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[[File:वेद्यरंभग.jpg|center|frame|वेदारंभ संस्कार ]]
 
संभवतः प्राचीन काल में उपनयन को शिक्षा का प्रारंभ माना जाता था इस अंतिम संस्कार की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। वे उस समय गुरुगृह भी गए थे विद्यार्थी अन्य विद्याओं की भाँति वैदिक अध्ययन में दक्ष हुए। बाद वाला बच्चों की अवधि में कई सामाजिक , पारिवारिक और आर्थिक परिवर्तनों के कारण जब मैंने गुरुकुल जाना छोड़ दिया , तो मैं वेदों और अन्य शास्त्रों के अध्ययन के लिए विशेष था संस्कार की आवश्यकता उत्पन्न हुई। तो अवचेतन और अवचेतन में आएं संस्कारों की स्थापना विद्वानों ने की थी।
 
संभवतः प्राचीन काल में उपनयन को शिक्षा का प्रारंभ माना जाता था इस अंतिम संस्कार की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। वे उस समय गुरुगृह भी गए थे विद्यार्थी अन्य विद्याओं की भाँति वैदिक अध्ययन में दक्ष हुए। बाद वाला बच्चों की अवधि में कई सामाजिक , पारिवारिक और आर्थिक परिवर्तनों के कारण जब मैंने गुरुकुल जाना छोड़ दिया , तो मैं वेदों और अन्य शास्त्रों के अध्ययन के लिए विशेष था संस्कार की आवश्यकता उत्पन्न हुई। तो अवचेतन और अवचेतन में आएं संस्कारों की स्थापना विद्वानों ने की थी।
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