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=== कुटुम्ब ===
 
=== कुटुम्ब ===
कुटुम्ब यह परिवर्तन का सबसे जड़मूल का माध्यम है। समाज जीवन की वह नींव होता है। वह जितना सशक्त और व्यापक भूमिका का निर्वहन करेगा समाज उतना ही श्रेष्ठ बनेगा। कुटुम्ब में दो प्रकार के काम होते हैं। पहले हैं कुटुम्ब के लिए और दूसरे हैं कुटुम्ब में याने समाज, सृष्टी के लिए।  
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कुटुम्ब परिवर्तन का सबसे जड़मूल का माध्यम है। समाज जीवन की वह नींव होता है। वह जितना सशक्त और व्यापक भूमिका का निर्वहन करेगा समाज उतना ही श्रेष्ठ बनेगा। कुटुम्ब में दो प्रकार के काम होते हैं। पहले हैं कुटुम्ब के लिए और दूसरे हैं कुटुम्ब में याने समाज, सृष्टि के लिए।  
    
=== कुटुम्ब की – कुटुम्ब के लिए ===
 
=== कुटुम्ब की – कुटुम्ब के लिए ===
१. क्षमता और योग्यता आधारित कर्तव्य  
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# क्षमता और योग्यता आधारित कर्तव्य
२. क्षमता और योग्यता के अनुसार सार्थक योगदान  
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# क्षमता और योग्यता के अनुसार सार्थक योगदान
३. शुद्ध सस्नेहयुक्त सदाचारयुक्त परस्पर व्यवहार  
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# शुद्ध सस्नेहयुक्त सदाचारयुक्त परस्पर व्यवहार
४. बड़ों का आदर, सेवा। छोटों के लिए आदर्श और प्यार।  
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# बड़ों का आदर, सेवा। छोटों के लिए आदर्श और प्यार।
५. कुटुंबहित अपने हित से ऊपर। कर्त्तव्य परायणता। अपने कर्तव्यों के प्रति आग्रही।
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# कुटुंबहित अपने हित से ऊपर। कर्त्तव्य परायणता। अपने कर्तव्यों के प्रति आग्रही।
६. स्वावलंबन / परस्परावलंबन।
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# स्वावलंबन / परस्परावलंबन।
७. कुटुम्ब के सभी काम करना आना और करना।
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# कुटुम्ब के सभी काम करना आना और करना।
८. एकात्मता का विस्तार – कुटुंब< समाज< सृष्टी< विश्व। लेकिन इसकी नींव कुटुंब जीवन में ही पड़ेगी और पक्की होगी।  
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# एकात्मता का विस्तार – कुटुंब< समाज< सृष्टि< विश्व। लेकिन इसकी नींव कुटुंब जीवन में ही पड़ेगी और पक्की होगी।
९. कौशल, ज्ञान, बल और पुण्य अर्जन की दृष्टी से अध्ययन और संस्कार  
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# कौशल, ज्ञान, बल और पुण्य अर्जन की दृष्टी से अध्ययन और संस्कार
१०. कौटुम्बिक कुशलताएँ, आदतें, रीति-रिवाज, परम्पराएँ आदि  
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# कौटुम्बिक कुशलताएँ, आदतें, रीति-रिवाज, परम्पराएँ आदि
११. कुटुम्ब प्रमुख सर्वोपरि : कुटुम्ब के सब ही सदस्यों को कुटुम्ब प्रमुख बनने की प्रेरणा और इस हेतु से उनके द्वारा अपना विवेक, कौशल, सयानापन, निर्णय क्षमता, अपार स्नेह आदि का विकास। कुटुम्ब प्रमुख की आज्ञाओं का पालन - आज्ञाकारिता।  
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# कुटुम्ब प्रमुख सर्वोपरि : कुटुम्ब के सब ही सदस्यों को कुटुम्ब प्रमुख बनने की प्रेरणा और इस हेतु से उनके द्वारा अपना विवेक, कौशल, सयानापन, निर्णय क्षमता, अपार स्नेह आदि का विकास। कुटुम्ब प्रमुख की आज्ञाओं का पालन - आज्ञाकारिता।
१२. काया, वाचा, मनसा सभी से मधुर व्यवहार।  
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# काया, वाचा, मनसा सभी से मधुर व्यवहार।
१३. अच्छा – बेटा/बेटी, भाई/बहन, पति/पत्नि, पिता/माता, गृहस्थ/गृहिणी, रिश्तेदार आदि बनना/बनाना।
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# अच्छा – बेटा/बेटी, भाई/बहन, पति/पत्नि, पिता/माता, गृहस्थ/गृहिणी, रिश्तेदार आदि बनना/बनाना।
१४. वर्णाश्रम धर्म का पालन – स्वभावज कर्म करते जाना।
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# वर्णाश्रम धर्म का पालन – स्वभावज कर्म करते जाना।
१४.१ सवर्ण/सजातीय विवाह
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## सवर्ण/सजातीय विवाह
१४.२ कौटुम्बिक व्यवसाय में सहभाग  
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## कौटुम्बिक व्यवसाय में सहभाग
१४.३ ज्ञान, कौशल, श्रेष्ठ परम्पराओं का निर्वहन, परिष्कार, निर्माण और अगली पीढी को अंतरण  
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## ज्ञान, कौशल, श्रेष्ठ परम्पराओं का निर्वहन, परिष्कार, निर्माण और अगली पीढी को अंतरण
१४.४ आयु की अवस्था के अनुसार ब्रह्मचर्य, गृहस्थ और वानप्रस्थ आदि आश्रमों के धर्म की जिम्मेदारियों का निर्वहन।   
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## आयु की अवस्था के अनुसार ब्रह्मचर्य, गृहस्थ और वानप्रस्थ आदि आश्रमों के धर्म की जिम्मेदारियों का निर्वहन।   
    
