल के पहिये की रबड़ की ट्यूब, कमानीदार तुला, बाट।

आपको कैसे करना है :

1. पहले बिना हवा भरी ट्यूब को कमानीदार तुला में तोलिए तथा भार ज्ञात करिए।

2. अब रबड़ की ट्यूब में हवा भर कर उसे पूरा फुला लीजिए तथा दोबारा भार ज्ञात करिए।

3. क्या अब भार बढ़ जाता हे?

आपने देखा कि हवा में भार होता हे।

वायु दाब डालती है

पृथ्वी के चारों ओर वायु की जो परत हे वह पृथ्वी पर दाब डालती है, जिसे वायुमंडलीय दाब या वायु दाब कहते हैं। आपको मालूम होना चाहिए कि समुद्र-तल पर वायु का दाब सर्वाधिक हे। समुद्र तल से जैसे-जैसे हम ऊपर की ओर जाते हैं, वायु दाब कम होता जाता है। ऐसा इसलिए होता हे क्योंकि ऊँचाई पर वायु की मात्रा कम हो जाती है। वायु सब ओर बराबर दाब डालती है। हमारे दैनिक कार्यकलापों में वायुदाब के अनेक उपयोग हैं जिनके बारे में आप आगे की कक्षाओं में पढ़ेंगे? वायु दाब डालती हे यह सिद्ध करने के लिए

क्रियाकलाप द्वारा सीखे :-

आपको क्या करना है : सिद्ध करना है कि वायु दाब डालती है।

आपको क्या चाहिए : एक काँच का गिलास, एक गते का टुकडा, पानी।

आपको कैसे करना है :

1. काँच के गिलास को लबालब पानी से भरें और इसके ऊपर गत्ते के टुकडे को खिसकाएं।

2. एक हाथ की हथेली से गत्ते को दबाये रखते हुए गिलास को उल्टा करें। यह ध्यान रखिये कि इस प्रक्रिया में गिलास से पानी गिरने न पाये।

3. अब गत्ते पर से हाथ धीरे से हटा लीजिए।

क्या देखा आपने :

यही कि हाथ हटा लेने के बाद भी गत्ते को टुकड़ा गिलास से चिपका रहता हे, नीचे नहीं गिरता।

क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ :

ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि गत्ते के टुकडे पर नीचे से ऊपर की ओर वायु का दाब लगता हे।

वायु को दबा कर उसका आयतन कम किया जा सकता है

किसी गैस के अणुओं के बीच नहीं के बराबर आकर्षण बल होता हे। अणु एक दूसरे से काफी दूर-दूर होते हैं। इसलिए गैस को दबाकर उसका आयतन कम करना संभव होता है। वायु, चूंकि एक गैस है, उसको भी दबाकर इसका आयतन कम किया जा सकता है। यह प्रक्रिया संपीडन कहलाती हे। वास्तव में जब आप गुब्बारे में हवा भरते हैं तो हवा हो संपीडित करते हैं क्योंकि बाहर जो हवा काफी बड़े आयतन में फैली थी उसको आप गुब्बारे के थोडे से आयतन में सीमित कर देते हैं।

वायु की संरचना

वायु कई गैसों का एक मिश्रण है, इसमें मुख्य रूप में नाइट्रोजन, आक्सीजन, कार्बन-डाईआक्साइड तथा अल्प मात्रा में आर्गन, हीलियम, निन, हाइड्रोजन आदि होते हैं। वायु में धूल, धुएं और जल वाष्य की भी कुछ मात्रा होती है, जिनकी प्रतिशत मात्रा परिवेश के अनुसार बदलती रहती है। वायु में मौजूद गैसें किसी न किसी रूप में हमारे जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। आइये वायु के मुख्य घटकों और जीवन में उनके महत्त्व के बारे में कुछ अधिक विस्तार से जाने।

वायु के विभिन्न घटकों का महत्त्व

- नाइट्रोजन -

पृथ्वी की वायु के कुल आयतन का 78% भाग नाइट्रोजन गैस है। नाइट्रोजन एक गंधहीन व स्वादहीन गैस है। यह न तो स्वयं ज्वलनशील है तथा न ही ज्वलन में सहायक हे।

- ऑक्सीजन -

वायु के कुल आयतन का लगभग 21 प्रतिशत भाग ऑक्सीजन का होता है। ऑक्सीजन को प्राण-वायु भी कहते हैं। इसके बिना तो हम जी ही नहीं सकते। शुद्ध ऑक्सीजन सूंघने में तीखी होती हे। वायु में उपस्थित नाइट्रोइन, इसकी तीक्ष्णता को कम करती है। सभी पौधों और जानवरों को श्वसन के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जब हम सांस लेते हैं तो वायु की ऑक्सीजन भीतर लेते हैं और कार्बन-डाइआक्साइड बाहर निकालते हे। ऑक्सीजन स्वयं ज्वलनशील नहीं है परन्तु ऑक्सीजन ज्वलन में सहायक हें। जलते हुए ईधन को जितनी अधिक ऑक्सीजन मिलती है, उतनी ही तेजी से यह जलता है। क्या आपने कभी विचार किया हे कि जब हम चूल्हे में फँक मारते हैं तो लकडियाँ अधिक तेजी से क्यों जलने लगती हैं? बिना ऑक्सीजन कुछ भी जल नहीं सकता। सोचिए अगर वायु में केवल ऑक्सीजन ही होती

तो क्या होता? एक बार आग लग जाने पर उसको बुझाना मुश्किल हो जाता।

क्रियाकलाप द्वारा सीखे :-