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==== क्रियाकलाप द्वारा सीखे :- ====
 
==== क्रियाकलाप द्वारा सीखे :- ====
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आपको क्या करना है : सिद्ध करना है कि ज्वलन के लिए ऑक्सीजन आवश्यक है।
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आपको क्या चाहिए : एक छोटी मोमबत्ती, दियासलाई, एक धातु की तश्तरी, काँच का एक बड़ा गिलास।
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आपको कैसे करना है :
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1. धातु की तश्तरी के बीच में मोमबत्ती लगाकर उसे जलाएं।
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2. मोमबत्ती को गिलास से ढक दें और कुछ देर देखते रहें।
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आपने क्या सीखा : यही कि गिलास के ढकने के कुछ देर बाद मोमबत्ती बुझ जाती है।
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क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ?
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क्योंकि गिलास ने बाहरी हवा से अंदर की हवा का संपक काट दिया। कुछ देर बाद गिलास के अंदर की हवा ने मोमबत्ती को जलाये रखने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन नहीं बची।
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आपने क्या सीखा : किसी वस्तु को जलने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
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ऑक्सीजन को कृत्रिम श्वसन के लिए प्रयोग में लाते हैं। पर्वतारोही, समुद्री गोताखोर एवं अंतरिक्ष यात्री भी सांस लेने के लिए अपने साथ ऑक्सीजन का सिलिंडर ले जाते हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलिंडर होते हैं। पानी में घुली ऑक्सीजन की मात्र हमारी सांस के लिए पर्याप्त नहीं है यद्यपि जल में रहने वाले प्राणियों के लिए यह पर्याप्त है।
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=== - कार्बन-डाई ऑक्साइड - ===
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वायु में कार्बन-डाईआऑक्साइड बहुत कम मात्रा में पाई जाती है फिर भी यह वायु का बहुत ही महत्त्वपूर्ण घटक है। पौधों एवं जानवरों के श्वसन तथा ईधन जलने की प्रक्रिया में कार्बन-डाईआक्साइड उत्पन्न होती हे। हरे पौधों द्वारा भोजन निर्माण की प्रक्रिया में यह काम में आती है। वायु की कार्बन-डाईऑक्साइड एक निश्चित औसत भूमंडलीय तापक्रम बनाये रखने में भी मदद करती है। यह ज्वलन क्रिया में सहायक नहीं है। यह ज्वलन प्रतिरोधक गैस है। क्या आपने सिनेमाघरों, दुकानों, भवनों की दीवार पर आग बुझाने के लिए लाल रंग के सिलेंडर टंगे हुए देखे हैं? इनमें लगे शीशे को तोडने पर उनमें से कार्बन-डाईऑक्साइड गैस निकलती हे, जो आग को बुझा देती है।
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=== - अन्य गैसे - ===
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वायु में पाई जाने वाली अन्य गैसें भी हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। उदाहरण के लिए, ओजोन सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक पहुंचने से रोकती है और इस प्रकार हमें उनके दुष्प्रभावों से बचाती हे।
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=== - जल वाष्प - ===
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वायु में पानी की भाप भी पाई जाती हे जो कि पृथ्वी को अलाशय से सूर्य किरणों द्वारा जल का वाष्पीकरण होने पर हवा में आती है क्या आपने इस बात पर ध्यान दिया हे कि वायु में जलवाष्प की मात्रा हमेश समान नहीं रहती, बरसात में पसीना आसानी से नहीं सूखता। आइये, यह सुनिश्चित करें के वायु में जल वाष्प होती हे।
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==== क्रियाकलाप द्वारा सीखे :- ====
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आपको क्या करना है : सिद्ध करना है कि वायु में जलवाष्प होती है।
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आपको क्या चाहिए : एक गिलास या काँच का बर्तन और बर्फ के कुछ टुकडे।
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आपको कैसे करना है :
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1. काँच के बर्तन में बर्फ के टुकडे डालकर कुछ देर रखें।
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2. कुछ देर बाद बर्तन की बाहरी सतह को देखें। टिप्पणी
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आपने क्या देखा : बर्तन की बाहरी सतह पर पानी की बूंदें नजर आती हें। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों हुआ? इसलिए कि गिलास के ठंडा होने पर उसकी बाहरी दीवार के संपक में आने वाली हवा की जलवाष्प संघनित होकर गिलास की बाहरी दीवार पर जम जाती हे।
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क्या सीखा आपने : यह, कि वायु में जलवाष्प होती हे।
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नोट : यह प्रयोग बरसात में सरलता से स्पष्ट हो जाता है, तब वायु में जल वाष्प काफी मात्रा में होती हे। खुश्क दिन में कदाचित ऐसा होता न दिखायी पड़े। प्रत्येक ऋतु में तथा विभिन्न मौसमों में यह प्रयोग दोहराइए। प्रयोगों से निष्कर्ष भी निकालिए।
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== वायु के घटकों का संतुलन ==
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आप पहले ही पढ़ चुके हैं कि वायु में विभिन्न गैसें विभिन्न मात्राओं में पाई जाती हैं। हमारे चारों ओर का वातावरण स्वस्थ बना रहे, इसके लिए इन गैसों में संतुलन बना रहना चाहिए। प्रकृति इस संतुलन को बनाये रखती हे।
