Subartha (सुबर्थः)

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०    What is सुप्?

०   सुबन्त-पद (सुप्तिङन्तम् प​दम् १-४-१४)

प्रातिपदिक + सुप्-प्रत्यय =>पद

सुबन्त-पद

० सुप् प्रत्ययाः

स्वौजसमौट्छष्टाभ्याम्भिस्ङेभ्याम्भ्यस्ङसिभ्याम्भ्यस्ङसोसाम्ड्योस्सुप् ४-१-२

विभक्तिः/वचनम् एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
प्रथमा सुँ जस्
द्वितीया अम् औट् शस्
तृतीया टा भ्याम् भिस्
चतुर्थी ङे भ्याम् भ्यस्
पञ्चमी ङसिँ भ्याम् भ्यस्
षष्ठी ङस् ओस् आम्
सप्तमी ङि ओस् सुप्

सुप्-अर्थ

There are two types of meaning to सुप्-प्रत्यय

      ०  कारक - meaning

      ०   Non-कारक - meaning

We shall see the कारक - meaning initially.

अनभिहिते

० The सुप्-प्रत्यय is prescribed for a प्रातिपदिक to give a specific कारक meaning only if that कारक is अनभिहित (सूत्र- अनभिहिते 2-3-1)

० That is, the कारक meaning is not re-indicated by सुप्

० By what MEANS these कारक meanings are mentioned/indicated ?

By तिङ्, कृत् , तद्धित, सामास.

For eg.

अभिहित
कर्तृ अभिहित, other कारकs अनभिहित कर्म अभिहित, other कारकs अनभिहित भाव अभिहित, other कारकs अनभिहित करण, other कारकs अनभिहित अधिकरण, other कारकs अनभिहित
तिङ् पठति -> कर्तृ अभिहित by तिङ् पठ्यते -> कर्म अभिहित by तिङ् स्थीयते -> भाव अभिहित by तिङ्
वन्दते -> कर्तृ अभिहित by तिङ् वन्द्यते -> कर्म अभिहित by तिङ्
कृत् पठितवत् -> कर्तृ अभिहित by कृत् पठित -> कर्म अभिहित by कृत् भुक्त्वा -> भाव अभिहित by कृत्  प्रहरण -> करण अभिहित by कृत् शयन -> अधिकरण अभिहित by कृत्

कारकार्थः

           ०   अनभिहिते

           ०   द्वितीया-विभक्ति

           ०   तृतीया-विभक्ति

           ०   चतुर्थी-विभक्ति

           ०   पञ्चमी-विभक्ति

           ०   सप्तमी-विभक्ति

           ०   षष्ठी-विभक्ति