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== समाज में आवश्यक कार्य ==
 
== समाज में आवश्यक कार्य ==
 
२.१ समाज की मानव से अपेक्षायँ निम्न होतीं हैं।
 
२.१ समाज की मानव से अपेक्षायँ निम्न होतीं हैं।
    - जीवनदृष्टि के अनुरूप व्यवहार/धर्माचरण 
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- जीवनदृष्टि के अनुरूप व्यवहार/धर्माचरण 
 
- श्रेष्ठ सामाजिक परंपराओं का निर्वहन, परिष्कार और निर्माण  
 
- श्रेष्ठ सामाजिक परंपराओं का निर्वहन, परिष्कार और निर्माण  
    - सामाजिक संगठन और व्यवस्थाओं के अनुपालन, परिष्कार और नवनिर्माण में सार्थक योगदान  
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- सामाजिक संगठन और व्यवस्थाओं के अनुपालन, परिष्कार और नवनिर्माण में सार्थक योगदान  
 
२.२ अन्न प्राप्ति, सामान्य जीने की शिक्षा, औषधोपचार – ये बातें क्रय विक्रय की नहीं होनीं चाहिये।  
 
२.२ अन्न प्राप्ति, सामान्य जीने की शिक्षा, औषधोपचार – ये बातें क्रय विक्रय की नहीं होनीं चाहिये।  
 
२.३ धर्म व्यवस्था : वर्तमान के सन्दर्भ में धर्म को व्याख्यायित करने की व्यवस्था। चराचर के हित में सदैव चिंतन करनेवाले धर्म के जानकारों के लोकसंग्रह, त्याग, तपस्या के कारण लोग और शासन भी इनका अनुगामी बनता है। ऐसे लोगों का निर्माण यह धर्मकी प्रतिनिधि शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी है।  
 
२.३ धर्म व्यवस्था : वर्तमान के सन्दर्भ में धर्म को व्याख्यायित करने की व्यवस्था। चराचर के हित में सदैव चिंतन करनेवाले धर्म के जानकारों के लोकसंग्रह, त्याग, तपस्या के कारण लोग और शासन भी इनका अनुगामी बनता है। ऐसे लोगों का निर्माण यह धर्मकी प्रतिनिधि शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी है।  
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२.५ शासन : सुरक्षा, धर्म का अनुपालन करवाना एवं विशेष आपात परिस्थितियों में धर्म के मार्गदर्शन में पहल करना आवश्यक। न्याय व्यवस्था शासन का ही एक अंग है।  
 
२.५ शासन : सुरक्षा, धर्म का अनुपालन करवाना एवं विशेष आपात परिस्थितियों में धर्म के मार्गदर्शन में पहल करना आवश्यक। न्याय व्यवस्था शासन का ही एक अंग है।  
 
२.६ समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति की दृष्टि से समाज में व्यावसायिक कौशलों का विकास करना होता है। प्रत्येक व्यक्ति के जन्मजात ‘स्व’भाव और जन्मजात व्यावसायिक कौशल का निर्माण परमात्मा सन्तुलन  के साथ करता है। इन की शुद्धि, वृद्धि और समायोजन का सन्तुलन बनाए रखने के लिए इन्हें आनुवांशिक बनाने से अधिक सरल उपाय अबतक नहीं मिला है।  
 
२.६ समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति की दृष्टि से समाज में व्यावसायिक कौशलों का विकास करना होता है। प्रत्येक व्यक्ति के जन्मजात ‘स्व’भाव और जन्मजात व्यावसायिक कौशल का निर्माण परमात्मा सन्तुलन  के साथ करता है। इन की शुद्धि, वृद्धि और समायोजन का सन्तुलन बनाए रखने के लिए इन्हें आनुवांशिक बनाने से अधिक सरल उपाय अबतक नहीं मिला है।  
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== समाजधारणा के लिए मार्गदर्शक बातें ==
 
== समाजधारणा के लिए मार्गदर्शक बातें ==
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