Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 55: Line 55:  
संचालकों के अनीतिमान होने के अनेक उदाहरण सर्वविदित हैं  
 
संचालकों के अनीतिमान होने के अनेक उदाहरण सर्वविदित हैं  
   −
ऐसे अनेक संचालक हैं जो पैसा कमाने के लिये ही विद्यालय चलाते हैं । उनके लिये बिद्या, शिक्षक,
+
* ऐसे अनेक संचालक हैं जो पैसा कमाने के लिये ही विद्यालय चलाते हैं । उनके लिये बिद्या, शिक्षक, देश आदि के लिये कोई सम्मान नहीं होता । वे अनेक प्रकार की गलत बातें लागू कर पैसा कमाते हैं ।
देश आदि के लिये कोई सम्मान नहीं होता । वे अनेक प्रकार की गलत बातें लागू कर पैसा कमाते हैं ।
+
* प्रवेश के लिये और नियुक्ति के लिये विद्यार्थियों और शिक्षकों से डोनेशन लेना आम बात है । मजबूरी में या व्यवहार समझकर डोनेशन देनेवाले भी होते ही हैं ।
 
+
* शिक्षकों को कम वेतन देकर पूरे वेतन पर हस्ताक्षर करवा लेना भी व्यापकरूप में प्रचलन में है ।
प्रवेश के लिये और नियुक्ति के लिये विद्यार्थियों और
+
* ये तो सर्वविदित उदाहरण हैं, परन्तु यह तो हिमशिला का बाहर दिखनेवाला हिस्सा है । वास्तविकता अनेक गुना अधिक है ।
शिक्षकों से डोनेशन लेना आम बात है । मजबूरी में या व्यवहार समझकर डोनेशन देनेवाले भी होते ही हैं ।
  −
 
  −
शिक्षकों को कम वेतन देकर पूरे वेतन पर हस्ताक्षर
  −
करवा लेना भी व्यापकरूप में प्रचलन में है ।
  −
 
  −
ये तो सर्वविदित उदाहरण हैं, परन्तु यह तो हिमशिला का बाहर दिखनेवाला हिस्सा है । वास्तविकता अनेक गुना अधिक है ।
      
ऐसे संचालकों के विद्यालयों में नीतिमत्ता की
 
ऐसे संचालकों के विद्यालयों में नीतिमत्ता की
Line 71: Line 65:  
3. शिक्षकों की नीतिमत्ता के अभाव का स्वरूप कुछ इस प्रकार का है.....
 
3. शिक्षकों की नीतिमत्ता के अभाव का स्वरूप कुछ इस प्रकार का है.....
   −
शिक्षकों को पढाना आता नहीं है, पढाने की नीयत
+
*शिक्षकों को पढाना आता नहीं है, पढाने की नीयत नहीं होती है तब वे विद्यार्थियों को नकल करवाते हैं और बदले में पैसे लेते हैं ।
नहीं होती है तब वे विद्यार्थियों को नकल करवाते हैं और बदले में पैसे लेते हैं ।
+
*विद्यालय में पढाते नहीं और ट्यूशन में आने की बाध्यता निर्माण करते हैं ।
 
+
*वे स्वयं भी नकल करके परीक्षा में उत्तीर्ण हुए होते हैं ।
विद्यालय में पढाते नहीं और ट्यूशन में आने की बाध्यता निर्माण करते हैं ।
+
*जो विद्यार्थी ट्यूशन में आते हैं उन्हें परीक्षा में उत्तीर्ण होने में सहायता करते हैं । ये भी सर्वविदित उदाहरण हैं । पूर्व में कहा उससे भी वास्तविकता अनेक गुणा भीषण है ।
 
  −
वे स्वयं भी नकल करके परीक्षा में उत्तीर्ण हुए होते हैं ।
  −
 
  −
जो विद्यार्थी ट्यूशन में आते हैं उन्हें परीक्षा में उत्तीर्ण होने में सहायता करते हैं । ये भी सर्वविदित उदाहरण हैं । पूर्व में कहा उससे भी वास्तविकता अनेक गुणा भीषण है ।
      
4. विद्यार्थियों में नीतिमत्ता का ह्रास । विद्यार्थी भी पीछे नहीं हैं । उनकी अनीति के कुछ उदाहरण इस प्रकार है...  
 
4. विद्यार्थियों में नीतिमत्ता का ह्रास । विद्यार्थी भी पीछे नहीं हैं । उनकी अनीति के कुछ उदाहरण इस प्रकार है...  
   −
परीक्षा में नकल करना आम बात है । नकल करने के अनेक अफलातून नुस्खे उनके पास होते हैं । निरीक्षकों को बडी सरलता से सहज में ही वे बुद्ध बनाते हैं ।
+
*परीक्षा में नकल करना आम बात है । नकल करने के अनेक अफलातून नुस्खे उनके पास होते हैं । निरीक्षकों को बडी सरलता से सहज में ही वे बुद्ध बनाते हैं ।
 