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चित्र में दर्शाए गए कार्बन चक्र का अध्ययन कीजिए। इससे स्पष्ट होता है कि किस प्रकार पौधे और जीव-जन्तु ऑक्सीजन को श्वसन क्रिया में प्रयोग करते हैं और किस प्रकार वायु में ऑक्सीजन व कार्बन डाईआऑक्साइड का संतुलन बना रहता हे। इस चक्र से प्रकृति में ऑक्सीजन और कार्बन डाईऑक्साइड की मात्राएं जितनी हैं उतनी केसे बनी रहती हें। इसी तरह के कुछ अन्य चक्र जैसे नाइट्रोजन चक्र, ऑक्सीजन चक्र आदि वायुमंडल में दूसरी गैसों का अनुपात अपरिवर्तनीय बनाये रखते हैं।
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प्रकृति तो संतुलन बनाए रखती है परन्तु, जीव-मंडल का निराला सदस्य मानव, प्रकृति का यह संतुलन बिगाड़ रहा है। मानव द्वारा उद्योगों, कृषि, शहरों एवं आवासीय व्यवस्थाओं में किए जा रहें तेज विकास के परिणाम स्वरूप प्रकृति में असंतुलन आ गया है। हमारे विचारहीन कार्यकलापों एवं प्राकृतिक साधनों के अतिरिक्त दोहन के कारण वायु, जल एवं मिट्टी की प्रकृति में बहुत से अवांछित परिवर्तन आ रहे हैं। यह प्रदूषण कहलाता है। प्रदूषण के कारण मानवीय जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड रहा है।
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चित्र 7.2 प्राकृतिक कार्बन चक्र
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जो पदार्थ अथवा कारक प्रदूषण फैलाते हैं प्रदूषक कहलाते हैं। आमतौर पर हम चार तरह के प्रदूषकों की बात करते हैं-वायु, जल, मृदा एवं शोर-प्रदूषण। आइये, वायु-प्रदूषण और इसके प्रभावों के बारे में जानें।
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== वायु-प्रदूषण ==
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जीवन के लिए हानिकारक गैसों या पदार्थ-कणों का हवा में मिलना वायु प्रदूषण का कारण बनता है। वायु प्रदूषण न सिर्फ हमारे स्वास्थ के लिए खतरनाक है, बल्कि यह हमारे वातावरण को भी खराब करता है। वायु प्रदूषण के बहुत से कारण हैं, जिनमें से कुछ यहाँ बताये गये हें।
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=== वायु प्रदूषण के कारण ===
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हमारे चारों ओर की वायु कई प्रकार से प्रदूषित हो सकती है कारखानों से निकले धुंऐ से भी वायु प्रदूषित हो जाती हे। इसीलिए यह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता हे।  क्या आपको मालूम है कि कई राज्यों की सरकारों ने सभी सिनेमाघरों, बसों, सभागारों, स्कूलों तथा कालजों, दफ्तरों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट व बीड़ी पीना दण्डनीय अपराध घोषित कर दिया हे?
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धुएं में बहुत छोटे-छोटे कार्बन के कण होते हैं, जो पौधों की पत्तियों पर बैठ कर प्रकाश-संश्लेषण और श्वसन की प्रक्रियाओं में व्यवधान पैदा करते हैं। यदि धूल और कार्बन के ये कण मानव शरीर में प्रवेश कर जायें तो तपेदिक (टी.बी.) , ब्रॉंकाइटिस जैसे सांस के रोग पैदा कर देते हैं। वर्षा के जल में सल्फर डाईआऑक्साइड के मिलने से वह अम्लीय हो जाता है और इस प्रकार अम्लीय-वर्षा होती हे। अम्लीय वर्षा पौधों और इमारतों को नुकसान पहुँचाती है और जानवरों में त्वचा के रोग उत्पन्न कर देती है। क्लोरोफ्लोरो कार्बनों ( ), जो रेफ्रिजरेटर के द्रव एवं सुगंध फैलाने वाले स्प्रे में प्रयोग किए जाते हैं, वायु प्रदूषण में इनका भी योगदान है। ये वायु कीम ओजोन से क्रिया करके इसे खत्म कर देते हैं और इसके कारण ओजोन परत में छेद बनने लगा है। ओजोन परत में हुए छिद्र में से होकर बड़ी मात्रा में सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँच जाती हैं, जो पौधों को नुकसान पहुँचाती हैं और जानवरों में त्वचा का कैसर पैदा कर देती हैं।
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जब वायु में कार्बन मोनोऑक्साइड एवं कार्बन डाईआऑक्साइड कौ मात्रा बढ़ जाती है तो वायु अधिक ऊष्मा अपने अंदर बनाये रखती है। इस कारण पृथ्वी का औसत ताप बढ़ने लगता हे। यह प्रक्रिया भूमण्डलीय तापन कहलाती है।
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== वायु प्रदूषण हम कैसे रोक सकते हैं? ==
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एक बार प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाता है तो इसे सुधारना बहुत कठिन हो जाता है। इसलिए हमें वायु प्रदूषण रोकना चाहिए। निम्नलिखित तरीकों से हम वायु को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं।
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1. जहाँ भी संभव हो पेड लगाए जाएं।
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2. प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को शहर से दूर लगाया जाए।
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3. वही वस्तुएं उपयोग में लाएं जो पर्यावरण को बिगाडें नहीं।
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4. उद्योगों की चिमनियों में वायु छानक लगाएं।
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5. वाहनों में पर्यानुकूल, संपीडित प्राकृतिक गैस का उपयोग करें।
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6. मशीनों की उचित देखभाल करें ताकि ये अधिक प्रदूषण न फैलाएं।
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7. क्लोरोफ्लोरो कार्बनों का उपयोग बंद कर दें।
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