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वर्ण संतुलन व्यवस्था इस नाम की किसी व्यवस्था का संदर्भ धार्मिक (धार्मिक) साहित्य में नहीं मिलता है। लेकिन ऐसी व्यवस्था तो रही होगी। स्वभाव से ही मानव स्खलनशील होने से समाज में वर्ण संतुलन अव्यवस्थित होता रहा होगा। इस असंतुलन को ठीक करने के लिये भी कोई व्यवस्था रही होगी। समाज का सतत निरीक्षण कर आवश्यकता के अनुसार गुरूकुलों में ब्राह्मण या फिर क्षत्रिय वर्णों के परस्पर और समाज में अपेक्षित अनुपात को व्यवस्थित करने के लिये जन्म से मिले मुख्य वर्ण से भिन्न दूसरे क्रमांक के मुख्य वर्ण के संस्कार और शिक्षा की व्यवस्था की जाती होगी।  
 
वर्ण संतुलन व्यवस्था इस नाम की किसी व्यवस्था का संदर्भ धार्मिक (धार्मिक) साहित्य में नहीं मिलता है। लेकिन ऐसी व्यवस्था तो रही होगी। स्वभाव से ही मानव स्खलनशील होने से समाज में वर्ण संतुलन अव्यवस्थित होता रहा होगा। इस असंतुलन को ठीक करने के लिये भी कोई व्यवस्था रही होगी। समाज का सतत निरीक्षण कर आवश्यकता के अनुसार गुरूकुलों में ब्राह्मण या फिर क्षत्रिय वर्णों के परस्पर और समाज में अपेक्षित अनुपात को व्यवस्थित करने के लिये जन्म से मिले मुख्य वर्ण से भिन्न दूसरे क्रमांक के मुख्य वर्ण के संस्कार और शिक्षा की व्यवस्था की जाती होगी।  
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समाज में अपेक्षित वर्णों के अनुपात का संदर्भ भी धार्मिक (धार्मिक) साहित्य में नहीं मिलता है। लेकिन चाणक्य सूत्रों से शायद संकेत मिल सकते है। राजा के सलाहकार कैसे और कितने हों इस विषय में चाणक्य सूत्रों में बताया गया है कि राजा को विद्वान सलाहकार मंत्रियों की मदद से राज्य चलाना चाहिये। ३ ब्राह्मण, ८ क्षत्रिय, २१ वैश्य और ३ शूद्र मंत्रियों का मंत्रिमंडल रहे। विद्वान सलाहकार मंत्री हों यह कहना ठीक ही है। लेकिन साथ में जब वर्णश: संख्या दी जाती है तब उस का संबंध समाज में विद्यमान वर्णश: संख्या से हो सकता है। इस अनुपात को व्यवस्थित रखने की व्यवस्था गुरूकुलों में की जाती होगी। मोटे तौर पर यह अनुपात ठीक ही लगता है।
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समाज में अपेक्षित वर्णों के अनुपात का संदर्भ भी धार्मिक (धार्मिक) साहित्य में नहीं मिलता है। लेकिन चाणक्य सूत्रों से शायद संकेत मिल सकते है। राजा के सलाहकार कैसे और कितने हों इस विषय में चाणक्य सूत्रों में बताया गया है कि राजा को विद्वान सलाहकार मंत्रियों की सहायता से राज्य चलाना चाहिये। ३ ब्राह्मण, ८ क्षत्रिय, २१ वैश्य और ३ शूद्र मंत्रियों का मंत्रिमंडल रहे। विद्वान सलाहकार मंत्री हों यह कहना ठीक ही है। लेकिन साथ में जब वर्णश: संख्या दी जाती है तब उस का संबंध समाज में विद्यमान वर्णश: संख्या से हो सकता है। इस अनुपात को व्यवस्थित रखने की व्यवस्था गुरूकुलों में की जाती होगी। मोटे तौर पर यह अनुपात ठीक ही लगता है।
    
== वर्णों में श्रेष्ठता - कनिष्ठता ==
 
== वर्णों में श्रेष्ठता - कनिष्ठता ==

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