+
*विद्यालय की मालमिल्कत को नुकसान पहुँचाने में इन्हें कोई संकोच नहीं होता है ।
विद्यालय की मालमिल्कत को नुकसान पहुँचाने में इन्हें कोई संकोच नहीं होता है ।
+
*झूठ बोलना, चुनावी राजनीति करना, गुंडागर्दी को प्रश्रय देना आदि भी सहज है ।
 
  −
झूठ बोलना, चुनावी राजनीति करना, गुंडागर्दी को प्रश्रय देना आदि भी सहज है ।
      
इसके भी अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं ।
 
इसके भी अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं ।
Line 106: Line 94:  
सामर्थ्य बढाने की आवश्यकता है ।
 
सामर्थ्य बढाने की आवश्यकता है ।
   −
०... विद्यालयों के संचालक और शिक्षक दोनों नीतिमान
+
*विद्यालयों के संचालक और शिक्षक दोनों नीतिमान हों ऐसे विद्यालयों के साथ समाज की सज्जनशक्ति को ज़ुडना चाहिये ।
हों ऐसे विद्यालयों के साथ समाज की सज्जनशक्ति को
+
*यदि संचालक नीतिमान हैं परन्तु शिक्षक नीतिमान नहीं हैं तो या तो संचालकों ने अनीतिमान शिक्षकों को नीतिमान बनाना होगा नहीं तो अनीतिमान शिक्षकों को दूर कर उनके स्थान पर नीतिमान शिक्षकों को लाना होगा ।
ज़ुडना चाहिये ।
+
*संचालक नीतिमान नहीं है परन्तु शिक्षक नीतिमान हैं तो उन्होंने ऐसे संचालकों का त्याग करना चाहिये और नीतिमान संचालकों के साथ जुड़ना चाहिये । यदि ऐसा त्याग नहीं किया तो नीतिमान शिक्षकों को नीति का त्याग करने की नौबत आती है ।
 
+
*नीतिमान संचालक, नीतिमान शिक्षक और समाज के सज्जनों ने मिलकर अपने जैसे अन्य नीतिमान विद्यालयों को खोजना चाहिये और संगठित होना चाहिये । संगठित हुए बिना सामर्थ्य नहीं आता ।
०... यदि संचालक नीतिमान हैं परन्तु शिक्षक नीतिमान
+
*ऐसे संगठन को प्रथम अपने विद्यालयों को नीतिमान बनाना चाहिये । अपने विद्यालय को नीतिमान बनाने का अर्थ है विद्यार्थियों और उनके परिवारों को नीतिमान बनाना । इसके बिना उनके सामर्थ्य में वृद्धि नहीं हो सकती ।
नहीं हैं तो या तो संचालकों ने अनीतिमान शिक्षकों
  −
को नीतिमान बनाना होगा नहीं तो अनीतिमान
  −
शिक्षकों को दूर कर उनके स्थान पर नीतिमान
  −
शिक्षकों को लाना होगा ।
  −
 
  −
०... संचालक नीतिमान नहीं है परन्तु शिक्षक नीतिमान हैं
  −
तो उन्होंने ऐसे संचालकों का त्याग करना चाहिये
  −
और नीतिमान संचालकों के साथ जुड़ना चाहिये ।
  −
यदि ऐसा त्याग नहीं किया तो नीतिमान शिक्षकों को
  −
नीति का त्याग करने की नौबत आती है ।
  −
 
  −
०... नीतिमान संचालक, नीतिमान शिक्षक और समाज के
  −
सज्जनों ने मिलकर अपने जैसे अन्य नीतिमान
  −
विद्यालयों को खोजना चाहिये और संगठित होना
  −
चाहिये । संगठित हुए बिना सामर्थ्य नहीं आता ।
  −
 
  −
०"... ऐसे संगठन को प्रथम अपने विद्यालयों को नीतिमान
  −
बनाना चाहिये । अपने विद्यालय को नीतिमान बनाने
  −
का अर्थ है विद्यार्थियों और उनके परिवारों को
  −
  −
 
  −
............. page-113 .............
  −
 
  −
पर्व २ : विद्यार्थी, शिक्षक, विद्यालय, परिवार
  −
 
  −
नीतिमान बनाना । इसके बिना उनके सामर्थ्य में वृद्धि
  −
 
  −
नहीं हो सकती
  −
 
  −
०. जब भी किसी अभियान का प्रारम्भ करना होता है
  −
तब थोडे से और सरल बातों से करना व्यावहारिक
  −
 
  −
समझदारी है । ऐसा करने से धीरे धीरे कठिन बातें
  −
 
  −
सरल होती जायेंगी
     −
नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम
+
*जब भी किसी अभियान का प्रारम्भ करना होता है तब थोडे से और सरल बातों से करना व्यावहारिक समझदारी है । ऐसा करने से धीरे धीरे कठिन बातें सरल होती जायेंगी ।
    +
=====नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम=====
 
इन विद्यालयों ने मिलकर विद्यार्थियों के लिये
 
इन विद्यालयों ने मिलकर विद्यार्थियों के लिये
 
नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम बनाना चाहिये । ये दस सूत्र
 
नीतिमत्ता का दससूत्री कार्यक्रम बनाना चाहिये । ये दस सूत्र
1,815

edits

Navigation menu