=== कुटुम्ब में – समाज के लिए ===
 
=== कुटुम्ब में – समाज के लिए ===
१. सामाजिक कर्तव्यों का निर्वहन १.१ समाज संगठन की प्रणालियों (कुटुंब, जाति, ग्राम, राष्ट्र) में १.२ सामाजिक व्यवस्थाओं (रक्षण, पोषण और शिक्षण) में  
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# सामाजिक कर्तव्यों का निर्वहन  
२. ज्ञानार्जन, कौशलार्जन, बलार्जन और पुण्यार्जन की मानसिकता और केवल इन के लिए अटन ।
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## समाज संगठन की प्रणालियों (कुटुंब, जाति, ग्राम, राष्ट्र) में  
३. स्वावलंबन और परस्परावलंबन ।
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## सामाजिक व्यवस्थाओं (रक्षण, पोषण और शिक्षण) में  
४. शत्रुत्व भाववाले समाज के घटकों के साथ भी शान्ततापूर्ण और सुखी सहजीवन ।
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# ज्ञानार्जन, कौशलार्जन, बलार्जन और पुण्यार्जन की मानसिकता और केवल इन के लिए अटन।
५. एकात्मता (समाज और सृष्टी के साथ) का व्यवहार/सुख और दु:ख में सहानुभूति और सहभागिता ।
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# स्वावलंबन और परस्परावलंबन।
६. विभिन्न क्षेत्रों में - जैसे शासन, न्याय, समृद्धि आदि क्षेत्रों के नेता > आचार्य > धर्म । धर्म सर्वोपरि ।
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# शत्रुत्व भाववाले समाज के घटकों के साथ भी शान्ततापूर्ण और सुखी सहजीवन।
७. सद्गुण, सदाचार, स्वावलंबन, सत्यनिष्ठा, सादगी, सहजता, सौन्दर्यबोध, स्वतंत्रता, संयम, स्वदेशी आदि का व्यवहार साथ ही में त्याग, तपस्या, समाधान, शान्ति, अभय, विजिगीषा आदि गुणों का विकास।
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# एकात्मता (समाज और सृष्टि के साथ) का व्यवहार / सुख और दु:ख में सहानुभूति और सहभागिता।
८. मनसा, वाचा कर्मणा ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ के प्रयास।
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# विभिन्न क्षेत्रों में - जैसे शासन, न्याय, समृद्धि आदि क्षेत्रों के नेता > आचार्य > धर्म । धर्म सर्वोपरि।
९. वर्ण-धर्म की और जाति-धर्म की शिक्षा देना। जब लोग अपने वर्ण के अनुसार आचरण करते हैं तब राष्ट्र की संस्कृति का विकास और रक्षण होता है। और जब लोग अपने जातिधर्म के अनुसार व्यवसाय करते हैं तब देश समृद्ध बनता है, ओर बना रहता है।  
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# सद्गुण, सदाचार, स्वावलंबन, सत्यनिष्ठा, सादगी, सहजता, सौन्दर्यबोध, स्वतंत्रता, संयम, स्वदेशी आदि का व्यवहार साथ ही में त्याग, तपस्या, समाधान, शान्ति, अभय, विजिगीषा आदि गुणों का विकास।  
१०. धर्माचरणी और समाजभक्त/देशभक्त/राष्ट्रभक्त/परमात्मा में श्रद्धा रखनेवालों का निर्माण ।
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# मनसा, वाचा कर्मणा ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ के प्रयास।  
११. धर्मशिक्षा और कर्मशिक्षा ।
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# वर्ण-धर्म की और जाति-धर्म की शिक्षा देना। जब लोग अपने वर्ण के अनुसार आचरण करते हैं, तब राष्ट्र की संस्कृति का विकास और रक्षण होता है। और जब लोग अपने जातिधर्म के अनुसार व्यवसाय करते हैं तब देश समृद्ध बनता है, ओर बना रहता है।  
१२. संयमित उपभोग । न्यूनतम (इष्टतम) उपभोग ।
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# धर्माचरणी और समाजभक्त / देशभक्त / राष्ट्रभक्त / परमात्मा में श्रद्धा रखने वालों का निर्माण।
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# धर्मशिक्षा और कर्मशिक्षा।
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# संयमित उपभोग। न्यूनतम (इष्टतम) उपभोग।
    
