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मृत्यु के तीसरे दिन से घर पर भगवद गीता (प्रति दिन दो अध्याय) या गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है। घर के सदस्यों द्वारा भी भगवद गीता का पाठ क्या कर सकते हैं तीसरे दिन मृतक के बच्चों और भतीजों को क्षौराकर्म करना चाहिए प्रथागत है। नौ दिनों तक वे चावल पीसकर इसकी पूजा करते हैं। यह अनुष्ठान नौ महीने में मानव भ्रूण में विकास प्रक्रिया का उलटा (9) होता है। नवम मास में विसर्जन का विधान है।
 
मृत्यु के तीसरे दिन से घर पर भगवद गीता (प्रति दिन दो अध्याय) या गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है। घर के सदस्यों द्वारा भी भगवद गीता का पाठ क्या कर सकते हैं तीसरे दिन मृतक के बच्चों और भतीजों को क्षौराकर्म करना चाहिए प्रथागत है। नौ दिनों तक वे चावल पीसकर इसकी पूजा करते हैं। यह अनुष्ठान नौ महीने में मानव भ्रूण में विकास प्रक्रिया का उलटा (9) होता है। नवम मास में विसर्जन का विधान है।
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भारतीय धरती पर हिन्दू परिवार में जन्म से ही इस प्रकार गर्भधारण पूर्व से मृत्यु तक का जीवन विसर्जन तक ले जाने वाली महत्वपूर्ण घटनाएं सोलह संस्कार जो सामाजिक और आध्यात्मिक पहलुओं में सुधार करते हैं निर्धारित किए गए हैं। इस प्रकार भावुकता की अपील कर्तव्य पालन की प्रेरणा।
 
भारतीय धरती पर हिन्दू परिवार में जन्म से ही इस प्रकार गर्भधारण पूर्व से मृत्यु तक का जीवन विसर्जन तक ले जाने वाली महत्वपूर्ण घटनाएं सोलह संस्कार जो सामाजिक और आध्यात्मिक पहलुओं में सुधार करते हैं निर्धारित किए गए हैं। इस प्रकार भावुकता की अपील कर्तव्य पालन की प्रेरणा।
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[[Category:हिंदी भाषा के लेख]]
 
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[[Category:Hindi Articles]]
 
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[[Category:Samskaras]]
 
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