Upanishads (उपनिषद्)

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उपनिषद विभिन्न आध्यात्मिक और धर्मिक सिद्धांतों और तत्त्वों की व्याख्या करते हैं जो साधक को मोक्ष के उच्चतम उद्देश्य की ओर ले जाते हैं और क्योंकि वे वेदों के अंत में मौजूद हैं, उन्हें वेदांत (वेदान्तः) भी कहा जाता है। वे कर्मकांड में निर्धारित संस्कारों को रोकते नहीं किन्तु यह बताते हैं कि मोक्ष प्राप्ति केवल ज्ञान के माध्यम से ही हो सकती है।[1]

वेदान्तो नामोपनिषत्प्रमाणं तदनुसारीणि। शारीरकसूत्राणि च[2]

सदानंद योगिंद्र, अपने वेदांतसार में कहते हैं कि "वेदांत के पास इसके सबूत के लिए उपनिषद हैं और इसमें शरीर सूत्र (वेदांत सूत्र या ब्रह्म सूत्र) और अन्य कार्य शामिल हैं जो इसकी पुष्टि करते हैं"[3]

References

  1. Gopal Reddy, Mudiganti and Sujata Reddy, Mudiganti (1997) Sanskrita Saahitya Charitra (Vaidika Vangmayam - Loukika Vangamayam, A critical approach) Hyderabad : P. S. Telugu University
  2. Prof. K. Sundararama Aiyar (1911) Vedantasara of Sadananda with Balabodhini Commentary of Apadeva. Srirangam : Sri Vani Vilas Press
  3. Sastri, M. N. Dutt (1909) Vedanta-sara. A Prose English translation and Explanatory notes and Comments. Calcutta : Elysium Press.