== ग्रामकुल ==
 
== ग्रामकुल ==
१. ग्राम को स्वावलंबी ग्राम बनाना
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# ग्राम को स्वावलंबी ग्राम बनाना
२. ग्राम की अर्थव्यवस्था को ठीक से बिठाना और चलाना  
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# ग्राम की अर्थव्यवस्था को ठीक से बिठाना और चलाना
३. संयुक्त कुटुंबों की प्रतिष्ठापना का वातावरण  
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# संयुक्त कुटुंबों की प्रतिष्ठापना का वातावरण
४. कौटुम्बिक उद्योगों की प्रतिष्ठापना का वातावरण  
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# कौटुम्बिक उद्योगों की प्रतिष्ठापना का वातावरण
५. कुटुम्ब भावना से प्रत्येक व्यक्ति की सम्मानपूर्ण आजीविका की व्यवस्था करना  
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# कुटुम्ब भावना से प्रत्येक व्यक्ति की सम्मानपूर्ण आजीविका की व्यवस्था करना
६. कौटुम्बिक उद्योग और जातियों में समन्वय रखना
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# कौटुम्बिक उद्योग और जातियों में समन्वय रखना
७. शासकीय व्यवस्थाओं के प्रति जिम्मेदारियां : कर देना, शिक्षण, पोषण और रक्षण की व्यवस्थाओं में श्रेष्ठ व्यक्तियों का और संसाधनों का योगदान देना  
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# शासकीय व्यवस्थाओं के प्रति जिम्मेदारियां : कर देना, शिक्षण, पोषण और रक्षण की व्यवस्थाओं में श्रेष्ठ व्यक्तियों का और संसाधनों का योगदान देना
८. ग्राम, एक कुल बने ऐसा वातावरण बनाए रखना।
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# ग्राम, एक कुल बने ऐसा वातावरण बनाए रखना।
    
== गुरुकुल / विद्यालय ==
 
== गुरुकुल / विद्यालय ==
१. वर्णशिक्षा की व्यवस्था  
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# वर्णशिक्षा की व्यवस्था  
२. ज्ञानार्जन, कौशलार्जन, बलार्जन के लिए मार्गदर्शन  
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# ज्ञानार्जन, कौशलार्जन, बलार्जन के लिए मार्गदर्शन  
३. शास्त्रीय शिक्षा का प्रावधान  
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# शास्त्रीय शिक्षा का प्रावधान  
४. श्रेष्ठ परम्पराओं के निर्माण की शिक्षा  
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# श्रेष्ठ परम्पराओं के निर्माण की शिक्षा  
५. जीवन के तत्त्वज्ञान और व्यवहार की शिक्षा
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# जीवन के तत्त्वज्ञान और व्यवहार की शिक्षा  
६. जीवन के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक संगठन प्रणालियाँ और व्यवस्थाओं की समझ और यथाशक्ति योगदान की प्रेरणा।  
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# जीवन के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक संगठन प्रणालियाँ और व्यवस्थाओं की समझ और यथाशक्ति योगदान की प्रेरणा।  
    
== कौशल विधा पंचायत ==
 
== कौशल विधा पंचायत ==
१. समाज की किसी एक आवश्यकता की पूर्ति करना । कभी कोई कमी न हो यह सुनिश्चित करना।
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# समाज की किसी एक आवश्यकता की पूर्ति करना। कभी कोई कमी न हो यह सुनिश्चित करना।  
२. धर्म के मार्गदर्शन में अपने कौशल विधा-धर्म का निर्धारण और कौशल विधा प्रणाली में प्रचार प्रसार  
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# धर्म के मार्गदर्शन में अपने कौशल विधा-धर्म का निर्धारण और कौशल विधा प्रणाली में प्रचार प्रसार  
३. अन्य कौशल विधाओं के साथ समन्वय  
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# अन्य कौशल विधाओं के साथ समन्वय  
४. राष्ट्र सर्वोपरि यह भावना सदा जाग्रत रखना  
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# राष्ट्र सर्वोपरि यह भावना सदा जाग्रत रखना  
    
== व्यवस्थाओं के धर्म ==
 
== व्यवस्थाओं के धर्म ==
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