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  पितुस्ते वचनं तात न ग्रहीष्यन्ति कर्हिचित्॥ 3-7-8
 
  पितुस्ते वचनं तात न ग्रहीष्यन्ति कर्हिचित्॥ 3-7-8
 
  [[:Category:प्रतिज्ञा|''प्रतिज्ञा'']]
 
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  अथवा ते ग्रहीष्यन्ति पुनरेष्यन्ति वा पुरम्।
 
  अथवा ते ग्रहीष्यन्ति पुनरेष्यन्ति वा पुरम्।
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  प्रज्ञाचक्षुषमासीनमुवाचाभ्येत्य सत्वरम्॥ 3-7-24
 
  प्रज्ञाचक्षुषमासीनमुवाचाभ्येत्य सत्वरम्॥ 3-7-24
 
  [[:Category:Maharishi Veda Vyasa|''Maharishi Veda Vyasa'']]
 
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इति श्रीमहाभारते वनपर्वणि अरण्यपर्वणि व्यासागमने सप्तमोऽध्यायः॥ 7 ॥
 
इति श्रीमहाभारते वनपर्वणि अरण्यपर्वणि व्यासागमने सप्तमोऽध्यायः॥ 7 ॥

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