Difference between revisions of "Punsavan ( पुंसवन )"

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'''गर्भ रक्षा सदा कार्या नित्यं शौच निषेवणात् ।'''
 
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'''प्रशस्त्र मन्त्र लिखनाच्छस्त साल्यानुलेपनात् ।।'''</blockquote>
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गर्भधारण की पुष्टि के बाद पुंसवन संस्कार किया जाता है। इस संस्कार का उद्देश्य गर्भवती मां को एक रूपवान और तेजवान संतान पैदा करने की आंतरिक प्रेरणा प्रदान हो यह करना है। गर्भावस्था के बाद मां की भूमिका अहम है। पति और अन्य परिवार एक सामाजिक भूमिका निभाते हैं , परंतु वास्तव में भ्रूण की रक्षा और पोषण माँ को हि करना होता है। अपने अपने तरीके से पारिवारिक भूमिकाएँ महत्वपूर्ण हैं। सभी एक साथ मिलकर माँ का शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना है।</blockquote>

Revision as of 14:49, 4 April 2022

शोक रक्तिविमोक्षं च साहसं कुक्कुटासनम् ।

व्यावायंच दिवास्वापं रात्री जागरणं त्यजेत् ।।

अतिरूक्षंतु नाश्नीयात् अत्यत्यम्लम् अतिभोजनम् ।

अत्युष्णम् अतिशीतं च गुर्वाहार विवर्जयेत् ।।

गर्भ रक्षा सदा कार्या नित्यं शौच निषेवणात् ।

प्रशस्त्र मन्त्र लिखनाच्छस्त साल्यानुलेपनात् ।।

गर्भधारण की पुष्टि के बाद पुंसवन संस्कार किया जाता है। इस संस्कार का उद्देश्य गर्भवती मां को एक रूपवान और तेजवान संतान पैदा करने की आंतरिक प्रेरणा प्रदान हो यह करना है। गर्भावस्था के बाद मां की भूमिका अहम है। पति और अन्य परिवार एक सामाजिक भूमिका निभाते हैं , परंतु वास्तव में भ्रूण की रक्षा और पोषण माँ को हि करना होता है। अपने अपने तरीके से पारिवारिक भूमिकाएँ महत्वपूर्ण हैं। सभी एक साथ मिलकर माँ का शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना है।