Van aur unka mahtva वन और उनका महत्व

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हमारा दूसरा महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन वन हैं। हमारे जीवन में वनों का बड़ा महत्त्व है। वनों से हमें विभिन्न प्रकार की वस्तुएं प्राप्त होती हैं और वन्य प्राणी भी इनमें रहते हैं। परन्तु मानव जनसंख्या के बढ़ने, उद्योग लगाने, घर बनाने, यातायात के लिए जैसे अन्य कई कारणों से वनों को काटा जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप वनों क साथ-साथ वन्य प्राणियों की संख्या में भी कभी हो रही है। वन वह प्राकृतिक क्षेत्र हैं, जिसमें अपने आप उगे हुए पेड और स्वतंत्र रूप से रहने वाले वन्य जीवन भी शामिल होते हैं। वनों को दुबारा लगाया जा सकता है।

इसका अर्थ है कि वन नवीकरणीय संसाधन हें। वन एक उत्पादक के साथ-साथ सुरक्षात्कम रूप में भी काम करते हैं। वन बाढ़ आने को रोकते हैं। क्या आप जानते हैं कि बहुत से उपयोगी पदार्थ हमें वनों से ही प्राप्त होते हें। हाँ, लकडी, पहली ऐसी वस्तु है, जो हमारे दिमाग में सबसे पहले आती हे, लेकिन इसके अलावा भी दूसरी कई ऐसी वस्तुएं हैं जो हमें वनों से प्राप्त होती हैं, जैसे कि लाख, तेंदू पत्ता, विभिन्न प्रकार की औषधियां, गोंद, रेज्गिम, इत्र आदि। वैदिक संस्कृति में पर्यावरण के छोटे-छोटे घटक को विशिष्ट स्थिति में श्रेष्ठ माना गया है। और कहा गया हे कि जिस प्रकार माता-पिता संतान का पालन पोषण करते हैं ठीक उसी प्रकार भूमि और सूर्य मण्डल पालन व धारण करते है।

-द्योष्पितः पृथिवि मातरघ्रगग्ने-

-भातर्वसवोमूलता नः।

(ऋग्वेद 6.51.5)

वनोन्मूलन (वनों का काटना)

आजकल मानव जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण लोगों के रहने के लिए जगह की समस्या हो गयी है, जिसको सुलझाने के लिए वनों को काटना बहुत ही सामान्य सी बात हो गयी हे। पेड़ों और वनों को इस प्रकार काटना वनोन्मूलन कहलाता है। वनोन्मूलन के बहुत से कारण हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं -

पृथ्वी तथा प्राकृतिक संसाधन

० सडक, बाँध और रेल पटरियों के निर्माण के लिए।

० खनन और उत्खनन प्रक्रिया के लिए।

० उद्योगों के लिए कच्चा माल प्राप्त करने के लिए।

० खेती के लिए बढ़ती जमीन की मांग की पूर्ति के लिए।

० ईधन और इमारती लकड़ी की बढ़ती मांग की पूर्ति के लिए।

वनो का संरक्षण

अब, सवाल यह उठता है कि हमें वनों के संरक्षण की आवश्यकता क्यों होत है? जैसा कि हम जानते हैं, वन हमारे प्राकृतिक संसाधन हेैं। ये बहुत से जानवरों और प्राणियों के रहने का स्थान है। वन हमारे पर्यावरण का तो एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं ही, साथ ही हमारी आर्थिक स्थिति में भी इसका महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। वन मृदा अपरदन और वायु प्रदूषण को रोकते हैं और वन्य प्राणियों को रहने के लिए आश्रय देते हैं। यदि आप वन्य जीवों के रहने के स्थान को समाप्त कर देंगे तो वन्य जीवों की संख्या में कमी हो जायेगी, जिसके कारण प्राकृतिक संतुलन बिगडता हे। अतः वनों को बचाने की आवश्यकता हे तथा नए वन लगाने की आवश्यकता है।

वन्य जीव संसाधन

वन्य जीव ऐसे जानवर हैं, जिन्हें सामान्य प्रत्यक्ष रूप से मनुष्यों द्वारा उपयोग में नहीं लिया जाता। इनमें स्तनधारी, सरीसृप, पक्षी, मत्सय तथा उभयचर जीवों की हजारों प्रजातियों को शामिल किया जाता है। भारतीय वन्य जीवों में शेर, चीता, हाथी, हिरन, बारहसिंगा, बत्तख, तेंदूआ, गैंडा, सोन चिडिया, मगरमच्छ, कछुआ आदि को शामिल किया गया हे। नेशनल पाक वे स्थान हे, जहाँ सभी प्रकार के वन्य जीवों को संरक्षण प्राप्त होता है। लेकिन वन क्षेत्र के अलावा वह क्षेत्र या स्थान, जहाँ जंगली जानवरों और पक्षियों को उनके प्राकृतिक पर्यावरण (वातावरण) में रखा जाता है वन्य जीवन अभयारण्य कहलाता हेै।