Changes

Jump to navigation Jump to search
Line 18: Line 18:     
नामकरण संस्कार के समय माता स्नान करती है और शिशु/बच्चा नहा-धोकर नए कपड़े पहनकर बच्चे को पिता की गोद में बिठाया जाता है। पिता बच्चे को संबोधित करते और कहते , " बालक , तुम अपने कुलदेवता के भक्त हो। आपका जन्म एक निश्चित महीने में हुआ है। तो तेरा सांसारिक नाम आज से ' अमुक ' है ।वहा उपस्थित ब्राह्मण ' नाम प्रतिष्ठित हो , प्रतिष्ठित किया जाए , प्रतिष्ठित किया जाए ' ऐसे त्रिवार सामूहिक जयकारे लगाते हैं और आशीर्वाद दिया जाता है। साथ ही ' तुम वेद हो ' वे ऐसे ऋचाओं और मंत्रों का पाठ करते हैं। सभी ब्राह्मण और उपस्थित समूह  बच्चे को दीर्घायु , बुद्धिमान और यशस्वी  होने का आशीर्वाद देते हैं। उसके बाद प्रसाद और भोजनादिका का आयोजन किया जाता है और संस्कार स्थापित किए जाते हैं।
 
नामकरण संस्कार के समय माता स्नान करती है और शिशु/बच्चा नहा-धोकर नए कपड़े पहनकर बच्चे को पिता की गोद में बिठाया जाता है। पिता बच्चे को संबोधित करते और कहते , " बालक , तुम अपने कुलदेवता के भक्त हो। आपका जन्म एक निश्चित महीने में हुआ है। तो तेरा सांसारिक नाम आज से ' अमुक ' है ।वहा उपस्थित ब्राह्मण ' नाम प्रतिष्ठित हो , प्रतिष्ठित किया जाए , प्रतिष्ठित किया जाए ' ऐसे त्रिवार सामूहिक जयकारे लगाते हैं और आशीर्वाद दिया जाता है। साथ ही ' तुम वेद हो ' वे ऐसे ऋचाओं और मंत्रों का पाठ करते हैं। सभी ब्राह्मण और उपस्थित समूह  बच्चे को दीर्घायु , बुद्धिमान और यशस्वी  होने का आशीर्वाद देते हैं। उसके बाद प्रसाद और भोजनादिका का आयोजन किया जाता है और संस्कार स्थापित किए जाते हैं।
 +
 +
=== वर्तमान प्रारूप: ===
 +
आजकल नामकरण और निष्क्रमण दोनों संस्कार एक साथ किया जाता है । नाम का महत्त्व होने के कारण पूर्वजो ने इसे संस्कार स्वरुप दिया है क्योंकि व्यक्ति का नाम उसकी मृत्यु तक और उसके बाद तक व्यक्ति की पहचान है। कभी-कभी मृत्यु के बाद भी नाम कई शताब्दियों तक जीवित रहता है । नाम अक्षर और मात्राओं से बनता है। ' अक्षर ' शब्द का अर्थ क्षरण है अर्थात् अमर है। मूर्ति में प्राणप्रतिष्ठा हिंदू संस्कार में महत्वपूर्ण है वैसे ही बच्चे के नामकरण का भी है।
 +
 +
नामकरण पर मनु के विचार अधिक व्यावहारिक हैं। नाम का उच्चारण यह आसान , सरल होना चाहिए , जीभ पर हिचाकनेवाला नहीं होना चाहिए। अक्षर दो या चार होना गुन्वर्धक है हालांकि , नामकरण से उत्पन्न ध्वनि में माधुर्य और अर्थ को प्राथमिकता दी जाती है । नाम के अर्थ का प्रभाव व्यक्ति के मनपर उसके समझदार होने पर पड़ता है | नाम के अर्थ से हमारे गुणों और स्वभावों को दर्शाता है। दूसरे भी ऐसा ही करते हैं। इसलिए कुयमंजारा (बिन्नू , कुन्नू विपु , चिपु) जैसे नामों को आधुनिक नहीं माना जाता है बल्कि माता-पिता के मानसिक स्तर अपरिपक्वता के प्रकार माना जाना चाहिए | भारतीयों के पास नामों का अंतहीन सागर है। अपने पूर्वजों का देवताओं के विभिन्न गुणों , रूपों या गुणों के आधार पर संकलित लाखों नाम हैं। अपने बच्चे के लिए उपयुक्त नाम खोजने की आवश्यकता है! दसवें दिन, बिना समय गंवाए नाम खोजते हुए (बिना समय बर्बाद किए) , बच्चे का नामकरण संस्कार बारहवें दिन या एक माह के दिन करना चाहिए , अन्यथा अर्थहीन नाम प्रचलित हो जाते हैं और कभी-कभी वयस्कता तक उनका साथ देते हैं।
 +
 +
=== संस्कार विधि: ===
 +
समय: जन्म का ग्यारहवां दिन , एक महीना , सव्वा महीना।
 +
 +
स्थान: घर
 +
 +
पूर्वतैयारी: सामान्य पूजन सामग्री , चावल को एक साफ थाली में सुनहरे रंग से पेन/तक/सलाई बरू/और नाम देने वाले/रखवाले ने नाम तय करना ,
 +
 +
कर्ता : पति-पत्नी-बच्चे के रिश्तेदार, ससुराल वाले
 +
 +
नामकरण विधि
 +
 +
• माता-पिता ने साफ कपड़े पहनकर बच्चे के साथ देवताओं की पूजा करनी चाहिए। उस समय के संकल्प में कहा जाना चाहिए, ' हमारा बीज और भ्रूण इससे उत्पन्न हुआ है इस बालक की सभी प्रकार की मलिनता का निवारण के लिए, आयुष्यवर्धन, नामप्रतिष्ठापन के लिए श्री परमात्मा से प्रसन्नता के लिए हम यह संस्कार कर रहे है |
 +
 +
एक प्लेट में चावल फैला कर गोल्डन कलर/बोरू से क्रश कर लें. रंग टेम्पलेट( काला रंग नहो  , अन्य रंग चलेगा ) निश्चित नाम को लिखे | इस नाम को देवता मानकर उनकी पूजा करे , श्री नाम देवताभ्यो नमः 'इस  मंत्र का उच्चारण करे और प्रणाम करे |
 +
 +
• माँ की गोद में बच्चे के काम में पिता कहते है  , " अरे कुमार। कुंमारी कुलदेवता का नाम लेकर आपको उनका का भक्त बनना है । हे कुमार / कुमारी आपके नक्षत्र का नाम ' अमुक नाम ' है । हे कुमार / कुमारी तुम्हारा व्यावहारिक नाम अमुक है ।
 +
 +
सभी उपस्थित लोगों को प्रतिष्ठित मस्तु ऐसा आशीर्वाद देना चाहिए।
 +
 +
सभी को निकास संस्कार के लिए नजदीकी मंदिर जाना चाहिए।
 +
 +
सभी उपस्थित लोगो ने स्वस्तिवाचनासह आशीर्वाद दे
1,192

edits

Navigation menu